- फुटबॉल इन माय सिटी

- खिलाडि़यों के राष्ट्रीय स्तर पर चयन के लिए जरूर है पंजीकरण

- सीसीएल के अलावा फुटबॉल के लिए एक भी एकेडमी नहीं

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RANCHI (4 Oct) : सिटी में फुटबॉल के दीवानों के साथ-साथ खिलाडि़यों की कोई कमी नहीं है। लेकिन, बड़ी समस्या यह है कि किसी खिलाड़ी का फीफा के नियमों के मुताबिक सेंट्रल रजिस्ट्रेशन स्कीम के तहत पंजीकरण नहीं हो रहा है। वजह यह है कि रांची में इस खेल के विकास के लिए जितनी एकेडमी होनी चाहिए थी, वह नहीं है। सिटी में केवल सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) की ओर से फुटबॉल एकेडमी का संचालन हो रहा है। दूसरी ओर खिलाड़ी ख्000 से भी ज्यादा हैं। सीसीएल मुश्किल से हर साल भ्0 खिलाडि़यों का रजिस्ट्रेशन करा पाता है। शेष खिलाड़ी सिटी के मैदानों तक ही सिमट कर रह जाते हैं।

सिर्फ लोकल टूर्नामेंट में खेलते हैं खिलाड़ी

सिटी के ज्यादातर खिलाड़ी केवल लोकल लेवल के टूर्नामेंट ही खेल पाते हैं। कुछ चुनिंदा प्रतिभावान खिलाड़ी इंटर डिस्ट्रिक्ट लीग खेल पाते हैं। रजिस्ट्रेशन नहीं होने के कारण वे नेशनल सेलेक्शन कैंप में शामिल नहीं हो पाते हैं। मजबूरी में कुछ खिलाड़ी दूसरे स्टेट्स का रुख कर लेते हैं। उन्हें दिल्ली या केरल जैसे राज्यों में स्पॉन्सर मिल जाते हैं। जिस टीम के लिए खेलते हैं, वहां उनका रजिस्ट्रेशन भी हो जाता है। यही वजह है कि रांची में अच्छे खिलाड़ी ज्याद दिनों तक नहीं टिक पाते।

पड़ोसी राज्यों में संरचनाओं का अभाव नहीं

फुटबॉल से जुड़े कुछ पुराने खिलाड़ी बताते हैं कि रांची में इस खेल की संरचनाओं का अभाव तो है ही, साथ ही साथ सरकार भी फुटबॉल पर ज्यादा ध्यान नहीं देती। मैदानों में लीग मैच से ज्यादा मेले लगते हैं। वहीं छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, ओडि़शा आदि राज्यों में हर दो से तीन किलोमीटर की में एक न एक फुटबॉल मैदान जरूर मिल जाते हैं। वहां मैदानों में घास भी होते हैं, जिससे खिलाड़ी खुल कर खेल पाते हैं। यह रांची में नहीं हो पाता। स्टेडियम में खेलने के लिए जगह नहीं है, तो बाहरी मैदानों में एक भी घास नहीं होते। खिलाड़ी गिरते हैं, तो ज्यादा चोटिल होते हैं।