RANCHI: झारखंड डिफेंस यूनिवर्सिटी (झारखंड रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय) से पढ़कर निकले स्टूडेंट्स के साथ बड़ा धोखा हुआ है। इसे लेकर स्टूडेंट्स ने एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसकी जांच बुधवार से शुरू हो गई। बुधवार को दिन के 11.30 बजे यूनिवर्सिटी कैंपस पहुंची उच्च शिक्षा विभाग की टीम ने करीब साढ़े पांच घंटे तक जांच की। इस दौरान भुक्तभोगी स्टूडेंट्स के साथ पूछताछ की गई। साथ ही यूनिवर्सिटी के अधिकारियों से भी पूछताछ की गई। स्टूडेंट्स ने सबसे बड़ा आरोप यह लगाया है कि यूनिवर्सिटी के पूर्व रजिस्ट्रार प्रो एमके जमुआर ने राज्यपाल के हाथों उन्हें जो नियुक्ति पत्र दिलवाया था, उसमें सिक्योरिटी सुपरवाइजर का पद लिखा था, लेकिन जब वे नौकरी ज्वाइन करने तमिलनाडु पहुंचे, तो उन्हें एटीएम गार्ड की नौकरी दी गई।

कई गंभीर आरोप लगाए

जिन स्टूडेंट्स ने शिकायत दर्ज कराई थी, उनमें से चार बुधवार को टीम के सामने उपस्थित हुए। सभी ने आरोप लगाया कि उनके साथ धोखा किया गया। पीएच डिप्लोमा इन इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी (सत्र 2016-17) के स्टूडेंट्स को पढ़ाई पूरी होने के बाद नियुक्ति पत्र मिला था। उन्हें जी फोर एस कंपनी, तमिलनाडु में नौकरी ज्वाइन करने के लिए भेजा गया था। उन्हें 18 हजार रुपए वेतन देने का वायदा किया गया था। हालांकि, जब वे नौकरी के लिए पहुंचे, तो उन्हें दस से बारह हजार रुपए ही वेतन देने की बात कही गई। बुधवार को जांच करने पहुंची टीम के सामने स्टूडेंट्स ने अपने आरोप दोहराए और कहा कि जिस कंपनी में उन्हें नौकरी दी गई थी, उसमें और भी कर्मचारियों को लाने पर उन्हें पांच हजार रुपए बतौर कमीशन देने की पेशकश की गई थी।

एक-एक कर हुई पूछताछ

जांच टीम ने एक-एक कर स्टूडेंट्स से उनके आरोपों के बारे में पूछा। सभी ने बताया कि उन्हें राज्यपाल के हाथों सुपरवाइजर की नौकरी देने का नियुक्ति पत्र मिला था। जांच टीम को यह भी पता चला कि जी फोर एस कंपनी ने जो ऑफर लेटर दिया था, उसमें सिक्योरिटी गार्ड लिखा था, जिसमें ओवर राइटिंग की गई थी और गार्ड को काट कर सुपरवाइजर कर दिया गया था। इस मौके पर झारखंड छात्र मोर्चा के अजित विश्वकर्मा ने कहा कि 2016-17 में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन इंडस्ट्रीयल सिक्योरिटी कोर्स के छात्रों के साथ धोखा हुआ है। इसमें सामिल विश्वविद्यालय के पूर्व कुल सचिव तथा अन्य दोषियों पर करवाई की जाए, नहीं तो उग्र आंदोलन होगा। टीम द्वारा जांच के मौके पर यूनिवर्सिटी कैंपस में कई स्टूडेंट्स पहुंचे थे। इनमें प्रकाश कुमार महतो, अजित विश्वकर्मा, कृष्णा लकड़ा, आनंद मोहन, सुशीला भगत, विकास महतो, पूजा आदि शामिल थे।

क्या-क्या आरोप है पूर्व रजिस्ट्रार पर

1. सरकारी नौकरी देने का वादा कर प्राइवेट कंपनी में जॉब दिलवाई, जिसका प्रोफाइल काफी नीचे का था।

2. जितनी सैलेरी बताई गई, उससे काफी कम दिया गया।

3. जब स्टूडेंट्स लौट कर आए और उन्होंने इसकी शिकायत की, तो रजिस्ट्रार ने कथित रूप से उन्हें धमकाया।

4. इस प्रकरण में जब यूनिवर्सिटी ने जांच की, तो उसकी रिपोर्ट भी दबा दी गई।

मेरी गलती यही है कि मैंने एक इंस्टीट्यूशन को खड़ा किया

पूर्व रजिस्ट्रार डॉ एमके जमुआर से बातचीत

सवाल : आज यूनिवर्सिटी में जांच टीम गई थी, आरोपों के बारे में आपको क्या कहना है?

जवाब : किसी भी यूनिवर्सिटी में रजिस्ट्रार का पद काफी छोटा होता है। अगर कुछ पूछना ही है, तो पहले वाइस चांसलर से पूछना चाहिए।

सवाल : क्या वजह है कि सारे आरोप आप ही पर लगे हैं?

जवाब : मेरी एक ही गलती है कि मैंने झारखंड में एक बेहतरीन इंस्टीट्यूशन को खड़ा करने में जी-जान लगा दिया। लगता है कि हमारा स्टेट अभी इस तरह के डेवलपमेंट के लिए तैयार नहीं है?

सवाल : क्या आपसे जांच टीम ने कुछ पूछताछ की है?

जवाब : अभी तक मुझे जांच के बारे में कोई जानकारी नहीं है। मुझसे जांच टीम ने संपर्क भी नहीं किया है।

सवाल : क्या आप अपनी ओर से कुछ कहना चाहेंगे?

जवाब : मुझे जो कुछ कहना था, मैंने यूनिवर्सिटी के आला अधिकारियों को लिख कर दिया है। अगर सफलता का श्रेय ऊपर के अफसरों को मिलता है, तो असफलता के बारे में भी उन्हीं अफसरों से पूछा जाना चाहिए। मैं तो एक अदना सा अधिकारी था। अब मैं वहां काम भी नहीं करता हूं।