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स्लग: शहीद चौक के पास साहू परिवार का कोल्हू, कोकर में जायसवाल फैमिली की फोर्ड कार

-मोरहाबादी में गांधी स्मारक की देखभाल करने वाले बीगा टाना भगत की स्थिति दयनीय

dayanand.roy@inext.co.in

RANCHI (01 Oct): राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की विरासत रांची में कदम-कदम पर है। कहीं प्रतिमा के रूप में तो कहीं विरासत के रूप में। रांची का साहू परिवार हो या कोकर का जायसवाल परिवार, दोनों इस विरासत को संभाल कर रखे हुए हैं। पर मोरहाबादी के गांधी उद्यान, जिसकी रक्षा का जिम्मा बीगा टाना भगत की है। उनकी ओर ध्यान देने की फुरसत प्रशासन को नहीं है। न उन्हें एक बेहतर कुटिया दी गई है और न ही समय पर मेहनताना। इसके बावजूद वह महात्मा गांधी की जय गाते हैं।

क्। तरक्की कर रहा बापू की प्रेरणा से लगाया कोल्हू

इस भंडार की उन्नति हो। महात्मा गांधी की कही यह बात सत्य साबित हुई। रांची के व्यवसायी और गांधीवादी श्याम किशोर साहू का परिवार और उनका कोल्हू दोनों तरक्की कर रहे हैं। ख्9 मार्च क्9ब्0 को गांधीवादी श्याम किशोर साहू और उनकी पत्नी सवित्री साहू ने गांधीजी की प्रेरणा से रांची के शहीद चौक के पास कोल्हू शुरू किया था। गांधीजी ने खुद रांची आकर इस कोल्हू की उन्नति की कामना की थी और आज उनका परिवार निरंतर तरक्की कर रहा है। शहीद चौक के पास इस कोल्हू को चला रहे उपेंद्र साहू ने बताया कि बीते ख्भ् सालों से वह इस कोल्हू को संचालित कर रहे हैं। यहां से हर दिन लगभग क्ख् किलो तेल पेराकर निकलता है। गांधीजी का लिखा उन्नति का पत्र यहां सुरक्षित है, जिसपर उनका हस्ताक्षर है और इसकी तरक्की की कामना है। यहां दो कोल्हू संचालित हैं।

ऑफर आये पर मन नहीं बदला

शहर के बीचों-बीच जिस जगह पर यह कोल्हू चलता है, उस जगह पर शॉपिंग मॉल चलाया जाए तो करोड़ों का मुनाफा कमाया जा सकता है। इस कोल्हू के मालिक को भी इसके लिए कई ऑफर आए, पर उन्होंने अपना मन नहीं बदला। कोल्हू के मालिक बापू की इस विरासत को कायम रखना चाहते हैं। शहीद चौक स्थित कोल्हू से जो तेल निकलता है, उसकी शुद्धता को देखते हुए इसे खरीदने के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती है। इस कोल्हू से कई परिवारों की जीविका चल रही है।

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ख्। फोर्ड कार से रामगढ़ गए थे बापू

वर्ष क्9ब्0 में जब महात्मा गांधी रामगढ़ में आयोजित कांग्रेस के अधिवेशन में हिस्सा लेने रांची आए तो वे राय बहादुर लक्ष्मीनारायण जायसवाल के मेहमान बने। लक्ष्मीनारायण जायसवाल अपनी फोर्ड कार में बैठाकर उन्हें रामगढ़ ले गए। बापू की यादगार यह कार उनके पोते आदित्य जायसवाल ने बखूबी संभाल कर रखी है। आदित्य ने बताया कि बापू जिस कार में बैठकर रामगढ़ गए थे, वह क्9ख्8 मॉडल की फोर्ड कार थी। रांची में उस समय यह कार चुनिंदा लोगों के पास थी और आज सिर्फ उनके पास। श्री जायसवाल के दादा क्9फ्ख् में कांग्रेस के विधायक थे। स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रहने के चलते अंग्रेजों ने साजिश के तहत जहर दे दिया था। इसके बाद क्97क् में उनके दादा राजा राम शास्त्री सांसद रहे। इसके लिए उनके दादा को ताम्रपत्र भी मिला।

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फ्। मेहनताना मिलता है छह हजार

मोरहाबादी में महात्मा गांधी उद्यान संभालते हैं, बिगा टाना भगत। रविवार को वह अपनी कुटिया की मरम्मत कर रहे थे। बताया कि वे मूल रूप से लोहरदगा के भंडरा गांव के हैं। वर्ष ख्0क्ख् से गांधी बाबा के स्मारक की सेवा कर रहे हैं। मेहनताना मिलता है मात्र छह हजार रुपए। जो कुटिया है वह बरसात में चूने लगती है। इसकी जगह एक बेहतर कुटिया बनाई जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि यहां उन्हें टॉयलेट की दिक्कत होती है। पांच रुपए देकर सुलभ शौचालय जाना पड़ता है। हाल के दिनों में उन्हें महीने दस हजार देने की बात हुई। चार महीने मिला भी, पर बाद में फिर मेहनताना छह हजार महीना हो गया। वह कहते हैं कि छह हजार में घर चलाना बहुत मुश्किल होता है। सरकार इस ओर भी ध्यान दे।