रांची(ब्यूरो)। राजधानी रांची में गांजा तस्करी का कारोबार थम नहीं रहा। आए दिन तस्कर पुलिस की गिरफ्त में भी आ रहे हैं। लेकिन फिर भी यह सिलसिला रुक नहीं रहा। बस, ट्रक से लेकर टे्रन से भी गांजे की तस्करी हो रही है। इसी हफ्ते ट्रक में लोड दो क्विंटल गांजा पुलिस ने बरामद किया है। वहीं बस और टे्रन से भी गांजे की बोरी पुलिस और नारकोटिक्स विभाग ने जब्त किया है।

तस्करों से पूछताछ के बाद तेजी

रांंची नामकुम थाना क्षेत्र में नारकोटिक्स ब्यूरो ने दो तस्करों को गिरफ्तार किया था, जिनसे पूछताछ में कई जानकारी सामने आई है। तस्करों ने बताया कि उड़ीसा के कटक से नशे की खेप भाया रांची होते हुए यूपी ले जाई जा रही है, जिसके बाद नारकोटिक्स ब्यूरो और ज्यादा एक्टिव हो गया है। सभी वाहनों की जांच की जा रही है। गुप्त सूचना के आधार पर विभाग के पदाधिकारी बस और ट्रक में भी जांच कर रहे हैं। इसके अलावा आरपीएफ को भी मुस्तैद रहने को कहा गया है। आरपीएफ ने कुछ दिनों पहले ही हटिया से दिल्ली जा रही झारखंड स्वर्ण जयंती एक्सप्रेस से 68 किलो गांजा जब्त किया था।

प्राइवेट व्हीकल से भी सप्लाई

सिटी में प्राइवेट व्हीकल से भी गांजा की खेप भेजी जा रही है। इसके अलावा रांची से होते हुए दूसरे स्टेट के लिए भी गांजे की तस्करी की जा रही है। जिसे देखते हुए सिटी के बॉर्डर में भी गाडिय़ों की जांच शुरू कर दी गई है। दरअसल चोरी के वाहन में नंबर प्लेट बदल कर नशे के सौदागर तस्करी को अंजाम दे रहे हैं। नारकोटिक्स ब्यूरो के एक पदाधिकारी ने बताया कि अपने इनफॉर्मर से मिली सूचना के बाद लोकल थाने से संपर्क कर तस्करों को दबोचने का काम करते है। इससे पहले नशे के सौदागरों को गिरफ्तार करने के लिए जाल बिछाया जाता है। कुछ दिनों पहले ही नामकुम थाना क्षेत्र के रामपुर में चेकिंग के दौरान एक बोलेरो ये 172 केजी गांजा बरामद किया गया था, जिसकी कीमत करीब 15 लाख रुपए आंकी गई थी।

लोहे के बुरादे में छिपाया

नशे की खेप को बड़े ही शातिराना अंदाज में दूसरे जिला और स्टेट में पहुंचाया जा रहा है। नशे के सौदागर इसे बखूबी अंजाम देने में जुटे रहते हैं। कहीं बोरे में तो कहीं लोहे के बुरादे के बीच छिपा कर गांजे की तस्करी की जा रही है। सूचना मिलने पर इसकी जांच होती है। लेकिन कई बार तस्कर अपने मंसूबे में कामयाब भी हो जाते हैं। तस्करों को पकड़ पाना कभी-कभी नारकोटिक्स के लिए भी चुनौती भरा हो जाता है। लेकिन सटीक सूचना रहने के कारण पदाधिकारी सौदागरों को पकडऩे में सफल रहते हैं।

नए कॉरिडोर का इस्तेमाल

तस्करों का नेटवर्क झारखंड से लेकर बिहार, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ तक भी फैला हुआ है। मिली जानकारी के अनुसार गांजे की तस्करी के लिए झारखंड की सड़कों का ज्यादा उपयोग किया जा रहा है। पहले ओडि़शा से छत्तीसगढ़ होते हुए दूसरे राच्यों में इन नशीले पदार्थों की तस्करी होती थी। लेकिन अब झारखंड से होकर नया कॉरिडोर तैयार हो गया है। नए रास्ते से तस्करी आसान हो गई है, क्योंकि झारखंड में भी इसकी अच्छी खपत है। राच्य की पुलिस तस्करी रोकने के लिए पड़ोसी राच्यों के साथ साझा अभियान चला रही है।