रांची(ब्यूरो)। कभी रांची की लाइफलाइन रही हरमू नदी आज किस हालत में यह बताने की जरूरत नहीं है। लेकिन ऐसी स्थिति आज से दस-बारह साल पहले नहीं थी। हरमू नदी से पानी की धार बहा करती थी, जिसकी आवाज आस-पास के एक किमी तक सुनी जाती थी। लेकिन आज हालत यह है कि यहां सिर्फ एक नाले का स्वरूप बच गया है। इस नाले से बदबू आती है। नदी के सौंदर्यीकरण के नाम पर इसे और ज्यादा बर्बाद कर दिया गया। नदी को संकुचित बना दिया गया है और दोनों किनारों पर कंक्रीट की दीवार उठा दी गई है, जिससे पानी का स्रोत ही खत्म हो चुका है। सात साल पहले रघुवर सरकार के शासन में हरमू नदी जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण की शुरुआत हुई थी। नदी सौंदर्यीकरण के नाम पर खूब लूट हुई। अफसर, ठेकेदार सभी ने मलाई काटा। लेकिन नदी का न तो सौंदर्यीकरण हुआ और न ही जीर्णोद्धार।

85 करोड़ डुबा दिए

हरमू नदी के सौंदर्यीकरण और जीर्णोद्धार के नाम पर 85 करोड़ से अधिक खर्च कर दिए, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। बल्कि नदी का आकार पहले से भी और छोटा हो गया। पहले तो अफसर और ठेकेदार ने नदी को लूटा फिर रही सही कसर भू माफियाओं ने पूरी कर दी। नदी के स्रोत को बंद कर भू माफियाओं ने नदी की जमीन को बेचना शुरू कर दिया है। करम चौक, नदी पार रोड नंबर 2 से लेकर शहरी क्षेत्र में नदी के उद्गम स्थल तक गैरकानूनी तरीके से जमीन बेची गई। जबकि जलाशय के आस-पास की जमीन खरीद-बिक्री नहीं की जा सकती। यहां रहने वाले 55 वर्षीय जितेंद्र उरांव ने बताया कि करीब 30 साल पहले नदी की चौड़ाई 60 फीट से भी ज्यादा थी, जो आज सिर्फ चार फीट रह गई है। नदी का पानी सूखने से आसपास के क्षेत्रों का ग्राउंड वाटर लेवल भी नीचे चला गया है, जिससे इलाके में पानी की समस्या भी शुरू हो गई है।

पीने में भी इस्तेमाल होता था पानी

आस-पास के लोग बताते हैं कि हरमू नदी में काफी साफ पानी बहा करता था। इस नदी में लोग नहाने आते थे। पीने के लिए भी पानी का इस्तेमाल किया जाता था। लेकिन आज पास गुजरने में भी खराब लगता है। करम चौक के समीप रहने वाले सागर तिर्की ने बताया कि हरमू नदी के कारण ही आस-पास में लोग बसे और धीरे-धीरे यहां बस्तियां बस गईं। नहाने-धोने से लेकर मवेशियों को पिलाने और खेतों की सिंचाई के लिए पानी का इस्तेमाल होता था। आज यह काफी दूषित हो चुका है। लगभग बीस साल पहले इस नदी की पहचान कुछ और थी, आज इसका अस्तित्व भी नहीं बचा। साफ पानी की जगह नाले के काले पानी ने ले ली है। नदी को प्रदूषित होने के पीछे की वजह इसका अतिक्रमण भी है। नदी के दोनों और तेजी से आबादी बसी। लगातार अतिक्रमण होने से नदी संकरी होती चली गई। जिसमें पानी का बहाव भी कम हो गया। रांची की लाइफलाइन कही जाने वाली हरमू नदी के अस्तित्व को मिटाने में जिला प्रशासन, रांची नगर निगम, जुडको और राजधानी के लोग सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं।

2015 में शुरू हुआ सौंदर्यीकरण

हरमू नदी के जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण का निर्णय 2015 में लिया गया। मुंबई की कंपनी ईगल इंफ्रा को इसकी जिम्मेवारी सौंपी गई। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इसका शिलान्यास किया। इस प्रोजेक्ट को तीन साल में पूरा करना था। लेकिन, 2020 तक इसमें काम चलता रहा है आज भी नदी का सौंदर्यीकरण काम पूरा नहीं हुआ है। पूरे प्रोजेक्ट पर 85 करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च हो चुकी है।

फैक्ट फाइल

हरमू नदी की कुल लंबाई -- 17.8 किमी।

रांची में हरमू नदी की लंबाई -- 10.4 किमी

-हर दिन करीब 1.5 एमएलडी वेस्ट वाटर हरमू नदी के किनारे स्थित घरों से निकलता है

-85 करोड़ रुपए हरमू नदी के जीर्णोद्धार व सुंदरीकरण योजना में किए गए खर्च

नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत सभी जलाशयों की सफाई की जा रही है। 31 दिसंबर तक सभी नदियों और तालाबों की सफाई की जाएगी। हरमू नदी की भी लगातार सफाई हो रही है।

-शीतल कुमारी, सहायक नगर आयुक्त, आरएमसी