रांची (ब्यूरो) । सब कुछ ठीक रहा तो इस साल होने वाले समर वेकेशन के बाद हाईकोर्ट के धुर्वा में बने नए कैंपस में केस की सुनवाई शुरू हो जाएगी। जी हां, झारखंड हाई कोर्ट का नया कैंपस बनकर लगभग तैयार हो गया है और 30 अप्रैल तक भवन निर्माण विभाग इसे हाई कोर्ट को हैंडओवर भी कर देगा। इसके बाद इसमें हाईकोर्ट को शिफ्ट कर दिया जाएगा। राज्य के भवन निर्माण विभाग के सचिव ने यह जानकारी हाईकोर्ट को दी है। बता दें कि झारखंड हाईकोर्ट का नया भवन 2018 में तैयार हो जाना था, लेकिन इसे पूरी तरह से तैयार होने में 5 साल से अधिक का समय लग गया है।

2015 में शुरू हुआ था निर्माण

गौरतलब है कि झारखंड हाईकोर्ट के नए भवन का निर्माण कार्य 2015 में शुरू हुआ था। वर्ष 2018 तक कार्य पूरा कर लिया जाना था, लेकिन वर्तमान में 2023 तक काम चलता रहा। पूर्व में निर्माण की लागत 366 करोड़ रुपए थी लेकिन काम 267 करोड़ में दिया गया। फिर इसकी लागत 697 करोड़ रुपए तक बढ़ा दी गई। हालांकि इसके लिए सक्षम प्राधिकार की स्वीकृति नहीं ली गई।

गड़बड़ी का लगा था आरोप

बिना टेंडर किए पूर्व में कार्यरत संवेदक को कार्यभार और लागत में वृद्धि से योजना में गड़बड़ी का आरोप लगा था। इसके बाद हाईकोर्ट के समक्ष निर्माण की प्रक्रिया में अनियमितता बरतने का मामला दायर किया गया। हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई करते हुए आवश्यक प्रक्रिया पूरी करके जल्द निर्माण कार्य करने का आदेश दिया गया था। हाईकोर्ट भवन में 540 वकीलों के चैंबर बनाए गए हैं। हाई कोर्ट का नया भवन करीब 8 एकड़ भूमि पर बना है। ग्रीन बिल्डिंग का दायरा लगभग 10 लाख वर्ग फीट है।

चैंबर के लिए वकीलों का विरोध

झारखंड हाईकोर्ट के नए परिसर में वकीलों को पर्याप्त चैंबर नहीं दिए जाने से उनका भी विरोध है। हाईकोर्ट के नए परिसर में मात्र 540 वकीलों के लिए ही चैंबर की व्यवस्था है। ऐसे में झारखंड हाईकोर्ट एसोसिएशन का कहना है कि नए हाईकोर्ट परिसर में सरकार में मात्र 540 वकीलों के लिए ही चैंबर की व्यवस्था की है। इसकी संख्या बढ़ाने के लिए झारखंड सरकार और हाईकोर्ट की बिल्डिंग कमेटी को कई बार पत्र भी लिखा गया, लेकिन अभी तक उनकी मांगों पर विचार नहीं किया गया है। 540 चैंबर वकीलों के लिए पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार से कम से कम 1500 चैंबर की व्यवस्था करने के लिए कहा गया था। सरकार की ओर से आश्वासन मिला था कि संशोधित डीपीआर में इसकी व्यवस्था की जाएगी, लेकिन अब तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।