इन्हें इंसाफ का इंतजार

झारखंड में कई केसेज पेंडिंग हैं, जिसकी आवाज आरूषि मर्डर केस में आया फैसला बन सकता है। ये वैसे केसेज हैं, जिनमें विक्टिम्स व उनके परिजनों को आज तक जस्टिस नहीं मिल पाया है, चाहे वह निरूपमा पाठक हो या मौसमी चौधरी। इन सबको इंसाफ दिलाने की मुहिम कौन छेड़ेगा? आरूषि की ही तरह झारखंड में ही ऐसे कई मामले हैं, जिनमें लचर पुलिसिया तफ्तीश की वजह से फाइल लगभग क्लोज हो चुकी है। बिजनेस स्टैंडर्ड की जर्नलिस्ट निरूपमा पाठक की मौत की गुत्थी जहां अब तक अनसुलझी है, वहीं रांची की एक वेलऑफ फैमिली से बिलॉन्ग करनेवाली अंबिका सरावगी के दिन-दहाड़े मर्डर के मामले में कातिल आज भी गिरफ्त से बाहर हैं। मौत की वजह का भी पुलिस पता लगाने में नाकाम रही है।

कौन है जर्नलिस्ट निरूपमा पाठक का कातिल?

29 अप्रैल 2010 को जर्नलिस्ट निरूपमा पाठक की डेड बॉडी कोडरमा स्थित उसके घर पर पाई गई। दिल्ली में बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्टर, निरूपमा की डेथ एक मिस्टीरियस केस बनी हुई है। निरूपमा की मौत किसी अनएजूकेटेड फैमिली में नहीं, बल्कि एक वेलऑफ और वेल एजूकेटेड फैमिली में हुई। निरूपमा के पिता नेशनल बैंक में मैनेजर हैं। एक भाई इनकम टैक्स इंस्पेक्टर है और दूसरा भाई पीएचडी कर रहा है। दिल्ली में एक नेशनल न्यूजपेपर में काम करनेवाली निरूपमा की डेड बॉडी झारखंड के कोडरमा डिस्ट्रिक्ट के झुमरी तिलैया के चित्रगुप्त नगर स्थित पैतृक आवास पर मिली थी। उसे 19 अप्रैल को दिल्ली से घर बुलाया गया था। उससे कहा गया था कि उसकी मां सुधा देवी की तबीयत खराब है। इस मामले में कोडरमा पुलिस ने सुधा देवी, उसके पिता धर्मेंद्र पाठक, भाई समरेंद्र पाठक और उसके प्रेमी प्रियभांशु के खिलाफ मामला दर्ज किया था। निरूपमा डेथ केस में सुधा देवी कुछ दिनों तक जेल में भी रही थीं।

बाद में हाईकोर्ट से उन्हें जमानत मिली थी। फिलहाल, हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों को जमानत पर रखा है। उधर, उसके प्रेमी प्रियभांशु ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया, जिसे इस मामले से कोर्ट से बरी कर दिया गया है। निरूपमा को मार्च 2011 में कोलकाता के एक फोरेंसिक लैब में सुसाइड नोट पर निरूपमा के सिग्नेचर की पुष्टि होने के बाद इस मामले को मर्डर के बजाय आईपीसी के सेक्शन 306 के तहत सुसाइड के लिए उकसाने के मामले में तŽदील करके इसमें निरूपमा के पिता-माता और उसके भाईयों व प्रेमी प्रियभांशु को आरोपी बनाया गया था। फिलहाल, पूरे मामले पर कोडरमा पुलिस द्वारा जांच की जा रही है।

आज भी मौसमी की मां तापसी को इंसाफ का इंतजार

जमशेदपुर के साकची स्थित एक एयरहॉस्टेस ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट की ट्रेनी मौसमी चौधरी का मर्डर बिष्टुपुर स्थित होटल सॉनेट में 9 मई 2010 को कर दिया गया था। उस वक्त मौसमी डेपुटेशन पर थी। फिलहाल, मौसमी चौधरी मर्डर केस रांची  स्थित झारखंड हाईकोर्ट में पेडिंग पड़ा हुआ है। इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है।

करेंट स्टेटस : इस मामले की जांच सीबीआई द्वारा की जा रही है। सीबीआई की टीम ने जमशेदपुर जाकर होटल मालिकों समेत अन्य लोगों से पूछताछ की है। मौसमी की मां तापसी चौधरी ने इस मामले की गहनता से जांच करने के लिए हाईकोर्ट में अर्जी दी थी। तापसी चौधरी की अर्जी पर ही सीबीआई पूरे मामले में इन्वेस्टिगेशन कर रही है।

रेशमा व प्रवीण को मिली शादी की सजा!

23 दिसंबर, 2012 को लोहरदगा के प्रवीण और रेशमा को प्रेम और शादी करने की सजा मौत के रूप में मिली.  आरोप है कि दोनों में मोहब्बत की जानकारी जब रेशमा के परिजनों को मिली। इसके बाद प्रवीण का मर्डर कर दिया गया। इसके बाद रेशमा को रांची के पिठोरिया घाटी में लाया गया, जहां उसका गला घोंटा गया और उसे मरा समझकर फेंक दिया गया। दूसरे दिन जब वह होश में आई, तो उसने पिठोरिया थाना पुलिस को बयान दिया कि उसके सगे मामा ने उसका गैंगरेप करवाया, फिर उसे मरा समझ कर फेंक दिया। उसने पुलिस को यह भी बताया कि परिवारवाले शादी के लिए खुश नहीं थे। इसलिए, उनदोनों ने कोर्ट में शादी कर ली थी। पुलिस ने रेशमा के परिवारवालों को इसकी जानकारी दी। जानकारी होने पर रेशमा को उसके ही पिता के साथ अस्पताल भेजा गया। एंबुलेंस में ही उनलोगों ने रेशमा को मार डाला।

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