RANCHI: सिटी में कोरोना के एक मरीज की मौत के बाद उसके शव को दफनाने को लेकर रविवार को बड़ा विवाद खड़ा हो गया। रातू रोड कब्रिस्तान में प्रशासन ने शव दफनाने की तैयारी की थी, जिसके बाद स्थानीय लोगों ने विरोध कर दिया। विरोध इतना तेज था कि लॉक डाउन तोड़कर सैकड़ों लोग कब्रिस्तान के बाहर जुट गए। वहां खूब नारेबाजी हुई और महिलाएं कब्रिस्तान के गेट पर धरने पर बैठ गई। विरोध के कारण ढाई घंटे की मशक्कत के बाद प्रशासन को यह घोषणा करनी पड़ी कि शव रातू रोड कब्रिस्तान में नहीं दफनाया जाएगा। लोगों को बार-बार समझाने के बाद भी जब मामला सुलझता नहीं दिखा, तो पुलिस ने कब्रिस्तान के तीनों दरवाजों को बंद कर दिया। इसके बाद विरोध करने वाले लोग धीरे-धीरे वहां से हटे।

दो बजे से जुटने लगे थे लोग

लगभग 60 वर्षीय कोरोना के मरीज की मौत के बाद उसे दफनाने के लिए जेसीबी से कब्र खुदवाई गई थी। दिन के दो बजे स्थानीय लोग कब्रिस्तान के बाहर जुटने लगे। वे शव को इस कब्रिस्तान में दफनाने का विरोध कर रहे थे। लोगों का कहना था कि शव से वायरस फैलेगा और आसपास के लोग इसके शिकार होंगे। इसलिए शव को यहां दफनाने नहीं देंगे। मौके पर पहुंचे ट्रैफिक एसपी अजीत पीटर डुंगडुंग ने लोगों को काफी समझाया। पुलिसकर्मियों की बातचीत भीड़ का नेतृत्व कर रहे उत्तम यादव और दिलीप गुप्ता से भी हुई। ट्रैफिक एसपी ने घोषणा कर दी कि शव यहां नहीं दफनाया जाएगा। इसके बाद भी डेढ़ घंटे तक लोगों का हुजूम वहां मौजूद रहा। हंगामे की सूचना पर ट्रैफिक एसपी भी मौके पर पहुंचे और स्थानीय लोगों से बातचीत के बाद उन्होंने घोषणा कर दी कि शव को वहां नहीं दफनाया जायेगा। उनके एलान के बाद भी महिलाओं सहित स्थानीय लोगों ने कब्रिस्तान को सील करने की मांग की। महिलाओं का कहना था कि कब्रिस्तान के सभी चारों गेट को सील किया जाए। लोगों का कहना था कि प्रशासन रात में चुपके से शव को इसी कब्रिस्तान में दफना सकता है, इसलिए कब्रिस्तान को बिना सील किए यहां से नहीं हटेंगे। फिर शाम 4.20 बजे कब्रिस्तान के सभी गेट लॉक कर दिए गए। इसके बाद लोगों को अंतिम चेतावनी दी गई। तब जाकर लोग मुख्य सड़क से हटे और सहायक गलियों में जाकर इकट्ठा हो गए।

पहले बरियातू में दफनाने की थी तैयारी

जिला प्रशासन ने शव को पहले बरियातू स्थित कब्रिस्तान में दफनाने की तैयारी की थी। वहां कब्रिस्तान कमिटी की ओर से कब्र भी खोद डाली गई थी। बरियातू कब्रिस्तान कमिटी के सचिव मो आरिफ ने बताया कि सुबह आठ बजे ही बरियातू कब्रिस्तान में शव दफनाने की तैयारी शुरू हुई थी। वहां के कब्रिस्तान के गेट की चौड़ाई छह फीट ही है। इसलिए वहां जेसीबी नहीं जा सकती। कोरोना के मरीज को दफनाने के लिए करीब 15 फीट गढ्डे की जरूरत है। सामान्य तौर पर छह फीट गढ्डे में किसी जनाजे को दफन किया जाता है। दिन के 1 बजे डीसी राय महिमापत रे बरियातू कब्रिस्तान पहुंचे। वहां उन्होंने कब्रिस्तान का एरिया देखकर कहा कि यह छोटा कब्रिस्तान है। यहां दफनाने से अच्छा है कि कहीं और दफन किया जाए। इसके बाद उन्हें बरियातू का ही एक और कब्रिस्तान (अंजुमन कब्रिस्तान) के बारे में बताया गया, जो जोड़ा तालाब के पास है। उसे भी डीसी ने छोटा बताते हुए अंजुमन इस्लामिया, रांची के महासचिव हाजी मोख्तार अहमद से बातचीत की। हाजी मोख्तार ने रातू रोड में जनाजे को दफनाने में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होने की बात की। इसके बाद ही प्रशासन ने रिम्स से शव लेकर रातू रोड जाने की तैयारी की। इसी बीच रातू रोड कब्रिस्तान के बाहर हंगामा हो गया।

नमाज को तैयार थे ईमाम

बरियातू में शव दफनाने को लेकर कब्रिस्तान कमिटी ने मस्जिद के ईमाम से जनाजे की नमाज पढ़ाने की बात कर ली थी। दफनाने के दौरान गिने-चुने लोग ही वहां मौजूद रहते। मृतक के दो बेटों को भी पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट (पीपीई) किट दे दिया गया था। मृतक के दोनों बेटे ही कब्र में अपने पिता के जनाजे को उतारते। दोनों को वहां से रिम्स ले जाया जाता। इतनी तैयारी के बाद प्रशासन ने शव को रातू रोड ले जाने का फैसला कर लिया।