रांची(ब्यूरो)। शहर में सड़क किनारे अगर अपनी दुकान का नाम और एड्रेस के अलावा किसी भी प्रकार का प्रचार किया तो जुर्माना देना होगा। रांची नगर निगम अपने क्षेत्र में निजी भवन या व्यावसायिक भवन पर भी अगर बिना निगम की अनुमति की हॉर्डिंग्स लगाया गया है तो जुर्माना देने के लिए तैयार रहें। क्योंकि, रांची नगर निगम ने अब ऐसे निजी भवन मालिक, व्यावसायिक भवन या मॉल्स पर बिना अनुमति विज्ञापन लगाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है। निगम ने इसको लेकर आम सूचना जारी की है, जिसमें कहा गया है कि सड़क किनारे लगे साइन बोर्ड या व्यावसायिक प्रतिष्ठानों द्वारा मॉल्स, व्यावसायिक या निजी भवनों पर विज्ञापन लगाए हैं।

किसी भी प्रकार का विज्ञापन

झारखंड नगरपालिका अधिनियम-2011 की धारा 172 व 173 के तहत संबंधित भवनों पर प्रतिष्ठान का नाम और कार्यकलाप की विवरणी को छोड़कर किसी भी वस्तु से संबंधित विज्ञापन लगाने के लिए नगर निगम से अनुमति लेना अनिवार्य है। बिना अनुमति के चलंत वाहन से भी प्रचार-प्रसार नहीं कर सकते। ऐसा करना नगरपालिका अधिनियम व विज्ञापन नियमावली का उल्लंघन है। ऐसे में संबंधित प्रतिष्ठान से जुर्माना वसूला जाएगा।

सात दिनों में अनुमति के निर्देश

बिना अनुमति आवेदन लगाने वाले व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को निर्देश दिया गया है कि सात दिनों के अंदर रांची नगर निगम की वेबसाइट पर आवेदन देकर अनुमति प्राप्त करें। ऐसा नहीं होने पर बिना अनुमति लगाए गए साइन बोर्ड विज्ञापन पट्टा को हटाना सुनिश्चित करें। क्योंकि, इस अवधि के बाद झारखंड नगरपालिका अधिनियम-2011 की धारा-602 के तहत और अधिनियम की धारा-172 में उल्लेखित दर पर पांच गुणा अधिक जुर्माना वसूला जाएगा। साथ ही मॉल्स, व्यावसायिक व निजी भवन पर लगाए गए विज्ञापन पट्टा के लिए पूरे एक वित्तीय वर्ष का जुर्माना लिया जाएगा।

नहीं तो देना होगा जुर्माना

नगर निगम इस तरह का अभियान पहले भी चला चुका है। अब फिर यह अभियान चलने वाला है। इसके तहत नियमों का उल्लंघन करने वालों से जुर्माना वसूला जाएगा। यही नहीं, सड़क पर भवन निर्माण सामग्री ढेर करने वालों से भी जुर्माना वसूला जाएगा। क्योंकि इससे यातायात बाधित होता है। लोगों को आने-जाने में दिक्कत होती है।

सिटी में अवैध हॉर्डिंग्स का जाल

राजधानी में चारों ओर अवैध हॉर्डिंग्स का जाल फैल रहा है। नगर निगम ने शहर को तीन जोन में बांटकर कुल 1700 हॉर्डिंग्स को परमिशन दिया है, लेकिन शहरी क्षेत्र में 2700 से अधिक हॉर्डिंग्स का पता चला है। शहर के बाहर आरआरडीए क्षेत्र में भी करीब 300 हॉर्डिंग्स लगे हैं, लेकिन न तो परमिशन लिया गया और न ही प्राधिकार को एक रुपया रेवेन्यू मिलता है। नगर निगम ने शहर को तीन जोन में बांटकर 44 एजेंसियों को यूनिपोल और मोनोपोल लगाने का अधिकार दिया है। हर जोन के लिए हॉर्डिंग्स का रेट अलग-अलग है। अल्बर्ट एक्का चौक से पुरुलिया रोड में सदर हॉस्पिटल के किनारे लगाए गए मोनोपोल-यूनिपोल को परमिशन है, पर इसमें कई अवैध हैं। किसी हॉर्डिंग पर एजेंसी का नाम और नंबर नहीं है। सुजाता चौक से ओवरब्रिज के दोनों ओर निजी घरों की छत व दीवारों पर हॉर्डिंग्स लगे हैं, पर किसी पर साइज-नंबरिंग व एजेंसी का नाम नहीं लिखा है। डोरंडा से हिनू चौक होते हुए बिरसा चौक तक छोटे-बड़े सैकड़ों हॉर्डिंग्स लगे हैं। कई नई संरचना बनाई गई हैं। कौन वैध हैं, पहचान का पैमाना नहीं है। रातू रोड न्यू मार्केट चौक से कचहरी होते सर्कुलर रोड व हरमू रोड में हॉर्डिंग्स हैं, पर साइज-नंबरिंग नहीं है।

एजेंसिंयां भी कर रहीं मनमानी

विज्ञापन एजेंसियों को हॉर्डिंग्स लगाने के समय उसका साइज, एजेंसी का नाम और हॉर्डिंग्स संख्या लिखना अनिवार्य है। लेकिन किसी हॉर्डिंग में इनका उल्लेख नहीं है। वैध हॉर्डिंग्स से निगम को सालाना करीब 4 करोड़ रुपए रेवेन्यू मिल रहा है, जबकि अवैध हॉर्डिंग्स से करीब 2 करोड़ रुपए की चपत लग रही है। अवैध होर्डिंग को रोकने के लिए निगम को नियमित रूप से अभियान चलाना था, लेकिन कभी नहीं चलता है।

अवैध हॉर्डिंग्स से दुर्घटनाएं

जहां-तहां लगाए गए अवैध हॉर्डिंग्स से दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ी है। नगर निगम संरचना की मजबूती की जांच भी नहीं करता। हॉर्डिंग्स लगाने के दौरान मजदूरों की सुरक्षा का प्रबंध नहीं होता। कई बार तेज आंधी में हॉर्डिंग्स बोर्ड गिरने से दुर्घटना भी होती है।