रांची : राष्ट्रधर्म ही सनातन संस्कृति का मूल है। सबकी सच्ची भागीदारी से इस तत्व को लगातार प्रखर बनाने की जरूरत है। सब एक ध्येय से आगे बढ़ें तो वह दिन दूर नहीं जब भारत फिर विश्वगुरु बनेगा। यह बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक डॉ। मोहन भागवत ने सिमडेगा के रामरेखा धाम में कही। वे राम रेखाधाम के बाबा उमाकांत दास जी महाराज के निमंत्रण पर बुधवार को यहां एक धार्मिक आयोजन में शामिल होने पहुंचे थे। इस मौके पर संघ प्रमुख ने कहा कि निष्ठा, समर्पण, मेहनत और सेवाभावना ही हमारी ताकत रही है। समाज में सभी लोगों को जोड़ते हुए सक्रिय होकर काम करें। समर्पण के साथ काम करेंगे तो भारत की संस्कृति का फिर से पूरी दुनिया में परचम लहराएगा।

चार घंटे रहे रामरेखा धाम में

अपने चार घंटे के प्रवास के अंतिम चरण में रामरेखा धाम विकास समिति और ¨हदू धर्म रक्षा समिति के सदस्यों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि परिस्थितियां धीरे-धीरे बदल रही हैं। हम अपना काम ठीक से करें। हम सब एक हैं, इस भाव से काम करें।

संघ प्रमुख ने किसी का नाम लिए बिना कहा कि कुछ वर्ष पहले एक व्यक्ति विदेश से भारत में आए थे। कहा था कि अमेरिका और यूरोप को तो जीत लिया अब दक्षिण एशिया में फतह करना है। ऐसा तो नहीं कर सके अब उलटे भगवा पहनने के साथ-साथ आरती भी कर रहे हैं। यही हमारी संस्कृति की ताकत है। इस ताकत को हमें जीवंत बनाए रखना है और धार देते रहना है। केरल में तो गरूड़ भगवान को बनवाने पर मजबूर हो गए हैं।

सनातन संस्कृति के ध्वजवाहक

उन्होंने सिमडेगा के रामरेखा धाम और उसकी रक्षा समितियों के कार्यो की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह धाम हिंदू सनातन संस्कृति के ध्वजवाहक के रूप में काम कर रहा है। लोगों में संस्कार जगाने से लेकर उनमें धार्मिक-आध्यात्मिक प्रवृत्ति जागृत करने तथा सोची समझी साजिश के तहत लोगों को बरगलाकर धर्मातरण करानेवालों की मंशा के खिलाफ लोगों को जागरूक कर धर्मांतरण रोकने में इस धाम की विशेष भूमिका रही है। शिक्षा और जागरूकता से हम समाज में बड़ा बदलाव ला सकते हैं।