रांची (ब्यूरो)। अखिल भारतीय मानवाधिकार संघ के राष्ट्रीय सचिव सुनील किस्पोट्टा को यह जानकारी मिली कि अभिषेक रंजन बिना वजह अस्पताल में भर्ती होकर आराम फरमा रहा है, जबकि एक कैदी होने के नाते उसे जेल में होना चाहिए था। इस बात की जांच करने साथ ही पुलिस के द्वारा की जा रही कार्रवाई की जानकारी लेने के लिए वे अपनी टीम में प्रदेश सह सचिव कुमार अभिषेक के साथ टाटीसिल्वे थाना पहुंचे और केस के जांच अधिकारी से की जा रही कार्रवाई की जानकारी ली। कैदी को अभी तक जेल नहीं भेजे जाने का कारण पूछने पर अधिकारी ने बताया कि डॉक्टरों द्वारा उसे छुट्टी नहीं दी गई है जबकि कैदी की सारी जांच हॉस्पिटल में हो पुरी हो चुकी है और सारी रिपोर्ट सामान्य है।
थाने से गए रिम्स
राष्ट्रीय सचिव सुनील किस्पोट्टा थाने से निकलकर रिम्स हॉस्पिटल पहुंचे, जहां उन्होंने कैदी को सामान्य रूप से बैठा पाया। हॉस्पिटल में डॉक्टर की उपस्थिति नहीं होने पर उस वक्त देख रहे नर्सों से उन्होंने उसकी इलाज की जानकारी ली। राष्ट्रीय सचिव के पहुंचने के कुछ देर में ही उसे हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया। राष्ट्रीय सचिव सुनील किस्पोट्टा ने कहा कि एक तरफ एक महिला जो आस लगाकर बैठी है कि उसे जल्द से जल्द न्याय मिलेगा। उसके पिता अपनी बेटी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं कि बेटी को न्याय दिलाकर रहेंगे। ऐसी परिस्थिति में भी पुलिस के द्वारा धीमी गति से किया जाना कार्य सराहनीय नहीं है। क्योंकि वह खुद एक डॉक्टर हैं और डॉक्टरों से जान पहचान होने के कारण वह इसका नाजायज फायदा उठा रहा था। जेल नहीं जाने के नियत से वह बीमारी का बहाना बनाकर रिम्स हॉस्पिटल में ही पिछले 3 दिनों से आराम कर रहा था। पुलिस को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि कानून सबके लिए सामान्य है। जांच अधिकारी ने कहा कि कैदी के हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के बाद उसे थाने के लॉकअप में रखा जाएगा या उसे जेल भेजा जाएगा। दूसरी ओर महिला का कोर्ट में 164 का बयान दर्ज करा दिया गया है और कार्रवाई आगे बढ़ा दी गई है।