रांची(ब्यूरो)। राजधानी रांची में वाहनों की रफ्तार रोकने को लेकर पुलिस मुख्यालय गंभीर नजर आ रहा है। वाहनों की रफ्तार पर नजर रखने और दोषियों पर कार्रवाई करने के लिए एक बार फिर से 10 इंटरसेप्टर व्हीकल्स की खरीदारी करने का निर्णय लिया गया है। इन वाहनों को राजधानी रांची के अलावा राज्य के अन्य जिलों में भी तैनात किया जाएगा। इस संबंध झारखंड पुलिस मुख्यालय ने आदेश जारी कर दिया है। हालांकि, राजधानी रांची में पहले से भी दो इंटरसेप्टर वाहन उपलब्ध हैं, जो सिटी की सड़कों पर तैनात तो रहते हैं लेकिन आजतक इसका एक बार भी इस्तेमाल नहीं हो पाया है। जबकि पांच साल से इंटरसेप्टर वाहन का उपयोग किया जा रहा है। लेकिन अबतक एक भी चालान इस वाहन की मदद से नहीं काटा गया है। बता दें कि 2018 में झारखंड पुलिस की ओर से छह इंटरसेप्टर गाडिय़ां खरीदी गई थीं। इनमें दो गाडिय़ां रांची के लिए और एक-एक गाड़ी जमशेदपुर, धनबाद, हजारीबाग व बोकारो को दी गई थी। लेकिन सिर्फ सड़क पर खड़ा करने के अतिरिक्त इसका कोई उपयोग नहीं किया गया। सड़कों पर शोपीस बन कर खड़े रहते हैं इंटरसेप्टर वाहन।

क्या है इंटरसेप्टर वाहन

इंटरसेप्टर वाहन का प्रयोग वाहनों की रफ्तार पर नजर रखने के लिए किया जाता है। इसके जरिए स्पीड लिमिट को तोडऩे वाले वाहनों के फोटो इंटरसेप्टर में लगे कैमरे की मदद से कैद किया जाता है। फिर वाहन रजिस्ट्रेशन की मदद से स्पीड लिमिट तोडऩे वालों को ई-चालान भेजा जाता है। इसमें ऑटोमेटिक चालान कट जाता है। इसके अलावा तेज गति से वाहन चलाने वालों के खिलाफ उनके रजिस्टर्ड मोबाइल पर यह मैसेज भी भेज दे दिया जाता है। जिसमें लिखा होता है कि आपने वाहन को काफी तेज गति से चलाया है। इसलिए फाइन भरना होगा। अगर यह गलती तीन बार हो जाती है, तो उनका ड्राइविंग लाइसेंस भी कैंसिल किया जा सकता है।

हर महीने 48 लाख खर्च

रांची में स्थित दोनों इंटरसेप्टर वाहनों में हर महीने करीब 48 लाख रुपए खर्च किए जाते हैं। वाहन में तैनात जवानों के अलावा पेट्रोल-डीजल और रखरखाव में ये पैसे खर्च किए जाते हैं। वाहन में लगे इंटरसेप्टर की कीमत 22 लाख रुपए है, वाहन की कीमत अलग। लेकिन इतना खर्च करने के बाद भी सरकार को इसकी मदद से रेवेन्यू न मिले तो यह सिर्फ नुकसान के अलावा कुछ नहीं है। हालांकि पुलिस विभाग के अधिकारियों की यह दलील है कि एक इंटरसेप्टर से चालान काटा जा रहा है। हर दिन 20 से 25 चालान कट रहे हैं। जबकि सीएम आवास के पास खड़े वाहन से चालान नहीं कट रहा है।

क्यों नहीं हो रहा इस्तेमाल

राजधानी रांची की कौन सी सड़क पर वाहनों की अधिकतम स्पीड सीमा क्या होगी, इसका निर्धारण अबतक नहीं किया गया है। शहर में सड़क दुर्घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह वाहनों की स्पीड ज्यादा होना है। हालांकि, ट्रैफिक पुलिस ने इस बारे में कई बार दावा भी किया है कि जल्द ही स्पीड लिमिट तय कर दी जाएगी। कुछ महीने पहले स्पीड लिमिट जारी भी की गई थी, लेकिन इसका कहीं भी सख्ती से पालन नहीं कराया गया। न ही कहीं सूचना बोर्ड लगाए गए और न ही स्पीड में वाहन चलाने वाले चालकों पर कोई कार्रवाई की गई।