RANCHI :कबाड़ में भी सुनहरा कॅरियर हो सकता है यह कोई सोच भी नहीं सकता। इस बिजनेस को लोग छोटा और अपने लेवल का नहीं मानते। मगर रांची के ही एक ऐसे युवा शख्स हैं जिन्होंने कबाड़ के बिजनेस से ही अपना फ्यूचर संवारा है। आज यूथ जहां नौकरी तलाशने में अपनी जवानी गुजार दे रहे है। उसी दौर में नामकुम के शुभम कुमार एक मिसाल बनकर उभरे हैं। ये खुद का व्यवसाय करने के साथ ही दूसरों को भी नौकरी दे रहे हैं। जी हां, इन्होंने नोएडा से एमबीए की पढ़ाई की और फिर दूसरे युवकों की ही तरह नौकरी की तलाश में जुट गए। लेकिन इसी बीच उनकी मुलाकात कबाड़ बेचने वाले से हुई। उसकी इनकम जान शुभम ने भी कबाड़ के कारोबार में ही अपना कॅरियर बनाने का मन बना लिया। फिर क्या, इसके बाद उन्होंने द कबाड़ी डॉट कॉम की स्थापना की और जंक सॉल्यूशन प्रा.लि। के नाम से कंपनी का रजिस्ट्रेशन कराया। शुरुआत में एक रिक्शा, एक ऑटो और तीन लोगों के साथ मिलकर घर-घर जाकर कबाड़ का कलेक्शन करना शुरू किया। आज इस कंपनी में महीने का टर्न ओवर आठ से दस लाख रुपए तक पहुंच चुका है। शुभम बताते हैं कि महीने में 40 से 50 टन कबाड़ी उठाते हैं।

28 लोगों का बन चुका है परिवार

दो साल पहले चार लोगों के साथ इस कंपनी की शुरुआत हुई थी। आज इस कंपनी में 28 लोगों को रोजगार मिल चुका है। जबकि ऑटो की संख्या पांच और ई-रिक्शा भी पांच हो चुके हैं। इसके अलावा रांची में तीन अलग-अलग स्थानों पर वेयर हाउस भी ले लिया गया है। शुभम ने बताया कि दो साल पहले मैं खुद रोजगार के लिए भटक रहा था लेकिन आज दूसरों को रोजगार उपलब्ध कराकर मुझे बेहद खुशी महसूस होती है।

क्या करते हैं कबाड़ का

सिटी से निकले वाले कबाड़ को रिसाइक्लिंग के लिए भेजा जाता है। लोहे, कागज, गत्ते, प्लास्टिक को अलग-अलग फैक्ट्री में भेज कर उसे रिसाइकिल किया जाता है और फिर से उसे प्रयोग लायक बनाया जाता है। कागज को रायपुर, प्लास्टिक नोएडा, मेटल स्क्रेप गिरीडीह और ई-वेस्ट को दिल्ली के रिसाइक्लिंग फैक्ट्री में भेजते हैं। वहीं जिन लोगों से कबाड़ लिया जाता है उन्हें उचित तौल के साथ सही मूल्य भी दिया जाता है। जिनसे कबाड़ लेते हैं उन्हें पक्की बिल भी दी जाती है। शुभम ने बताया कि फिलहाल तो फोन कॉल पर हमारी टीम कबाड़ कलेक्शन करने जाती है लेकिन भविष्य में सभी वार्ड में घूमकर कबाड़ और सूखा कचरा का भी कलेक्शन करेंगे, इसके लिए नगर निगम से भी बात चल रही है। द कबाड़ी डॉट कॉम की मेहनत और लगन देखकर झारखंड सरकार ने इस कंपनी को स्टार्टअप में शामिल कर लिया है।