रांची (ब्यूरो)। झिरी में शुरुआत में कुछ स्थानों पर गिरने वाली गंदगी आज कई एकड़ में फैल चुकी है। पूरे दिन गंदगी से भरे ट्रैक्टर यहां आते रहते हैं। हर तरह के वेस्ट मैटेरियल इस स्थान पर फेंके जा रहे हैं। यहां तक कि सेप्टिक टैंक से निकलने वाली गंदगी भी यहां लाकर फेंक दी जाती है। गंदगी की वजह से आस-पास के इलाकों में बदबू फैलता रहता है। यहां से गुजरने वाले लोगों को भी परेशानी होती है। दिनों दिन यह पहाड़ बढ़ता ही जा रहा है।

कूड़े के पहाड़ में लगी आग

कचरे के पहाड़ में आग लगने से यहां का वातावरण और ज्यादा खराब हो गया है। इस आग से जहरीला धुआं 24 घंटे निकलता रहता है। यह धुआं आस-पास के मुहल्लों में फैल रहा है जिसका यहां रहने वाले लोगों की सेहत पर भी असर पड़ रहा है। हनुमान नगर, आनंद नगर, चाणक्यपुरी, झिरी, कमड़े, टेंडर, मनातू में रहने वाले लोगों की जिंदगी नर्क हो गई है। झिरी में रहने वाले सुरेश ने बताया कि काले धुएं की वजह से उनके पिताजी की सेहत हमेशा खराब रहती है। अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है, जिनके ऊपर शहर की सफाई की जिम्मेदारी है वही इस स्थान में जहर घोलने का काम कर रहे हैं। लोगों को बीमारियां बांट रहे हैं। गंदगी और बदबू परोस रहे हैं। सुरेश ने बताया कि करीब बीस दिन से कचरे में आग लगा हुआ है। हर वक्त काला धुआं उठता रहता है। जिससे आसपास रहने वाले लोगों को सांस तक लेने में परेशानी हो रही है। आग कैसे लगी इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है। हालांकि यहां के लोग जो कचरा चुनने का काम करते हैं, उनलोगों ने बताया कि कचरे के अंदर आग जलती रहती है। नगर निगम के पानी टैंकर और दमकल गाडिय़ां भी आते हैं आग बुझाने। लेकिन ऊपर-ऊपर आग बुझाकर वे लोग चले जाते हैं। कचरे के अंदर सुलगती चिंगारी फिर से आग बन कर उठने लगती है।

40 एकड़ में फैला कूड़े का पहाड़

झिरी स्थित डंपिंग यार्ड 40 एकड़ में फैला हुआ है। यहां हर दिन करीब 600 मीट्रिक टन कचरा डंप किया जा रहा है। कचरे का यह पहाड़ एक दिन, एक महीने या एक साल में खड़ा नहीं हुआ, बल्कि बीते 27 सालों से यह प्रक्रिया चल रही है। इस स्थान पर लगातार कचरा तो फेंका गया लेकिन उसे कभी भी डिस्पोज करने का प्रयास नहीं किया गया। आस-पास में बड़ी आबादी रहती है। इसके अलावा छोटी-बड़ी कुछ दुकानें भी हैं। कुछ लोगों का जीवन भी इसी कचरे पर निर्भर हो गया है। यहां रहने वाले कुछ लोग गिरने वाली गंदगी से लोहा, प्लास्टिक, बोतल, शीशा आदि चुनकर बेचने का काम करते हैं। हर चीज का रेट भी तय है। जैसे प्लास्टिक 15 रुपये, बोतल एक रुपये से दो रुपये चुनने वाले खरीद कर ले जाते हैं। इसे वे लोग कबाड़ी वाले को बेचते हैं। जिससे कुछ आमदनी हो जाती है। लेकिन उन्हें इससे नुकसान भी हो रहा है। कई तरह की बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं। फैलती गंदगी को रोकने के लिए यहां के लोगों ने कई बार आवाज उठाई, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला।

सारे दावे हुए हवा हवाई

झिरी में कचरे के इस पहाड़ के डिस्पोजल से लेकर रिसाइक्लिंग के कई दावे किए गए। नई एजेंसी जिसने भी कचरा साफ करने का काम लिया, सब ने झिरी की गंदगी को डिस्पोजल करने का प्रस्ताव दिया लेकिन किया नहीं। इतना ही नहीं, इस जगह पर बायो गैस प्लांट लगाने को लेकर गेल से करार भी किया गया। लेकिन वह भी अधर में लटका है। इसके अलाव कभी रोड बनाने तो कभी ईंट के निर्माण में इस कचरे का इस्तेमाल किए जाने का दावा किया गया। हालांकि सभी दावे अबतक हवा हवाई ही साबित हुए हैं।