रांची(ब्यूरो)। झारखंड में फार्मासिस्ट का टोटा ऐसा है कि एक नहीं बल्कि चार-चार दुकानों में एक ही फार्मासिस्ट का लाइसेंस टंगा है। यह कहीं से भी नियम के अनुकूल नहीं हैैं। लेकिन, फार्मासिस्ट की संख्या में कमी को देखते हुए राज्य सरकार की ओर से कोई कार्रवाई भी नहीं की जा रही है। अब फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया ने नया रेगुलेशन जारी किया है, जिसके तहत अब फार्मेसी में डिप्लोमा की परीक्षा पास करने वाले स्टूडेंट्स को एक और पात्रता परीक्षा देनी होगी। मौजूदा स्थिति यह है कि राज्य भर में थोक और खुदरा मिलाकर कुल 23 हजार दवा दुकानें हैैं। इन दुकानों का संचालन केवल 6 हजार फार्मासिस्ट के लाइसेंस से हो रहा है।

फर्जी फार्मासिस्ट की शिकायत

इन दिनों फर्जी फार्मासिस्ट के कई मामले सामने आए है। सिर्फ मेडिकल संचालक ही नहीं बल्कि फार्मेसी कांउसिल में भी फर्जी दस्तावेज के आधार पर रजिस्ट्रेशन करने का आरोप लगा है। जिसके बाद मामला काफी गर्म हो चुका है। यह आरोप और कोई नहीं बल्कि फार्मासिस्ट ऐसोसिएशन के सदस्यों ने ही लगाया है। जिसके बाद हेल्थ मिनिस्टर ने भी इसे गंभीरता से लिया है।

सिर्फ डिप्लोमा ही काफी नहीं

फर्जी फार्मासिस्ट के मामले को देखते हुए ही सेंट्रल लेवल पर अहम निर्णय लिया गया है। अब सिर्फ डिप्लोमा लेने भर से कोई भी फार्मासिस्ट नहीं बन सकता है। इसके लिए एग्जिट एग्जाम देना भी जरूरी होगा। फार्मेसी काउंसिल में रजिस्टे्रशन के लिए फार्मेसी में डिप्लोमा कर चुके स्टूडेंट्स को पात्रता परीक्षा देनी होगी। राजधानी में सैकडों फर्जी फार्मासिस्ट की आड़ में कई मेडिकल शॉप ऑपरेट हो रहे हैैं। इन मेडिकल शॉप से नकली दवाईयों की भी बिक्री का मामला सामने आ चुका है। कोरोना काल में जब विटामिन और कुछ जरूरी मेडिसीन काफी डिमांड में थे, उस वक्त भी नकली दवाईयों की बिक्री के मामले आए थे। जिस पर स्वास्थ्य विभाग ने सख्त कार्रवाई करते हुए कड़े एक्शन लिए हैं। वहीं फार्मेसी काउंसिल आफ इंडिया ने भी इस संबंध में रेगुलेशन लागू किया है। यह झारखंड में होनेवाले निबंधन पर भी लागू होगा। परीक्षा पास करने के बाद ही स्टूडेंट फार्मासिस्ट बन पाएंगे।

नियमावली बनाने में जुटा डिपार्टमेंट

एग्जिट एग्जाम लेने के लिए हेल्थ डिपार्टमेंट नियमावली बनाने में जुट गया है। यह नियमावली फार्मेसी काउंसिल आफ इंडिया द्वारा लागू रेगुलेशन के अनुसार ही तैयार किया जाएगा। फार्मेसी में हर साल करीब एक हजार स्टूडेंट डिप्लोमा करते हैं। इसके बाद इनमें से अधिकतर खुदरा या थोक मेडिकल शॉप संचालित करना शुरू कर देते हंै। मेडिकल स्टोर के लाइसेंस लिए सिर्फ फार्मेसी कांउसिल में रजिस्ट्रेशन करना होता था। लेकिन अब इन स्टूडेंट्स को डिप्लोमा इन फार्मेसी एग्जिट एग्जामिनेशन भी पास करना होगा। यह एलिजिब्लिटी टेस्ट होगा, जिसे काउंसिल ऑफ इंडिया के मानकों पर तैयार करना होगा। वर्ष 2021-22 के स्टूडेंट पर यह रेगुलेशन लागू होगा।

साल में दो बार ही पात्रता परीक्षा

यह परीक्षा साल में दो बार ली जाएगी। इसमें छात्र-छात्राओं को फार्मास्यूटिक्स, फार्मोकोलॉजी, फार्माकोग्नोसी, फार्मास्यूटिकल केमिस्ट्री, बायो केमिस्ट्री, हास्पिटल एंड क्लिनिकल फार्मेसी, फार्मास्यूटिकल जूरिस्प्रूडेंस एवं ड्रग स्टोर मैनेजमेंट से संबंधित सवालों के जवाब देने होंगे। परीक्षा में पास होने के लिए मिनिमम 50 परसेंट माक्र्स लाना अनिवार्य होगा। परीक्षा में पास होने वाले कैंडिडट्स को रजिस्ट्रेशन पर प्रैक्टिस का एलिजिबल सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा। जिसके बाद काउंसिल में रजिस्ट्रेशन करने के समय इस सर्टिफिकेट को जमा करना होगा।

ऑनलाइन रिन्यूअल पर भी उठ रहे है सवाल

रिन्यूअल पर भी सवाल उठाए गए हैं। ऑनलाइन रिन्युअल में अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार करने का मामला उजागर हुआ है। इस संबंध में ऐसोसिएशन के सदस्यों ने पुख्ता सबूत भी विभाग को उपलब्ध कराए हंै। ऐसोसिएशन के सदस्यों ने बताया कि कुछ फार्मासिस्टों का निधन हो चुका है। लेकिन उनके नाम पर ऑनलाइन रिन्यूअल अब भी कराया जा रहा है। इसे रोकने के लिए लाइसेंस रिन्यूअल में बायोमैट्रिक सिस्टम लागू करने की मांग की गई है। ताकि जिन्हें अपने लाइसेंस रिन्युअल कराना हो वे खुद वहां मौजूद रहें।

राजधानी में भी फर्जी सर्टिफिकेट

राजधानी रांची में सैकड़ों मेडिकल स्टोर खुले हुए हैं। इस कारोबार को करने के लिए फार्मासिस्ट की पढ़ाई जरूरी होती है। लेकिन कई बार यह बात सामने आ चुकी है कि किसी के भी नाम पर कोई दूसरा व्यक्ति मेडिकल स्टोर ऑपरेट कर रहा है, जिसकी उसे जानकारी तक नहीं। इन्हीं दुकानों में नकली दवाईयों से लेकर नशीली दवाईयों का भी कारोबार किया जाता है। कुछ दिन पहले ही रांची पुलिस ने एक मेडिकल स्टोर से कुछ सैंपल जब्त किया था। उसकी जांच होने से पहले ही सैंपल चोरी हो गए। जिस वजह से दुकानदार पर भी कार्रवाई नहीं हो पाई। तो वहीं कुछ महीने पहले एक मेडिकल स्टोर से भारी मात्रा में नशीली दवा भी बरामद की गई थी। राजधानी रांची में ही ड्रग कंट्रोलर का ऑफिस है। दवा के सैंपल चोरी के मामले पर ड्रग कंट्र्रोलर ऑफिस के कर्मियों पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं।