RANCHI: मिशनरीज ऑफ चैरिटी के ईस्ट जेल रोड स्थित निर्मल हृदय समेत हिनू स्थित शिशु सदन को शुक्रवार को सील कर दिया गया। साथ ही डोरंडा थाना क्षेत्र के हिनू स्थित शिशु भवन से 22 बच्चों को हटाकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया गया है। इसकी पुष्टि सीडब्ल्यूसी की अध्यक्ष रूपा कुमारी ने की है। सभी बच्चों को दो एनजीओ के शेल्टर होम में शिफ्ट किया गया है। साथ ही शिशु सदन के सभी दस्तावेजों को भी जब्त कर लिया गया। गौरतलब हो कि शिशु सदन में अनाथ बच्चों को रखा जाता था। बुधवार को मिशनरीज ऑफ चैरिटी की संस्था निर्मल होम से एक बच्चे को बेचे जाने का मामला उजागर होने के बाद सीडब्ल्यूसी ने मिशनरीज ऑफ चैरिटी के खिलाफ कार्रवाई की है।

सीडब्ल्यूसी टीम का किया विरोध

बच्चों को जब शिफ्ट करने सीडब्ल्यूसी की टीम पहुंची, तो शिशु सदन के कर्मचारियों ने इसका विरोध कर दिया। टीम को शिशु सदन में एंट्री से रोकने का प्रयास किया गया। इसके बाद पुलिस बुलानी पड़ी। पुलिस की मौजूदगी में बच्चों को शिफ्ट किया गया।

रजिस्टर की जांच में जुटी टीम

रूपा कुमारी ने बताया कि अब संस्था के रजिस्टर आदि की जांच हो रही है। इसमें यह भी देखा जा रहा है कि शिशु भवन में रखे गए बच्चे का रजिस्ट्रेशन सीडब्ल्यूसी में हुआ है या नहीं। और इन बच्चों को कहां- कहां से लाया गया है। उन्होंने बताया कि संस्था के पूरे डॉक्यूमेंट की जांच की जा रही है। साथ ही साथ यह भी पता लगाया जा रहा है कि वहां से किन-किन बच्चों को बेचा गया है।

नेटवर्क खंगाल रही पुलिस

इन संस्थाओं में दलाल किनके माध्यम से पहुंचते हैं, कैसे इनका नेटवर्क चलता है। इन मामलों का खुलासा करने में सीडब्ल्यूसी की टीम जुट गई है। अबतक जांच में टीम को यह पता चला कि बच्चा बेचने के मामले में यूपी, बिहार, महाराष्ट्र और तमिलनाडु के दलाल सक्रिय हैं। वे पहले ही पता लगा लेते हैं कि किस राज्य में किस शेल्टर होम के पास गर्भवती महिला है और उसका टाइम पीरियड क्या है? इस आधार पर वह ग्राहकों से सौदा करता है। टीम को इस मामले में पांच दलालों के नाम मिले हैं, जो इस धंधे में सक्रिय हैं।

रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में होगी जांच, कमिटी गठित

मिशनरीज ऑफ चैरिटी संस्था में बच्चों के सौदे का मामला उजागर होने से राज्य में हड़कंप मच गया है। अब इस मामले की उच्च न्यायालय के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में जांच कराई जाएगी। राज्य पुलिस मुख्यालय ने गुरुवार को इस संबंध में प्रस्ताव तैयार किया है। उच्चस्तरीय जांच टीम में हर जिले के सीडब्लूसी सदस्य, डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड प्रोटेक्शन अफसर, सोशल वेलफेयर एक्टिविस्ट, एसपी सीआईडी, एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट प्रभारी और जिले की महिला थानेदार को शामिल किया जाएगा। सीडब्लयूसी इस मामले में जांच कर रही है, जनवरी 2016 में 108 गर्भवती महिलाएं थी, लेकिन कानूनी तौर पर एडॉप्शन के लिए महज 10 बच्चों को ही सीडब्लयूसी के समक्ष प्रस्तुत किया गया।

विशेष शाखा ने सरकार को दी रिपोर्ट

विशेष शाखा ने मिशनरीज ऑफ चैरिटी की संदिग्ध गतिविधियों को लेकर रिपोर्ट सरकार को दी है। अब स्पेशल ब्रांच, सीआईडी, रांची पुलिस समेत अन्य जिलों की पुलिस मिशनरीज ऑफ चैरिटी की गतिविधियां को संदिग्ध मानते हुए जांच कर रही है।

जांच के महत्वपूर्ण बिंदु

-ऐसी संस्थाएं गर्भवती महिला की डिलीवरी कहां कराती है, वहां जाकर बच्चों के रिकार्ड लेना, उस रिकॉर्ड का संस्था के रिकॉर्ड से मिलान कराना। संस्था में अगर बच्चों का रिकॉर्ड नहीं है तो इसकी जानकारी जुटाना।

-सभी एनजीओ और संस्थाएं जो शेल्टर होम चलाती हैं और गर्भवती महिलाओं की देखभाल करती हैं, उनके आर्थिक स्त्रोतों की जानकारी लेना।

-शेल्टर होम जेजे एक्ट समेत अन्य कानून का पालन कर रहे हैं या नहीं, इसकी जांच करना। यदि कानून का पालन नहीं हो रहा तो कानूनी कार्रवाई की जाए।

वर्जन

सीडब्ल्यूसी जब कार्रवाई करती है तो जहां-जहां जरूरत पड़ती है, उन्हें पुलिस फोर्स दिया जाता है। बच्चों की खरीद-फरोख्त के मामले में कोतवाली एएचटीयू में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। इसका अनुसंधान और छानबीन आईओ द्वारा किया जा रहा है।

-अनीश कुमार गुप्ता, एसएसपी, रांची

कोट

शिशु भवन में रखे गए बच्चों को सुरक्षा के दृष्टिकोण से हटा लिया गया है। प्रारंभिक दौर में यह पता लगाया जा रहा है कि शिशु भवन में रखे गए बच्चों का रजिस्ट्रेशन सीडब्ल्यूसी में हुआ है या नहीं। उन बच्चों की लिस्ट बनाकर उनके परिजनों तक पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है।

-रूपा कुमारी, अध्यक्ष, बाल कल्याण समिति