रांची (ब्यूरो)। जीवन के लिए पानी कितना जरूरी है, इस बात से हर कोई वाकिफ है। पानी के बगैर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। वहीं पानी जब सड़कों पर बर्बाद होता है तो हर समझदार नागरिक को इसकी चिंता होती है। राजधानी रांची के कई इलाकों में इसी तरह पानी की बर्बादी होती रहती है। सबसे ज्यादा पानी पाइपलाइन और वाटर टॉवर के समीप बर्बाद होता है। पीने का पानी लोगों के घरों तक न पहुंच कर सड़कों और मैदानों में बहकर बर्बाद हो जाता है। कुछ ऐसा ही नजारा इन दिनों अरगोड़ा चापूटोली स्थित वाटर टावर के आसपास देखा जा सकता है। मुहल्ले के ही एक जागरूक व्यक्ति ने इस मुद्दे को सोशल मीडिया पर उठाया है। लेकिन इसका भी कोई असर विभागीय अधिकारी-पदाधिकारी पर नहीं हुआ। हजारों लीटर पानी सड़क पर बहकर बर्बाद हो रहा है। जिस पानी से किसी की प्यास बुझ सकती थी, वो ऐसे ही नालियों में बह रहा है।

हर रोज यही नजारा

अरगोड़ा चापुटोली में रहने वाले लोगों ने बताया कि ऐसी स्थिति किसी एक दिन की नहीं, बल्कि हर रोज वाटर टॉवर के आसपास यही नजारा रहता है। हर दो दिन बाद जलमीनार की पाइप से लाखों लीटर पानी की बर्बादी होती है। सड़क पर पूरे दिन पानी बहता रहता है। इससे आने-जाने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। गौरतलब हो कि कुछ महीने पहले ही चापुटोली जलमीनार शुरू किया गया है। लेकिन जब से पानी की सप्लाई हो रही है, तब से यहां हर दिन पानी की बर्बादी होती है। जलमीनार की देखरेख करने वालों को भी इससे कोई मतलब नहीं है। यहां के कर्मी ने बताया कि टंकी में पानी ओवरफ्लो होने के कारण नीचे गिरने लगता है। हालांकि जिस पाइप से पानी का बहाव हो रहा है उसे न तो कनेक्ट किया गया है और न बंद किया गया है। पाइप खुली होने के कारण टंकी का पानी पाइप के माध्यम से सड़क पर बह रहा है। पानी के सड़क पर जमा रहने से सड़क भी खराब होने का खतरा बना रहता है।

रोड पर स्वीमिंग पूल-सा नजारा

अरगोड़ा में कुछ दिन पहले स्वीमिंग पूल सा नजारा था। दरअसल दो दिन पहले अरगोड़ा शिव दुर्गा मंदिर के समीप सप्लाई पाइपलाइन फट गई थी, जिस कारण लाखों लीटर पानी सड़क पर बहकर बर्बाद हो गया। आलम यह था कि इस सड़क पर चल पाना भी मुश्किल था। आसपास के लोगों ने बताया कि बारिश में भी इतना पानी सड़क पर नहीं होता, जितना पाइप के फटने पर बह गया। जल विभाग को सूचित करने के बाद भी इसे ठीक करने में एक दिन का वक्त लग गया। इसी प्रकार कई अलग-अलग इलाकों जैसे बरियातू, कांके, हरमू आदि स्थानों में पानी की बर्बादी होती रहती है। वहीं गली-मुहल्लों में पाइपलाइन के फटने से हर दिन पानी बर्बाद होता रहता है।

गर्मी के मौसम ने दी दस्तक

एक ओर पानी की बर्बादी हो रही है। वहीं दूसरी ओर पानी की किल्लत गहराने की आशंका बढ़ गई है। गर्मी ने दस्तक दे दी है। ग्राउंड वाटर लेवल नीचे जाने लगा है। जानकार बताते हैं कि अप्रैल महीने से पानी की किल्लत होनी शुरू हो जाती है। ऐसे में पानी को जितना बचाया जाए, उतना अच्छा है। एक अनुमान के अनुसार, रांची में हर दिन करीब एक लाख लीटर पानी की बर्बादी होती है। यह पानी किसी के घर तक नहीं पहुंचकर नालियों में बहकर बर्बाद हो जाता है। एक ओर करोड़ों रुपए खर्च कर वाटर टॉवर तो बनाए जा रहे हैं लेकिन दूसरी ओर जर्जर हो चुकी पाइपलाइन को बदला नहीं जा रहा है। इस कारण हर दिन लिकेज, पाइप फटने की समस्या बनी रहती है।