रांची (ब्यूरो)। नामकुम के रहने वाले अरविंद गोप परेशान हैं कि सभी कागजात देने के बाद भी उनका दाखिल खारिज रिजेक्ट कर दिया गया है। रिजेक्ट इसलिए किया गया कि उसने सीओ ऑफिस में हार्ड कॉपी जमा नहीं की थी, सिर्फ ऑनलाइन आवेदन जमा किया था। यह मामला सिर्फ नामकुम अंचल का इकलौता नहीं है, बल्कि पूरे नामकुम अंचल में ऐसे 24,456 मामले हैं, जिनका अवेदन रिजेक्ट कर दिया गया है। वहीं कांके अंचल में 28,445, रातू में 15,308, बडग़ाई में 10503, नगड़ी में 12,682 और अरगोड़ा में 7803 दाखिल खारिज को रिजेक्ट कर दिया गया है।

बहाने बनाकर रद्द

दाखिल खारिज के आवेदन को बहाने बना कर रद्द किया जा रहा है। दाखिल-खारिज के लंबित मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। दाखिल-खारिज के आवेदन बड़ी संख्या में खारिज भी किए जा रहे हैं। कई अंचलों में 75 प्रतिशत तक आवेदन खारिज किए जा रहे हैं। अंचल कार्यालयों में कोई ना कोई बहाना बनाकर आवेदन खारिज कर दिया जा रहा है। लोग महीनों चक्कर लगाते हैं, उसके बाद पता चलता है कि उनका आवेदन रिजेक्ट कर दिया जाता है।

डीसी ने बनाई जांच कमिटी

बड़ी संख्या में आवेदन खारिज किए जाने और मामला लंबित रखे जाने की जांच के लिए उपायुक्त छवि रंजन ने प्रशासनिक अधिकारियों की कमिटी बनायी है। यह कमेटी अंचलों में जाकर औचक जांच करेगी। दाखिल खारिज के लंबित मामलों की समीक्षा के दौरान अत्यधिक आवेदन खारिज किए जाने का मामला सामने आया था। इसके बाद इसकी जांच का निर्देश उपायुक्त ने दिया था। अपर समाहर्ता, एसडीओ, एलआरडीसी और अन्य अधिकारियों की एक कमेटी बनायी गई है। यह कमेटी सभी अंचलों में म्यूटेशन के मामलों की जांच करेगी। यह पता लगाया जाएगा कि आवेदनों को खारिज करने का आधार क्या है। बिना वाजिब कारणों के आवेदनों को खारिज किया गया है या नहीं।

8 सीओ के कामकाज की होगी जांच

डीसी ने अनगड़ा, नगड़ी, नामकुम, बुढ़मू, रातू, सिल्ली, तमाड़ और कांके अंचल में आवेदनों को खारिज किए जाने पर विशेष जांच का आदेश दिया है। कमेटी को यह बताने को कहा गया है कि इन अंचलों में योगदान की तिथि से अंचलाधिकारियों ने कितने मामलों का निष्पादन किया है। कई बार कर्मचारी व सीआई की पॉजिटिव रिपोर्ट के बावजूद सीओ के स्तर से आवेदन को रिजेक्ट कर दिया जा रहा है। आवेदक की परेशानी तब और बढ़ जाती है, जब उसे रिजेक्ट होने का स्पष्ट कारण भी नहीं बताया जाता। आवेदकों के जमा किए गए आवेदन में कमी रहने पर उसे सूचना देनी चाहिए, मगर ऐसा नहीं हो रहा है।

ऑनलाइन है तो हार्ड कॉपी क्यों

पिस्का मोड़ के रहने वाले आशिष मिश्रा बताते हैं कि झारखंड में म्यूटेशन के लिए ऑनलाइन व्यवस्था होने के बावजूद हार्ड कॉपी मांगने का सिलसिला खत्म नहीं हुआ है। ऑनलाइन आवेदन के बावजूद हार्डकॉपी की मांग की जाती है। अगर किसी ने आवेदन में दिए गए दस्तावेज की हार्डकॉपी जमा नहीं की तो उसका आवेदन लटक जाता है। कई बार इस कारण से उसे रिजेक्ट भी कर दिया जा रहा है।

दाखिल खारिज के मामले रिजेक्ट करने की शिकायत आ रही थी, क्यों आवेदन रिजेक्ट किए जा रहे हैं, इसकी जांच करने के लिए सीनियर अधिकारियों की कमेटी बनाई गई है, कमेटी की रिपोर्ट के बाद कार्रवाई भी होगी।

-छवि रंजन, डीसी, रांची