RANCHI : आज से नवरात्र शुरु हो रहा है। यह पर्व ना सिर्फ हमें शक्ति की उपासना का मौका देता है, बल्कि इसमें महिलाओं को सम्मान देने की परंपरा भी है। महिलाओं को इस तरह किसी पर्व से जोड़कर खास सम्मान देने की परंपरा शायद ही कहीं देखने को मिलती है। इस नवरात्र हम ऐसे ही युवतियों से आपको परिचय करा रहे हैं, जिन्होंने अपने काम से न सिर्फ अपनी अलग पहचान बनाई हैं, बल्कि समाज को भी दिशा दे रही हैं। पहली कड़ी में हजारीबाग की रहने वाली नंदिनी चक्रवती से आपको रु-ब-रु करा रहे हैं, जो बच्चों के बीच बस वाली आंटी के नाम से मशहूर हैं। वे न सिर्फ गरीब बच्चों को मुफ्त में ट्यूशन पढ़ाती हैं, बल्कि जरूरतमंदों बच्चों की मदद के लिए चौबीस घंटे तैयार रहती हैं।

'बस वाली आंटी'

हजारीबाग के शिवदयालनगर की नंदिनी चक्त्रवर्ती अपने शहर में 'बस वाली आंटी ' के नाम से मशहूर हैं। नंदिनी पहली लेडी बस ड्राइवर हैं, जो किसी भी सिचुएशंस में बस ड्राइविंग की ड्यूटी डटकर करतीं नजर आएंगी। संस्कृत में एमए तक की पढ़ाई कर चुकीं नंदिनी चक्रवती पूरे दिन बस को ड्राइव करते हुए 60 किलोमीटर की दूरी तय करती हैं। स्कूल बस के बच्चों के बीच नंदिनी जितनी पॉपुलर और फेवरेट हैं, उतनी ही पेरेंट्स के बीच भी। बच्चों ने नंदिनी के डिफरेंट और केयरिंग होने की वजह से ड्राइविंग करते वक्त वीडियो भी बनाया और उसे सोशल नेटवर्किग साइट पर वायरल भी किया।

ऐसे शुरु हुई ड्राइविंग

नंदिनी चक्त्रवर्ती बताती हैं कि साल 2004 में वह अपने दोनों बच्चों का एडमिशन डीएवी स्कूल में कराना चाहती थीं, लेकिन उस वक्त उनके पास उतने पैसे नहीं थे। ऐसे में स्कूल में पढ़ाना शुरू कर दिया। इस दौरान उसने कुछ करने की ठान ली। इसकी शुरुआत उन्होंने बैंक से लोन लेकर वैन खरीदी। वैन को स्कूल की पिक एंड ड्रॉप फैसिलिटी के लिए रखा। लेकिन, अचानक ही ड्राइवर की तबीयत बिगड़ गई। 15 दिन ही हुए थे नंदिनी को ड्राइविंग सीखे कि उन्हें खुद ही स्कूल के बच्चों को वैन से स्कूल ड्रॉप करना पड़ा और यहीं से शुरू हुई नंदिनी की ड्राइविंग की यात्रा।

शुरू में मजाक उड़ाते थे लोग

पहली लेडी बस ड्राइवर होना हजारीबाग के लोगों के लिए अटपटा था। नंदिनी बताती हैं कि खासकर उन्हें मेल बस ड्राइवर्स और कुछ लोगों की ओर से कमेंट्स झेलने पड़े। लोग मजाक उड़ाते, तो कभी अटपटी बातें कहकर चिढ़ाते। इसके बावजूद नंदिनी ने इन बातों की परवाह नहीं की और ड्राइविंग को अपना पेशा बना लिया। साल 2004 के बाद नंदिनी ने अपने बल पर पांच वैन खरीदीं। इनमें दो वैन, एक टाटा मैजिक और दो मिनी बस शामिल थीं। इन्हें नंदिनी ने पिछले दस साल की कमाई के बूते खरीदा। फिलहाल उन्होंने पांच ड्राइवर्स को जॉब भी दे रखी है

गरीब बच्चों को मुफ्त में ट्यूशन (बॉक्स)

अपनी ड्यूटी पूरी करने के बाद नंदिनी शाम के वक्त गरीब बच्चों को मुफ्त में ट्यूशन भी देती हैं। इन बच्चों के पेरेंट्स के अनपढ़ होने की वजह से इनका एडमीशन नहीं हो पाया था। नंदिनी बताती हैं कि उन्होंने इन बच्चों की जिम्मेदारी लेते हुए उन्हें पढ़ाने और गाइड करने की रिटेन गारंटी लेते हुए डीएवी स्कूल में एडमीशन दिलाया। इन बच्चों में ज्यादातर लड़कियां हैं, जो गरीब परिवार से हैं। वे इन सभी बच्चों को मुफ्त में ट्यूशन दे रही हैं।

मिल चुका है कई सम्मान (बॉक्स)

नंदिनी को महिला सशक्तीकरण के लिए कई सम्मान अबतक मिल चुके हैं, जिसमें 2010 में इनफ्लक्स, 2012 में युवा प्रहरी, 2015 में मुंबई में राष्ट्रीय स्तर पर मून प्राइड अवार्ड और 2016 में ब्रेकशू से सम्मान मिल चुका है।