रांची (ब्यूरो): सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड (सीयूजे) के वाणिज्य एवं वित्त विभाग में चल रहे आत्मनिर्भर भारत : बिङ्क्षल्डग रेजिलीयंस, सस्टैनबिलिटी एंड ग्लोबल कम्पेटिटिवनेसविषय पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार का समापन हो गया। पिछले दो दिनों से इस सेमिनार में आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के विभिन्न आयामों पर देश के अनेक भागों से आए विशेषज्ञों एवं शोधार्थियों ने अपने विचारों और शोध आलेखों के माध्यम से मनन किया।

तीनों तत्वों का विशेष महत्व

समापन समारोह के मुख्य अतिथि बिनोद बिहारी कोयलांचाल विश्वविद्यालय के वीसी प्रो सुखदेव भोई ने कहा कि प्रत्येक नागरिक के विजन और मिशन में आत्मनिर्भर भारत, मेक इन इंडिया और वोकल फार लोकल इन तीनों तत्वों का विशेष महत्व है। सीयूजे के वीसी प्रो क्षिति भूषण दास ने कहा कि देश का आधारभूत ढांचा पहले काफी मजबूत है। जिसमें इन्हेरेंट रेजिलिएंस, हेङ्क्षल्पग इन्वायरान्मेंट और ईज आफ बिजनेस शामिल है। उन्होंने कहा कि आर्थिक नीति और उसकी पहल हमें मौजूदा समय में आत्मनिर्भर भारत निर्माण की ओर ले जा रही हैं।

50 प्रतिशत से अधिक जीडीपी कृषि पर आधारित

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय रांची के निदेशक (शोध) प्रो डीएन ङ्क्षसह ने कहा कि भारत कृषि प्रधान देश है। यहां 50 प्रतिशत से अधिक जीडीपी कृषि पर आधारित है। वाणिज्य और वित्त विभाग के अध्यक्ष डॉ केबी ङ्क्षसह ने कहा कि लगभग 200 शोध आलेख इस बात का प्रमाण है कि हमने आत्मनिर्भर भारत के निर्माण से संबंधित अनेक पक्षों को एक दूसरे से साझा किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव एसएल हरि कुमार, प्रो भगवान ङ्क्षसह, प्रो सुभाष यादव, प्रो वीके श्रोत्रिय, प्रो अजय द्विवेदी, डॉ केबी ङ्क्षसह, डॉ बटेश्वर ङ्क्षसह, डॉ अजय प्रताप यादव, डॉ उपेंद्र सत्यार्थी, अमित यादव एवं अनेक विद्यार्थी और शोधार्थी मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ प्रणय पराशर ने किया।