अपने ही साथियों ने किया रेप
महिला कॉमरेड ने पुलिस को बताया है कि भाकपा माओवादी से जुडऩे के साथ ही उसपर साथियों की गलत नजर पडऩे लगी थी। संगठन ज्वाइन करते ही  सब-जोनल कमांडर दिवाकर जी और स्क्वॉयड मेंबर  वीरेंद्र जी उसके साथ जोर-जबरदस्ती करने लगे थे। पांच सालों तक संगठन से जुड़ी रही। इस दौरान पुरुष कॉमरेडों की हरकत से परेशान हो संगठन छोडऩे का मन बना लिया। एक बार भागकर अपने एक रिलेटिव के घर छिप गई थी। लेकिन, सब-जोनल कमांडर छोटू और चंदन बंदूक की नोक पर उठाकर ले आए। इसके बाद कई बार सामूहिक दुष्कर्म हुआ।

चोरी का भी लगा दिया इल्जाम
महिला कॉमरेड बताती हैैं कि संगठन छोडऩे पर उन लोगों ने चोरी का इल्जाम लगा दिया। साथियों ने हथियार लेकर भागने का आरोप लगाया। लगाए गए इल्जाम का विरोध करने पर लाठी-डंडे से पिटाई भी की गई। बेहोश होने पर वे छोड़कर भाग गए।

शोभा को भी नहीं छोड़ा साथियों ने
वेस्ट बंगाल और झारखंड में एमसीसी की एरिया कमांडर रह चुकी शोभा मरांडी उर्फ उमा उर्फ शिखा ने कोलकाता पुलिस को बयान दिया था कि नक्सली लीडर्स अक्सर महिला कॉमरेडों के साथ रेप करते हैैं, इसलिए वो इन्हें कभी लाइक नहीं करती थी। शोभा कहती हैैं कि नक्सली ग्रुप ज्वाइन करने के बाद उसे झारखंड के एक जंगल में कैंप में संतरी के तौर पर रखवाली के लिए उसे भेजा गया। एक दिन यहां रात में मिलिट्री कमीशन के हेड विकास ने पानी मांगने के बहाने हाथ पकड़ लिया और जबर्दस्ती करने पर उतारू हो गया। विकास को जब ऐसा करने से मना किया   तो उसने जान से मार देने की धमकी दे दी। इसके बाद उसने इज्जत लूट ली। जिस वक्त यह हादसा हुआ, उस वक्त शोभा महज 17 साल की थी।

किशनजी भी कुछ कम नहीं
बात यहीं खत्म नहीं होती है। शोभा ने पुलिस को यह भी बताया कि दुष्कर्म के बाद विकास ने इस बात का जिक्र कहीं नहीं करने की धमकी दी थी। एक दिन मैैंने हिम्मत कर अपने साथ हुई इस घटना की जानकारी किशन जी के खास आकाश को बता दी। आकाश ने विकास पर एक्शन लेने का आश्वासन दिया, लेकिन विकास पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। मुझे बाद में पता चला कि आकाश की वाइफ किशन जी के साथ रहती हैै। शोभा बताती हैैं कि संगठन में महिला मेंबर्स के इज्जत के साथ खिलवाड़ आम बात है। महिला कॉमरेडों की इज्जत के साथ संगठन के सीनियर लीडर्स खिलवाड़ करते हैैं। इनका कई-कई महिला नक्सलियों के साथ सेक्सुअल रिलेशनशिप है। इतना ही नहीं, अगर कोई महिला प्रिगनेंट हो जाती है तो उसका अबॉर्शन करा दिया जाता है।

 बाल दस्ते का भी करते हैैं इस्तेमाल
माओवादी अपने ऑर्गनाइजेशन को स्ट्रांग बनाने के लिए बाल बम विरोधी दस्ता का भी इस्तेमाल करते हैैं। नक्सली दस्ते में बच्चों को जबरन शामिल किया जाता है। इसके लिए भोले-भाले बच्चों को किडनैप करने से भी नक्सली बाज नहीं आते हैैं। साल 2009 में मांडर स्थित गवर्नमेंट स्कूल में पढऩेवाले एक छात्र काली मुंडा को नक्सली दस्ते में शामिल करने के लिए किडनैप कर लिया गया था। बाल दस्ते में शामिल होने के लिए उसपर काफी दबाव बनाया गया। जब उसने दस्ते में शामिल होने से इंकार कर दिया तो उसे नशीली इंजेक्शन दे दिया गया। तीन दिनों तक बेहोशी की हालत में काली जंगल में पड़ा रहा। इस दरम्यान जंगल में लकड़ी चुनने आई महिलाओं की नजर उसपर पड़ी। महिलाओं ने उसे हॉस्पिटल में एडमिट करा दिया। बहुत मुश्किल से काली की जिंदगी बच पाई।

महिला कॉमरेडों का होता है शोषण
कुछ दिन पहले रांची रेलवे स्टेशन के पास पुलिस की गिरफ्त में आए नक्सली नेता रामदास उर्फ नंदू जी ने भी आईबी, रांची पुलिस और स्पेशल ब्रांच को बताया था कि ऑर्गनाइजेशन में महिला कॉमरेडों की स्थिति ठीक नहीं है। यहां महिला कॉमरेडों को भोग-विलास और कैंप की रखवाली के लिए रखा जाता है। सीनियर नक्सली लीडर्स इनकी इज्जत से  खेलते हैैं। यही वजह है कि कई बार महिला मेंबर्स संगठन से भागकर पुलिस की शरण लेती हैैं। ऐसी घिनौनी हरकतों की वजह से नक्सली संगठनों के प्रति विश्वास कम हुआ है.