रांची (ब्यूरो) । रांची यूनिवर्सिटी की ओर से तीन जनवरी से शुरू हुए संकाय संवर्धन कार्यक्रम में बुधवार को एचआरडीसी के डायरेक्टर प्रोफेसर डॉ सुदेश कुमार साहू सम्मानित वक्ताओं का स्वागत किया। कार्यक्रम में 4 सत्रों में 4 विशेष विषयों पर आयोजित व्याख्यानों में प्रेसीडेंसी यूनिवर्सिटी, कोलकाता की प्राध्यापिका डॉ मुन्नी गुप्ता ने शोध व्यावसायिक विकास और शिक्षक नेतृत्व विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि शोध के अंतर्गत बोधपूर्वक प्रयत्न से तथ्यों का संकलन कर सूक्ष्मग्राही एवं विवेचक बुद्धि से उसका अवलोकन-विश्लेषण करके नए तथ्यों या सिद्धांतों का उद्घाटन किया जाता है।

शोध के बारे में बताया

शोध का परिचय देते हुए डॉ नगेंद्र लिखते हैं कि अनुसंधान का अर्थ है परिपृच्छा, परीक्षण, समीक्षण आदि। संधान का अर्थ है दिशा विशेष में प्रवृत्त करना या होना और अनु का अर्थ है पीछे, इस प्रकार अनुसंधान का अर्थ हुआ-किसी लक्ष्य को सामने रखकर दिशा विशेष में बढऩा अर्थात् किसी तथ्य की प्राप्ति के लिए परीक्षण आदि करना। अध्ययन से दीक्षित होकर शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करते हुए शिक्षा में या अपने शैक्षिक विषय में कुछ जोडऩे की क्रिया अनुसंधान कहलाती है। पीएचडी, एमफिल या डी.लिट्/डी.एस-सी। जैसी शोध उपाधियां इसी उपलब्धि के लिए दी जाती हैं। इनमें अध्येता से अपने शोध से ज्ञान के कुछ नए तथ्य या आयाम उद्घाटित करने की अपेक्षा की जाती है।

मौलिक कर्तव्य सभी के लिए

नई दिल्ली के मशहूर डॉक्यूमेंट्री मेकर और लेखक जैगम मुर्तजा़ ने मानव अधिकार और मौलिक कर्तव्य विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि हमारे जैसे लोकतांत्रिक देश में ऐसे कुछ अधिकार हैं जो प्रत्येक नागरिक को आवश्यक रूप से प्राप्त होते हैं। वैसे ही, ऐसे कुछ कत्र्तव्य हैं जिनका पालन लोकतंत्र में प्रत्येक नागरिक को करना होता है। इसी कारण भारत का संविधान नागरिकों को कुछ अधिकार प्रदान करता है। ये अधिकार ही मौलिक अधिकार कहे जाते हैं। रांची विश्वविद्यालय अंग्रेजी विभाग के प्राध्यापक डॉ सुमित कुमार डे ने ब्लूम्स टैक्सनॉमी ऑफ लर्निंग विषय पर व्याख्यान दिया। वहीं चौथे सत्र में डॉ नीकू कुमारी ने नैतिक शिक्षा विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि नैतिक शिक्षा हमें अपने व्यक्तित्व में सुधार का मौका देता है वह ऐसा व्यवहार प्रदान करता है, जिसके अनुसार अथवा जिसका अनुकरण करने से सबकी रक्षा हो सके। इसलिए हम कह सकते हैं कि नैतिकता वह गुण है और नैतिक शिक्षा वह शिक्षा है, जो कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति सम्पूर्ण समाज तथा देश का हित करती है।