रांची(ब्यूरो)। कड़कड़ाती ठंड में राजधानी रांची के सबसे बड़े गवर्नमेंट हॉस्पिटल रिम्स में लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ हो रहा है। यहां ठंढ से बचने के लिए मरीजों को तो कंबल उपलब्ध कराया जाता है, लेकिन उनके अटेंडेंट पूरी रात ठंढ में ठिठुर रहे हैैं। वहीं मरीजों को भी गंदा कंबल ही दिया जा रहा है। रिम्स में वैसे मरीज भी हैं, जिन्हें कंबल दिया ही नहीं गया है। आर्थो वार्ड में एडमिट चतरा से आए एक मरीज को कंबल नहीं दिया गया है। रिम्स में फर्श पर इलाज करवा रहे मरीजों को भी कंबल मयस्सर नहीं हो रहा है।

कंबल की संख्या नाकाफी

रिम्स के कंबल बैैंक से मरीज के अटेंडेंट्स को कंबल नहीं मिलने की वजह से ठंढ में बिना किसी इंतजाम के रात बितानी पड़ रही है। वैसे मरीज जिनके परिजन साथ में हैं और जो थोड़े संपन्न परिवार से हैं उन्हें ज्यादा परेशानी नहीं हो रही है, लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर और दूर-दराज से आए लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लातेहार से अपनी दादी के इलाज के लिए रिम्स में भर्ती कराने आए धनंजय महतो ने बताया कि आनन-फानन में दादी को भर्ती कराना पड़ा। उनको घर से हड़बड़ी में निकलना पड़ा था, ऐसे में गर्म कपड़े भी नहीं ले पाए थे। उन्होंने बताया कि कंबल लेने गए थे, लेकिन तीन घंटे लाइन में खड़े होने के बाद भी कंबल नहीं मिला। कंबल खत्म होने की बात कह कर लौटा दिया गया।

सफल नहीं हो रही व्यवस्था

रिम्स में मरीजों को तो कंबल मिल जाता था, लेकिन ठंड में अटेंडेंट परेशान रहते थे। अटेंडेंट की सुविधा को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2019 में कंबल बैैंक की शुरुआत की गई थी। बाद में यह सुविधा बंद कर दी गई थी। अब एक बार फिर से इसे शुरू किया गया है, लेकिन कंबल की संख्या कम रहने की वजह से सभी परिजनों को कंबल नहीं मिल पा रहा है। रिम्स में करीब 1500 मरीज भर्ती रहते हैं।

देनी पड़ती है सिक्योरिटी मनी

कंबल बैंक से कंबल देने की सर्विस फ्री है, लेकिन जिन्हें कंबल की जरूरत होती है उनसे दो सौ रुपए सिक्योरिटी मनी के रूप में जमा लिए जाते हैं। कंबल लौटाते वक्त ये पैसे भी वापस कर दिए जाते हैं। कंबल बैंक सुबह के सात से रात के नौ बजे तक खुला रहता है। यहां कोई भी अटेंडेंट अपना आधार कार्ड व मरीज की पर्ची दिखाकर कंबल प्राप्त कर सकते हैं। फिलहाल कंबल बैंक में 250 कंबल हैं। रिम्स प्रबंधन पांच सौ और कंबल खरीदने की तैयारी कर रहा है।

पारा घटते ही बढऩे लगे मरीज

ठंड बढ़ते ही रिम्स में मरीजों की संख्या में भी इजाफा हो गया है। ब्रेन स्ट्रोक, सांस की समस्या और निमोनिया वाले मरीज अधिक भर्ती हो रहे हैं। रिम्स के क्रिटिकल केयर विभाग के सभी 20 बेड फुल हो गए हैैं। सबसे ज्यादा बुजुर्ग मरीजों को समस्या बढऩे पर भर्ती करना पड़ रहा है। क्रिटिकल केयर यूनिट में पहले जहां तीन से चार मरीजों के भर्ती करने के लिए बेड की मांग आती थी, लेकिन अभी सात से आठ मरीजों के लिए परिजन बेड की मांग लेकर आ रहे हैं। मरीजों की संख्या बढऩे और बेड फुल होने के कारण कई मरीजों को फर्श पर ही इलाज कराना पड़ रहा है। न्यूरो सर्जरी विभाग का हाल सबसे ज्यादा खराब है। यहां दर्जनों मरीजों का इलाज अस्पताल के गलियारे में हो रहा है। कड़ाके की ठंड में दिन तो किसी तरह कट जाती है, लेकिन रात काटना सबसे ज्यादा कठिन हो गया है। मरीज के साथ-साथ उनके परिजनों को भी परेशानी हो रही है। वे भी बीमार पडऩे लगे हैं।

कंबल बैंक की शुरुआत की गई है। परिजनों को इससे लाभ मिलेगा। इसे बेहतर ढंग से संचालित करने के निर्देश दिए गए हैं। जल्दी ही और कंबल की खरीदारी की जाएगी।

- डॉ राजीव रंजन, पीआरओ, रिम्स