रांची(ब्यूरो)। राजधानी रांची सहित राज्य भर में बेटियों पर अत्याचार की घटनाएं हर दिन हो रही हैं। हाल के दिनों में इसमें इजाफा हो गया है। चिंता की बात यह है कि महिलाओं को न्याय मिलने वाला संस्थान ही डिफंक्ट पड़ा है। झारखंड में दो साल से महिला आयोग की अध्यक्ष और सदस्यों का पद खाली है। पीडि़त महिलाओं की सुनने वाला कोई नहीं है। इस वजह से उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही है। राज्य महिला आयोग के दरवाजे में गुहार लगाने वाली महिलाएं मायूस होकर लौट रही हैं।

फिलहाल तीन कर्मी

राज्य महिला आयोग में फिलहाल तीन कर्मी हैं, जो आयोग को किसी तरह संभाल रहे हैं। अध्यक्ष की मौजूदगी में यहां पहले लगभग 15 से 20 कर्मी कार्यरत थे। अब तो महिलाओं को भी पता चल चुका है कि राज्य महिला आयोग बंद है। ऐसे में यहां आने वाले आवेदनों की संख्या भी कम हो गई है, लेकिन फि र भी अब भी न्याय की गुहार लगाने वाली माहिलाओं की अमूमन प्रतिदिन एक से दो आवेदन स्पीड पोस्ट से पहुंच रहे हैं। फिलहाल करीब 36 सौ आवेदन पेंडिंग पड़े हैैं।

संभाल रहे अवर सचिव

अवर सचिव फिलहाल यहां का काम संभाल रहे हैं। यहां के कर्मियों का भी यही कहना है कि हर दिन शिकायतें आती हैैं, लेकिन महिलाओं की स्थिति को देख कर के वह उनकी मदद नहीं कर पा रहे हैं, मदद करना चाहते भी हैं लेकिन वह मजबूर हैं। जब तक विभाग का आदेश नहीं होता है तब तक आयोग का यही हाल रहेगा।

काम हो गया है ठप

अध्यक्ष के बिना महिला आयोग का काम पूरी तरह से ठप हो गया है। यहां अभी कार्यरत एक सफ ाई कर्मी, एक कंप्यूटर ऑपरेटर एवं एक सुरक्षाकर्मी महिलाओं को आश्वासन देने पर मजबूर हैं। अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद इन्हें भी हटा दिया जाएगा। वहीं, अवर सचिव प्रतिनियुक्ति पर है, इसलिए वह केवल कार्यालय के कार्य ही संभाल पा रहे हैं। महिलाओं की मदद नहीं कर पा रहे।