रांची(ब्यूरो)। राजधानी रांची में डेंगू का कहर जारी है। अस्पतालों में लगातार मरीज इलाज कराने आ रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए आने वाले मरीजों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है, प्राइवेट हॉस्पिटल्स में भी हर दिन सैकड़ों पेशेंट्स ट्रीटमेंट के लिए आ रहे हैं। इनमें भी कई मरीजों में डेंगू के लक्षण निकल रहे हैं। इधर रांची नगर निगम अब भी लापरवाह बना बैठा है। मुहल्लों और कॉलोनियों में कहीं फॉगिंग नहीं हो रही है। वीवीआईपी इलाकों में दवा का छिड़काव जरूर किया जा रहा है। लेकिन गली-मुहल्लों, बस्तियों तक निगम की गाड़ी नहीं पहुंच रही है। मधुकम के रहने वाले दीपक लोहरा ने बताया कि महीनों हो गए फॉगिंग मशीन को देखे। मुहल्ले की हालत खराब है। जहां-तहां कचरा और गंदगी फैली हुई है। बगैर बारिश के भी जलजमाव की स्थिति बनी रहती है। नालियों का बुरा हाल है। हर जगह मच्छरों के पनपने का पूरा इंतजाम है। लेकिन नगर निगम कोई एक्शन नहीं ले रहा है। किसी भी इलाके में गंभीरता पूर्वक साफ-सफाई नहीं कराई जा रही है। फॉगिंग और दवा का छिड़काव तो बहुत दूर की बात है।

नगर निगम के पास प्लान नहीं

एक ओर मच्छरों के डंक से जनता परेशान है। वहीं, दूसरी ओर नगर निगम की ओर से सिर्फ बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं। डोर टू डोर सर्वे और हर गली-मोहल्लों में डेंगू के लार्वा को नष्ट करने के लिए फॉगिंग किए जाने का ऐलान किया जा रहा है। लेकिन शहर में यह सर्वे टीम कहीं दिखाई नहीं पड़ रही है, किन-किन इलाकों में फॉगिंग की गई और आगे किन इलाकों में की जानी है, इसकी कोई सूचना खुद निगम के पास नहीं है। न ही नगर निगम ने कोई लिस्ट तैयार कर रखी है। मदद के नाम पर निगम की ओर से हेल्पलाइन नंबर जारी कर दिया गया है। इसी सूचना के आधार पर निगम की ओर से कर्मचारियों को फॉगिंग के लिए भेजा जाता है। लेकिन समस्या यह है कि अक्सर नगर निगम का हेल्पलाइन नंबर खुद ही हेल्पलेस रहता है।

वसूली का नया रास्ता

नगर निगम की ओर से भले फॉगिंग नहीं कराई जा रही है, लार्वा नष्ट नहीं किए जा रहे हैं। लेकिन निगम ने फाइन के रूप में वसूली का एक अैर रास्ता जरूर ढूंढ लिया है। दरअसल छतों पर रखे फूल के गमलों में डेंगू का लार्वा मिलने पर निगम ने पांच हजार रुपए तक जुर्माने का फरमान जारी कर दिया है। यहां बता दें कि राजधानी रांची में सबसे अधिक डेंगू के मरीज डोरंडा, मोरहाबादी, हरमू रोड, अरगोड़ा, रातू रोड, इरगू टोली, हिन्दपीढ़ी, कडरू और कोकर इलाके से निकल रहे हैं। लेकिन इन इलाकों में भी फॉगिंग नहीं हो रही है। हालांकि, नगर निगम यह दावा जरूर कर रहा है कि हिंदपीढ़ी इलाके में दवा का छिड़काव किया गया है।

पर्याप्त मशीन भी नहीं

जानकारी के अनुसार, मच्छरों से रोकथाम के लिए निगम के पास कुल 11 फॉगिंग मशीन हैं। इनमें 9 कोल्ड फॉगिंग और 2 थर्मल फॉगिंग मशीन हैं। इन्हीं मशीनों से पूरे 53 वार्ड में काम चलाया जा रहा है। सिर्फ नौ मशीन से पूरे निगम क्षेत्र में दवा का छिड़काव करना असंभव है। इन नौ मशीन में दो से तीन मशीन अक्सर खराब ही रहती है। ऐसे में हर इलाके में फॉगिंग नहीं हो पा रही है। निगम कर्मियों का भी कहना है कि एक वार्ड घूमने में ही पूरा दिन निकल जाता है। राजधानी में मौसम में बदलाव और साफ-सफाई के अभाव के चलते मच्छर और मक्खियों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। शाम होते ही घरों और आसपास मच्छरों के चलते शहरवासियों की परेशानी बढ़ जाती है। इसके बावजूद नगर निगम की ओर से कोई पहल नहीं की जा रही है। निगम के अधिकारियों के लापरवाह रवैये से बीमारी बढऩे का खतरा बढ़ गया है। हालत यह है कि पूर्व वार्ड पार्षदों की गुहार के बावजूद निगम की ओर से फॉगिंग मशीनों से दवा का छिड़काव नहीं किया जा रहा है।

बार-बार आग्रह करने के बावजूद फॉगिंग का काम बहुत लेट से शुरू किया गया है। इससे परेशानी बढ़ गई है। नगर निगम के पास जरूरत के हिसाब से पर्याप्त फॉगिंग मशीन नहीं है। शहर में मच्छरों की रोकथाम के लिए निगम को और फॉगिंग मशीन की जरूरत है।

-अरुण झा, पूर्व पार्षद, वार्ड 26