RANCHI: राजधानी के ज्यादातर एटीएम गार्ड मुक्त हो चुके हैं। एटीएम में कौन आ रहा है, क्या कर रहा है और कितनी देर एटीएम के भीतर गुजार रहा है, यह देखने वाला कोई नहीं है। वहीं, कोरोना की आड़ में ऐसे अनगिनत लोग हैं, जो हेल्मेट और मास्क पहनकर ही एटीएम में प्रवेश कर रहे हैं और पैसे निकाल रहे हैं। एक तरफ हर रोज फोन के माध्यम से लोगों को ठगने का मामला सामने आ रहा है, वहीं दूसरी ओर एटीएम से पैसे निकालने वालों की पहचान का संकट भी खड़ा हो गया है। एटीएम के भीतर चेहरा ढक कर आराम से पैसे निकाले जा रहे हैं, जिससे फर्जीवाड़ा करने वालों की पहचान मुश्किल हो गई है। मंगलवार को 'दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट' के रिपोर्टर ने जब शहर के विभिन्न इलाकों में स्थित एटीएम का रियलिटी चेक किया, तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।

नहीं है कोई रोकने-टोकने वाला

एसबीआई के कुछ एटीएम को छोड़कर बाकी सभी एटीएम सेंटर लावारिस मिले। यहां न तो कोई रोकने वाला मौजूद था और न टोकने वाला। रिपोर्टर ने अपना चेहरा हेलमेट, मास्क और सनग्लास से ढक कर एटीएम में एंटर किया। ट्रांजेक्शन भी किया। डीजे-आईनेक्स्ट के रिपोर्टर ने हर एटीएम में लगभग दस मिनट समय दिया। इस दौरान किसी भी तरह की सुरक्षा व्यवस्था नजर नहीं आई। जबकि एटीएम सेंटर के अंदर जाने से पहले चेहरा किसी तरह के मुखौटा, कपड़ा या हेलमेट से ढका नहीं होना चाहिए। लेकिन यदि कोई व्यक्ति चेहरा ढक कर जा रहा है तो उसे रोकने-टोकने वाला भी एटीएम में नहीं है।

क्यों जरूरी है पहचान

साइबर अपराधी अपने टार्गेट से पैसे ठगते हैं और उसे किसी ऐसे अकाउंट में डालते हैं, जिसके मालिक को भी पता नहीं होता कि उसके नाम से बैंक में खाता खुला है। ठगी के बाद अपराधी जल्दी से जल्दी अकाउंट से पैसे निकालते हैं। इसके लिए वे एटीएम को ही जरिया बनाते हैं। एटीएम के भीतर मौजूद कैमरे में चेहरा पहचाने जाने पर वेरीफिकेशन में आसानी होती है। एटीएम के भीतर अगर चेहरा छुपाकर ट्रांजैक्शन हो जाए, तो अपराधी को पकड़ना मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा कार्ड क्लोनिंग के लिए अपराधी आसानी से मशीन के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं। इसे देखते हुए एटीएम के भीतर मुखौटा या चेहरा छुपाकर जाना मना है। एटीएम में जब सुरक्षाकर्मी ही नहीं रहेंगे, तो वहां किसी को कोई रोकेगा ही नहीं। रांची में अधिकतर एटीएम में यही हो रहा है।

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मेन रोड

मेन रोड अल्बर्ट एक्का चौक के समीप स्थित यूनियन बैंक का एटीएम यूं ही लावारिस पड़ा रहता है। यहां सिर्फ मशीन में पैसे डालने के समय बैंक के कर्मचारी आते हैं, बाकी समय एटीएम में कोई नहीं रहता है। चेहरा पूरी तरह ढक कर अंदर गए लेकिन कोई था ही नहीं जो रिपोर्टर को रोके।

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हरिहर सिंह रोड

हरिहर सिंह रोड में अलग-अलग बैंकों के एटीएम हैं। एक भी एटीएम में सिक्योरिटी गार्ड तैनात नहीं है। फेस्टिवल की वजह से पूरी सड़क भी खाली थी। आस-पास में कोई पुलिस का जवान भी नहीं है जिसे कोई अनहोनी की सूचना दी जाए।

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ओल्ड एचबी रोड

एचबी रोड के एटीएम सेंटर का भी यही हाल है। एसबीआई के एटीएम में एक गार्ड तैनात मिला। उसने हेलमेट उतारने की बात भी कही। लेकिन थोड़ी ही दूरी पर पंजाब नेशनल बैंक के एटीएम सेंटर पर कोई मौजूद नहीं था।

चेक पर भी है चोरों की नजर

लोगों की सुविधा के लिए कई बैंकों ने अपने एटीएम में चेक डालने के लिए ड्रॉप बाक्स लगा रखा है। आप भी अगर इन ड्राप बॉक्स में चेक डालते हैं, तो आपको सावधानी बरतने की जरूरत है। दरअसल सिटी में इन दिनों चेक गायब करने वाला एक गिरोह घूम रहा है। यह गिरोह ड्रॉप बाक्स से चेक की चोरी करता है एवं उसे टेंपरिंग कर भंजाने की भी कोशिश करता है। मामला चुटिया थाने का है जहां चार दिनों में 13 चेक गायब होने की प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। इंडसइंड बैंक के एटीएम सेंटर से चेक गायब होने की बात कही गई है। 13 चेक जो गायब हुए हैं वे लगभग 15 लाख रुपए के थे। शिव शक्ति इंटरप्राइजेज का करीब 8 लाख रुपए, एमिल फार्मास्युटिकल लिमिटेड के सात चेक करीब 3.60 लाख रुपए के गायब हो गए। जब निर्धारित समय तक चेक क्लियर नहीं हुआ तो सभी ने बैंक में शिकायत की। इसके बाद बैंक मैनेजर ने थाने को इसकी सूचना दी। यदि एटीएम सेंटर पर गार्ड तैनात होते तो ऐसी नौबत नहीं आती।

सेंटर पर नहीं है कैमरा

शहर के कई एटीएम में कैमरे नहीं हैं। रियलिटी चेक के दौरान कई एटीएम मिले जहां सीसीटीवी कैमरा ही नहीं था। मेन रोड स्थित पीएनबी के एटीएम में कैमरा ढूंढने पर नहीं मिला। ऐसे में किसी तरह की घटना होने पर पुलिस के लिए भी अपराधी को ढूंढना चुनौती बन जाती है।