रांची: झारखंड में वन स्टेट वन टैरिफ लागू नहीं किया जाएगा। बिजली वितरकों के अलग-अलग क्षेत्र होने के कारण राज्य में यह संभव नहीं है। झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड की ओर से वन स्टेट वन टैरिफ लागू करने की मांग की गई थी। इस साल के टैरिफ पिटीशन में जेबीवीएनएल ने इसकी मांग की थी। हालांकि इसके बाद आयोग की ओर से जेबीवीएनएल से इस संबध में अन्य जानकारियां मांगी गई थीं। आयोग के लीगल ऑफिसर राजेंद्र नायक ने बताया कि राज्य में वन स्टेट वन टैरिफ लागू नहीं हो सकता। इसके लिए जेबीवीएनएल की ओर से जो सुझाव और प्रावधानों की जानकारी दी गई उससे अन्य बिजली वितरकों को नुकसान होने की आशंका है। इस मामले में जनसुनवाई के दौरान उपभोक्ताओं की ओर से भी आपत्ति दर्ज की गई थी, जिसमें अन्य वितरकों के नुकसान और जेबीवीएनएल के फायदे की बात की गई थी। इसके बाद आयोग की ओर से तय किया गया है कि राज्य में वन स्टेट वन टैरिफ लागू नहीं हो सकता।

अलग-अलग क्षेत्र होना वजह

राज्य विद्युत नियामक आयोग से जानकारी मिली कि राज्य के बिजली उत्पादक और बिजली वितरकों के क्षेत्र अलग-अलग हैं। कुछ कंपनियों के कमांड एरिया बड़े तो कुछ के छोटे हैं। ऐसे में वन स्टेट वन टैरिफ को लागू करना असंभव है। जेबीवीएनएल के अधिकारियों ने इस संबध में कहा था कि पुल का निर्माण किया जाए, जिससे बिजली एक सेंट्रल पुल से अन्य जगहों पर वितरित हो। ऐसे में पुल के जरिए जेबीवीएनएल को फायदा हो सकता है। वहीं अन्य वितरकों को नुकसान हो सकता है। इतने संसाधन भी नहीं हैं कि वितरकों की मॉनिटरिंग की जा सके। ऐसे में आयोग की ओर से वन स्टेट वन टैरिफ को लागू नहीं करने का फैसला लिया गया है।

जेबीवीएनएल नेदिया था पिटीशन

अपने टैरिफ पिटीशन में जेबीवीएनएल ने ये मांग उठायी थी, जिसमें सप्लाई के अनुसार टैरिफ तय करने की मांग की गई थी। इसमें एक पुल के माध्यम से बिजली वितरण और फंडिंग की बात की गयी है। हालांकि जेबीवीएनएल को इसके लिए उपभोक्ताओं की श्रेणीवार कैटेगरी नहीं बताई गई। बता दें कि इस महीने के अंत तक राज्य में बिजली की नई टैरिफ तय हो सकती है।