RANCHI : रिम्स का रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट इलाज की बजाय बीमारी बांट रहा है। यहां की एक्सरे मशीन से निकलने वाले रेडिएशन से जितना मरीजों का खतरा है, उतना ही यहां काम करने वाले टेक्निशियंस व स्टाफ्स को भी। इसकी वजह ये टेक्निशियंस बिना किसी सेफ्टी एप्रन, ग्लब्स, मास्क और कैप के ही मरीजों का पूरे दिन एक्सरे करते रहते हैं। अगर जल्द ही इन्हें सेफ्टी इक्विपमेंट्स उपलब्ध नहीं कराए गए तो इन्हें ब्लड कैंसर जैसी कई बीमारियां अपनी चपेट में ले सकती हैं। वहीं, टेस्ट कराने के लिए आने वाले मरीज के दूसरी बीमारियों के चपेट में भी आने की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता है।
खुला रहता है दरवाजा
रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट से रेडिएशन बाहर नहीं फैले, इसके लिए कई सेफ्टी मानकों का पालन किया जाना है। इसके लिए एक्सरे वाले कमरे में लेड की प्लेट लगी होनी चाहिए, लेकिन यहां यह तो नहीं ही लगा है, साथ में दरवाजा खोलकर मरीजों का एक्सरे किया जा रहा है। जिससे रेडिएशन का खतरा टेक्निशियंस के साथ-साथ मरीजों पर भी मंडराता रहता है। मालूम हो कि रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट में हर दिन लगभग 250-300 मरीजों का एक्सरे किया जाता है।
दर्जनों टेक्निशियंस के लिए मात्र दो एप्रन
रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट में दर्जनों टेक्निशियंस हैं, लेकिन उनके लिए मात्र दो एप्रन का ही इंतजाम है। ऐसे में ज्यादातर टेक्निशियंस बिना एप्रन के ही मरीजों का पूरे दिन एक्सरे किया करते हैं। ऐसे में मरीजों के साथ-साथ वे अपने स्वास्थ्य के लिए भी खतरा आमंत्रित कर रहे हैं।
रेडिएशन से हेल्थ को कितना है खतरा
-बॉडी सेल्स का डिफेंस मैकेनिज्म कमजोर होना
-मेमोरी पावर लॉस
-ं दृष्टि दोष व दर्द
- वर्किग एफिशिएंसी कम होना
-बिहेवियर में चिड़चिड़ापन
-प्रेग्नेंट में स्तन कैंसर
छोटे बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक
एक्सरे रूम के लिए अनिवार्य मानक
-कमरे में लेड की मोटी परत या दीवार का बनाया जाना
- खिड़कियों में रेडिएशन रोकने वाले शीशे का इस्तेमाल
-टेक्निशियंस के लिए एप्रन, ग्लब्स, मास्क व कैप