रांची(ब्यूरो)। राजधानी रांची में शराब के शौकीनों को अभी और इंतजार करना होगा। बता दें कि एक मई से सरकार ने खुदरा शराब व्यवसाय को अपने हाथ में ले लिया है। इसके बाद से ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है कि कब से दुकानें खुलेंगी। राज्य के दूसरे जिलों में मंगलवार से दुकानें खुल गईं, लेकिन राजधानी रांची में नही खुल रही हैं। दरअसल, जिस एजेंसी को रांची की जिम्मेवारी मिली है, उसने विभाग में अब तक बैंक गारंटी ही जमा नहीं किया है। इस कारण उसका एग्रीमेंट नहीं हो पाया है और शराब की दुकानें खुल नहीं पा रही हैं।

तीसरे दिन भी बंद रहीं दुकानें

शराब के शौकीन लोग सुबह के दस बजे तक दुकान के बाहर घूमते रहे कि अब दुकान खुल जाएगी, लेकिन रात तक दुकानें नही खुलीं तो लोग मायूस हो गए। कोकर, लालपुर, मेन रोड, हरमू डोरंडा, रातू रोड सहित सभी इलाकों में लोग शराब दुकान का चक्कर लगाते रहे। लोगों को यह भी जानकारी नहीं मिल पा रही है कि कब दुकानें खुलेंगी।

तीन जोन का पैसा जमा नहीं हुआ

उत्पाद विभाग द्वारा रांची सहित राज्य भर के सभी जिलों को दस जोन में बांटा गया है। इसमें से सोमवार को सात जोन की बैंक गारंटी का पैसा कंपनियों ने जमा कर दिया है। लेकिन तीन जोन का जमा नहीं किया है, जिसमें रांची भी शामिल है। इसलिए यहां दुकानें नही खुल रही हैं। तीन जोन में जोन 1, 5 और जोन 6 शामिल हैं। इसमें रांची के साथ खूंटी, गुमला, लोहरदगा, सिमडेगा, पलामू, गढ़वा, लातेहार जिले शामिल हैं।

इन जिलों में खुलीं दुकानें

विभाग के अनुसार, राज्य के जिन 16 जिलों में दुकानें खुली हैं, उनमें पूर्वी सिंहभूम, रामगढ़, बोकारो, धनबाद, पाकुड़, साहिबगंज, दुमका, गोड्डा, जामताड़ा, गिरिडीह, देवघर, सरायकेला-खरसांवा, पश्चिमी सिंहभूम, हजारीबाग, कोडरमा व चतरा जिले शामिल हैं। जिन 16 जिलों में दुकानें खुलीं हैं वहां भी एक व दो मई को दुकानें नहीं खुली थीं। दो मई से राज्य में नई उत्पाद नीति के अनुसार, शराब की बिक्री होनी थी, लेकिन टेंडर प्रक्रिया पूरी करने में विभाग के पसीने छूट रहे हैं।

नई नीति से परेशानी

नई उत्पाद नीति में ऐसे-ऐसे नियम जोड़े गए हैं, जिसे झारखंड के व्यवसायी पूरा नहीं कर सकते हैं। जैसे शराब बनाने वाली कंपनियों से सहमति पत्र प्राप्त करने वाला ही ठेका के लिए आवेदन कर सकता है। सहमति भी केवल लिमिटेड या प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को मिलेगा, जो रजिस्टर्ड आफ कंपनी; आरओसी से पंजीकृत होगा। इसके अतिरिक्त छत्तीसगढ़ की परामर्शी ने नई उत्पाद नीति में यह भी जोड़ा है कि जिस कंपनी का प्रत्येक वर्ष 100-100 करोड़ का दो साल का टर्नओवर होगा, वही ठेका में शामिल होगा। इन नियम व शर्तों को झारखंड के कारोबारी पूरा नहीं कर सकते थे, जिसके चलते वे ठेका से वंचित हो गए।

हर बोतल की जाएगी ट्रैक

दरअसल, इससे पहले चल रही व्यवस्था के तहत खुदरा शराब दुकान व्यापारी कोटा के उठाव के अनुसार तय की गई रेवेन्यू का भुगतान करते थे। लेकिन, अब सरकारी व्यवस्था के तहत हर बोतल पर तय की गई करीब 9 परसेंट की मार्जिन राशि के आधार पर रेवेन्यू प्राप्त होगा। मतलब शराब की बोतल पर जो एमआरपी लिखा होगा, उसका 9 परसेंट सरकार के रेवेन्यू में जाएगा। वहीं, दूसरी ओर क्यूआर कोड हर बोतल पर लिखा होगा, जिससे हर बोतल पर रेवेन्यू सुनिश्चित कर दी जाएगी। साथ ही बोतल को ट्रैक भी किया जा सकेगा।

छत्तीसगढ़ मॉडल का हो रहा विरोध

हालांकि, इस बदली हुई व्यवस्था को लेकर सियासत भी जमकर हो रही है। बीजेपी लगातार छत्तीसगढ़ मॉडल का विरोध कर रही है। पार्टी की मानें तो सरकारी मशीनरी को शराब बेचने में लगाया जा रहा है, वहीं, दूसरी ओर झारखंड खुदरा शराब विक्रेता संघ लगातार सरकार की इस नई व्यवस्था का विरोध कर रहा है। संघ ने कहा कि सरकार बैकडोर से छत्तीसगढ़ मॉडल को लाने की तैयारी कर रही है।