RANCHI : मंगलवार, बुधवार और गुरुवार। दहशत और आक्रोश वाले इन तीन दिनों के बाद शुक्रवार को सिलागाई का नजारा कुछ अलग था। कुछ हद तक यह कहा जा सकता है कि इस गांव के लोग भूल चुके हैं कि यहां क्या हुआ था। आगे क्या होनेवाला है, इसकी भी फिक्र न उनके चेहरों पर नजर आई और न ही उनकी बातों में। बस, जिंदगी को शांति से जीने की तमन्ना मन में लिए लोग बाकी दिनों की तरह शुक्रवार को भी अपने-अपने कामों में बिजी दिखे। चौक-चौराहों की जो दुकानें और होटल तीन दिनों से बंद थे, वे शुक्रवार को खुले हुए थे और लोग वहां पकौड़ी, पान और चाय का लुत्फ उठाते देखे गए।

हमारे गांव को किसी की नजर लग गई

दहशत भरे तीन दिनों के बाद शुक्रवार को सिलागाई की 17 वर्षीय पूजा कुमारी अपने जानवरों को लेकर बाहर निकली थी। उसका चचेरा भाई सोमरा उरांव भी उस घटना में चोटिल हुआ है, जिसका इलाज रिम्स में हो रहा है। पूजा कुमारी के पिता बुदू उरांव खेत में काम कर रहे थे। सिलागाई के जमगांई टोला की पूजा के मुताबिक, मंगलवार के दिन वह अपने घर के पास थी। वह घर के बाहर निकलकर टहल रही थी। उसी बीच उसने देखा कि लोगों का हुजूम बस्ती की ओर दौड़ रहा है। सभी के हाथों में लाठी, तलवार, बलुआ आदि थे। सभी लोग युवकों को दौड़ा-दौड़ा कर पीट रहे थे। हर कोई जख्मी हो रहा था। कई तो भागने में चोटिल हुए, तो कई के सिर पर वार किया जा रहा था। पूजा कुमारी यह सब देखकर डर के मारे अपने घर में दुबक गई। काफी देर तक शोर-शराबा होता रहा। उसे इतना भी पता नहीं था कि उसके चचेरे भाई भी इस झड़प के शिकार हो गए हैं। शुक्रवार को पूजा थोड़ी सहज थी। वह अपने पिता के आदेश पर घर से निकली और विवादित भूमि की सड़क की दूसरी ओर खेत में अपनी बकरियां चराने लगी। वह कहने लगी- न जाने हमारे गांव को किसकी नजर लग गई।

डर तो अब भी है

शुक्रवार को गांव के ही गोपाल प्रसाद गुप्ता अपने घर के आगे बनी दुकान पर बैठे थे। उन्होंने बताया कि तीन दिनों के बाद उनके पास जीविका का साधन तैयार है। गोपाल प्रसाद गुप्ता का कहना है कि कुछ लोग गांव के लोगों को धमकी दे रहे हैं कि आज पुलिस प्रशासन है, तब सुरक्षित हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि यह महज सुनी-सुनाई बात है। वह कहने लगे- बाबू, हमलोग अभी भी डर के माहौल में जी रहे हैं। रात में पैरों की आहट सुनकर न जागने का मन करते हुए भी जागना पड़ रहा है।

फुटबॉल खेलने की मस्ती में खोए रहे बच्चे

सारी दुश्वारियों, परेशानियों, झगड़ों और उनकी वजहों से बेखबर सिलागाई के बच्चे शुक्रवार को फुटबॉल खेलकर मस्ती करते दिखे। कुछ ग्रामीण इन बच्चों की देखरेख भी कर रहे थे। नन्हे-मुन्ने बच्चों के मन से भय निकल चुका था। सबसे अच्छी बात तो यह थी कि इस दौरान उन बच्चों के साथ उस गांव के अन्य समुदाय के बच्चे भी खेल रहे थे।

नहीं पकड़ा गया है मुख्य आरोपी मो नेजाम

सिलागाई में हुई घटना का मुख्य आरोपी मो नेजाम अब भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। हालांकि, कहा जा रहा है कि वह गांव के बुजुर्ग हाजी इस्माईल की मौत के बाद कब्रिस्तान में उन्हें मिट्टी देने के लिए गांव आया था। वह बोलेरो से नीचे नहीं उतरा, बल्कि बोलेरो के अंदर से पूरा नजारा देख रहा था। ग्रामीणों का कहना था कि मुख्य आरोपी नेजाम पकड़ा जाए, क्योंकि उसी के कारण इतना हुड़दंग हुआ है।

शालिनी विजय को मिला बीडीओ का प्रभार

डीसी विनय कुमार चौबे ने चान्हो में पूर्व बीडीओ रह चुकीं शालिनी विजय को चान्हो बीडीओ का प्रभार सौंपा है। इससे पहले शालिनी विजय रांची में एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट थीं। वहीं, मांडर बीडीओ को चान्हो सीओ का प्रभार दिया गया है। गौरतलब है कि ग्रामीणों की मांग पर डीसी विनय कुमार चौबे ने लापरवाही बरतने के आरोप में सीआई सूबेदार राम, बीडीओ सिलवंत भट्ट और सीओ एमी रिंकू कुजूर को सस्पेंड कर दिया था।