RANCHI: रांची सहित पूरे राज्य में जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराना व्यापारियों के लिए मुसीबत बन गया है। जीएसटी एक्ट के तहत व्यापारी जिस दिन ऑनलाइन अप्लाई करते हैं, उसके तीन दिनों के भीतर जीएसटी नंबर आवंटित हो जाना है। लेकिन, यहां आवेदन के करीब ख्0 दिन बाद भी जीएसटी नंबर नहीं मिल पा रहा है। इस कारण व्यापारियों की परेशानी बढ़ गई है। गौरतलब हो कि एक जुलाई को जीएसटी लागू हुआ। इसके पहले नए रजिस्ट्रेशन और पुराने रजिस्टर्ड व्यापारियों के लिए आईडी पासवर्ड के जरिए ऑनलाइन जीएसटी में माइग्रेशन ख्भ् जून से शुरू हुआ। इसके बाद से नए व्यापारी लगातार जीएसटी में रजिस्ट्रेशन के लिए ऑनलाइन आवेदन कर रहे हैं, लेकिन वाणिज्य कर विभाग से ज्यादातर को जीएसटी नंबर अब तक आवंटित नहीं हुआ है।

नहीं मिल रहा आईडी पासवर्ड

जीएसटी के नए निबंधन में परेशानी आ रही है। मुख्य रूप से अपलोडेड डॉक्यूमेंट्स को कंप्यूटर व्यू नहीं कर पा रहा है और निबंधन रिजेक्ट हो जा रहा है। एरर मैसेज आ रहा है। इसके अलावा आईडी पासवर्ड भी नहीं मिलने से जीएसटी में रजिस्ट्रेशन फंस रहा है। ऐसी स्थिति में व्यापारियों के लिए कारोबार करना मुश्किल हो गया है।

आवेदन का स्टेटस पता नहीं

व्यवसाई संतोष जालान बताते हैं कि व्यवस्था ऑनलाइन होने के कारण विभाग के अफ सरों ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। स्थिति यह है कि रजिस्ट्रेशन के लिए व्यापारियों के आवेदन का स्टेटस क्या है, यही पता नहीं चल रहा है। इसका सीधा असर कारोबार पर पड़ रहा है। रजिस्टर्ड व्यापारियों को आईडी पासवर्ड नहीं मिलने से जीएसटी में माइग्रेशन नहीं करा पा रहे हैं। नतीजन, ऐसे व्यापारी बाहर से माल नहीं मंगा पा रहे हैं और न ही आगे किसी को बेच पा रहे हैं।

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चैंबर की बड़े व्यवसायियों से अपील

चैंबर की जीएसटी उप समिति के चेयरमैन दीन दयाल वर्णवाल ने बड़े व्यापारियों, डिस्ट्रीब्यूटर्स, आढ़त वाले व्यवसायियों से छोटे कारोबारियों से किसी तरह के पेपर नहीं मांगने की अपील की है। उन्होंने कहा कि छोटे दुकानदारों को माल खरीदने में परेशानी आ रही है। क्योंकि बड़े व्यवसायियों द्वारा जीएसटी नम्बर नहीं देने पर आधार या पैन नम्बर मांगा जा रहा है। श्री वर्णवाल ने कहा है कि हेज एक्ट या रूल में ऐसा कहीं नहीं है। आप ख्.भ् लाख तक सिंगल बिल छोटे दुकानदार को हेज बिल के तहत कर सकते है। इसमें किसी तरह का पेपर मांगना उचित नहीं है। क्योंकि जिनका सालाना टर्न ओवर ख्0 लाख से कम है उनको न तो निबंधन की जरूरत है और न ही उनसे किसी तरह के पेपर जैसे आधार, पैन कार्ड, राशन कार्ड मांगना उचित है। ऐसे सभी छोटे व्यवसायी सिर्फ उपभोक्ता को ही बिल कर सकते हैं।

वर्जन

जीएसटी के नए निबंधन व्यवस्था से परेशानी आ रही है। इसमें मुख्य रूप से अपलोडेड डॉक्यूमेंट को कंप्यूटर व्यू नहीं कर पा रहा है। इस कारण निबंधन रिजेक्ट हो जा रहा है। एरर मैसेज भेज रहा है। इस परेशानी से हमलोगों ने विभाग को भी अवगत करा दिया है।

-दीन दयाल वर्णवाल, अध्यक्ष, जीएसटी उप कमेटी चैंबर

जिन्हें भी जीएसटी से जुडी परेशानी हो, वे विभाग के सुविधा केन्द्र से ही डॉक्यूमेंट अपलोड करें। निबंधन देने की व्यवस्था विभाग ने की है। यह व्यवस्था पूरे राज्य में लागू हो गई है। ऐसे सभी व्यवसायियों से निवेदन है कि परेशानी होने पर तुरंत संयुक्त आयुक्त से संपर्क करें

-गोपाल कृष्ण तिवारी, ज्वाइंट कमिश्नर, वाणिज्यकर विभाग, रांची