रांची (ब्यूरो) । राजधानी में ऑटो चालकों की मनमानी किसी से छिपी नहीं है। ये लोग सवारी बिठाते नहीं बल्कि हाईजैक करते हैं। ऑटो चालकों में सवारी बिठाने के लिए होड़ लगी रहती है। ये लोग पैसेंजर के साथ ख्ंिाचातानी भी करते हैं। ऑटो में क्षमता से अधिक सवारी बिठाना भी कोई नई बात नहीं है। लेकिन इन सब पर नियंत्रण करने वाला विभाग खुद ही सुस्त है। ट्रैफिक डिपार्टमेंट हो, नगर निगम हो या फिर परिवहन विभाग, सभी आंखें बंद किए बैठे हैैं। इसका फायदा अवैध ऑटो चालक उठा रहे हैं। लेकिन खामियाजा आम पब्लिक को भुगतना पड़ रहा है। सिटी में कई स्थानों पर ऑटो चालकों ने पूरे इलाके पर ही कब्जा कर रखा है। अवैध ऑटो के साथ-साथ अवैध ऑटो स्टैंड भी राजधानी में बनते जा हैं। इससे आम राहगीर को भी आने-जाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है।

कहीं नहीं है फेयर चार्ट

रांची में चलने वाले ऑटो चालकों द्वारा लिया जाने वाला मनमाना भाड़ा भी एक बड़ी मुसीबत है। हर दिन किसी न किसी चौक-चौराहे पर पैसेंजर और ऑटो चालकों के बीच नोक-झोंक जरूर होती है। इस नोक-झोंक के पीछे की वजह ज्यादातर चालक द्वारा लिया जा रहा भाड़ा ही होता है। कई बार ऑटो चालक पैसेंजर के साथ बदतमीजी भी करते हैं। लोगों ने अलग-अलग माध्यम से इसकी शिकायत दर्ज भी कराई है। फिर भी ऑटो चालकों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। कोरोना काल में ऑटो चालकों ने भाड़े में वृद्धि की थी, आज भी उसी दर से फेयर लिया जा रहा है। जबकि, कोरोना काल में कम पैसेंजर बिठाने का निर्देश था, लेेकिन आज स्थिति ऐसी नहीं है। ऑटो चालक क्षमता अनुसार पैसेंजर बिठा सकते हैं। लेकिन वास्तविकता तो यह है कि ऑटो चालक क्षमता से अधिक पैसेंजर भी बिठा रहे और मनमाना भाड़ा भी वसूल रहे हैं। चालकों को अपने ऑटो में फेयर चार्ट लगाने का आदेश दिया गया था, इसका भी पालन नहीं हुआ है।

ड्रेस कोड का पालन नहीं

ऑटो चालकों द्वारा ड्रेस कोड का भी पालन नहीं किया जा रहा। प्रशासन की ओर से ऑटो चालकों के लिए ड्रेस कोड तो जारी कर दिया गया, लेकिन इसका पालन नहीं कराया गया। किसी ऑटो चालकों पर कभी कोई कार्रवाई भी नहीं हुई। ड्रेस कोड का पालन नहीं होने से यह समझने में परेशानी होती है कि ऑटो चालक कौन है। इसके अलावा चालक ऑटो में फस्र्ट एड किट भी नहीं रख रहे हंै। वहीं सीएनजी ऑटो चालकों को मिनी एक्सटिंगविशर रखने को कहा गया था। इसका भी पालन नहीं हो रहा है।

10 हजार अवैध ऑटो

राजधानी रांची में करीब 15 हजार ऑटो चले रहे हंै। इसमें महज पांच हजार ऑटो चालकों के पास ही सिटी में ऑटो चलाने का परमिट प्राप्त है। बाकी दस हजार ऑटो अवैध रुप से चल रहे हैं। जिन पांच हजार ऑटो को परमिट दिया गया है, उनमें 2335 डीजल और पेट्रोल आटो है जबकि 2665 सीएनजी आटो चालक है। अवैध ऑटो का किसी तरह का कोई डेटा पुलिस या परिवहन विभाग के पास नहीं है। इस कारण किसी प्रकार की घटना होने के बाद भी पुलिस को आटो का डिटेल नहीं मिल पाता है। अवैध ऑटो चालकों की वजह से पूरा शहर जाम की चपेट में रहता है। अवैध आटो चालकों की मनमानी इतनी बढ़ गई है कि वह अपनी मर्जी से हर इलाके में आटो चलाते हैं। हर चौक-चौराहे पर अवैध ऑटो चालकों का कब्जा है। इसमें पुलिस की मिलीभगत भी होती है। रातू रोड, पिस्का मोड, जेवियर कॉलेज, अल्बर्ट एक्का चौक, डोरंडा, कचहरी, लालपुर, कांटाटोली समेत सिटी करीब हर चौक-चौराहों पर अवैध ऑटो चालकों का कब्जा है।