रांची (ब्यूरो)। लंबे समय से सिटी में पैडल रिक्शा चल रही है। कई लोग आजीविका के लिए इसी पर निर्भर हैैं। लेकिन बहुत जल्द पैडल रिक्शा सिर्फ इतिहास बन कर रह जाएगी। दरअसल, रांची नगर निगम ने पैडल रिक्शा पर रोक लगाने और उसकी जगह रिक्शा चालकों को ई-रिक्शा देने का निर्णय लिया है। मानवीय आधार पर यह निर्णय लिया गया है। पैडल रिक्शा चलाने में रिक्शा चालक का श्रम लगता है। पांव से पैडल मार कर वह सवारी को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाते हैैं। इसमें काफी मेहनत लगती है और समय भी ज्यादा लगता है। इतनी मेहनत के बावजूद रिक्शा चालक दिन में बमुश्किल दो से चार सौ रुपए ही कमा पाते हैैं। यदि रिक्शा चालकों को ई-रिक्शा मिल जाए तो उनकी आर्थिक समस्या दूर हो सकती है।

रिक्शा पुलर्स का सर्वे कराएगा निगम

सिटी में आज भी आदमी को आदमी द्वारा खींचने की परंपरा जीवित है। रिक्शा इसका जीता जागता उदाहरण है। एक अनुमान के अनुसार राजधानी रांची में करीब पांच हजार रिक्शा पुलर्स हैं। लेकिन नगर निगम एक बार सभी रिक्शा चालकों का सर्वे कराने की तैयारी कर रहा है। अबतक इन चालकों का न तो किसी तरह का सर्वे हुआ है, न ही कोई आईडेंटिफिकेशन दिया गया है। अब चूंकि राजधानी को रिक्शा से मुक्त करना है, इसलिए यहां रिक्शा चलाने वाले सभी व्यक्तियों का सर्वे कराकर सूची तैयार की जाएगी। इसी आधार पर नगर निगम रिक्शा चालकों को ई-रिक्शा उपलब्ध कराएगा। इसके लिए निगम एक नियमावली तैयार करने मेें जुट गया है। इसी आधार पर कुछ शर्तों के साथ रिक्शा चालकों को ई-रिक्शा दी जाएगी।

ई-रिक्शा एक अच्छा विकल्प

रिक्शा चालकों के लिए ई-रिक्शा काफी बेहतर विकल्प है। इसमें पेट्रोल, डीजल की भी जरूरत नहीं पड़ती, जिससे ड्राइवर की अच्छी सेविंग हो जाती है। इलेक्ट्रिक मोटर बैटरी से चलता है। एक बार बैटरी चार्ज करने पर 70 से 80 किमी तक चल सकता है। रांची में अब भी पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन के साधन सीमित हैं। ऑटो और सिटी बस पर ही ज्यादातर पब्लिक सफर करती है। ई-रिक्शा की संख्या बढऩे पर लोगों को ट्रांसपोर्टेशन का एक और ऑप्शन मिल सकेगा। बढ़ते पेट्रोल और डीजल के दाम और प्रदूषण को देखते हुए एवं रोजगार को प्राथमिकता देते हुए नगर निगम ने पैडल रिक्शा के बदले ई-रिक्शा देने का फैसला किया है।

खुशी और चिंता भी एक साथ

नगर निगम के इस फैसले पर सिटी के रिक्शा चालक खुश भी हंै और उन्हें चिंता भी सता रही है। मेन रोड में रिक्शा चलाने वाले घनश्याम दास ने बताया कि वे 40 साल से रिक्शा चला रहे हैं। कमाई का और दूसरा कोई साधन नहीं है। इसी से घर-परिवार चल रहा है। उन्होंने कहा कि यदि नगर निगम ई-रिक्शा देती है तो यह काफी अच्छा होगा। हमलोगों की आमदनी बढ़ जाएगी। लेकिन सिर्फ ई-रिक्शा देने से कुछ नहीं होगा। इसे चलने के लिए सड़क भी चाहिए। क्योंकि नगर निगम ने कई प्रमुख सड़कों पर ई-रिक्शा को प्रतिबंधित कर रखा है। जिस कारण गली-कस्बों में लोग ई-रिक्शा चला रहे हंै। इससे आमदनी में कोई फर्क नहीं पड़ा। वहीं एक अन्य रिक्शा चालक संतोष उरांव ने कहा कि उन्होंने पहले भी ई-रिक्शा लेने का प्रयास किया था। लेकिन इसकी कीमत एक से डेढ़़ लाख रुपए होने की वजह से नहीं ले सका।

रिक्शा चालकों के जीवन को सुधारने के लिए यह निर्णय लिया गया है। कड़ी मेहनत के बाद भी पैडल रिक्शा से आमदनी नहीं हो पाती है। ई-रिक्शा से उनकी आमदनी भी बढ़ेगी और रिक्शा चालक का जीवन स्तर भी सुधरेगा। सभी रिक्शा चालकों का सर्वे करा कर आगे की प्रक्रिया की जाएगी।

डॉ आशा लकड़ा, मेयर, रांची