RANCHI: रांची यूनिवर्सिटी में पेंडिंग पड़ी डिग्रियों की स्थिति यह है कि सारे काम छोड़ सिर्फ साइन भी करें तो साल भर लगेंगे डिग्री मिलने में। सेशन ख्009 से चालू सेशन तक ख् लाख से अधिक डिग्रियां पेंडिंग हैं। यदि एक दिन में क्000 डिग्रियों पर भी सिग्नेचर किया जाए तो ख्00 दिन तो सिर्फ डिग्रियों पर साइन में करने में ही बीत जाएगा। वहीं, रांची विवि में फिलहाल प्रोवीसी का पद खाली है। हालांकि, राजभवन की ओर से प्रोवीसी चयन के लिए सर्च कमिटी का गठन किया गया है। जनवरी-फरवरी माह तक उम्मीद है कि रांची विवि में नए प्रोवीसी की ज्वाइनिंग हो। लेकिन नए प्रोवीसी के समक्ष इन डिग्रियों को अप टू डेट करने की सबसे बड़ी चुनौती होगी।

फ् प्रोवीसी के कार्यकाल से पेंडिंग

रांची यूनिवर्सिटी में डिग्रियां तीन प्रोवीसी के कार्यकाल से पेंडिंग हैं। प्रोफेसर एम रजीउद्दीन, प्रोफेसर वीपी शरण और प्रोफेसर एसके रॉय के कार्यकाल में डिग्रियां पेडिंग हुई हैं। हालांकि, प्रोवीसी एम रजीउद्दीन ने अपने कार्यकाल में सबसे ज्यादा डिग्रियों पर सिग्नेचर किया था। पूरे कार्यकाल में एक लाख से अधिक डिग्रियों पर सिग्नेचर करने का रिकॉर्ड प्रोफेसर एम रजीउद्दीन के नाम है।

वीपी शरण के कार्यकाल में ज्यादा लंबित

विवि सूत्रों की मानें तो प्रोवीसी वीपी शरण के कार्यकाल में सबसे ज्यादा डिग्रियां लंबित हुई। जानकार बताते हैं कि वो सिग्नेचर धीरे-धीरे करते थे। इस वजह से काफी डिग्रियां उनके कार्यकाल की पेंडिंग रहीं। इसके पूर्व प्रोवीसी एसके रॉय का कार्य करने का तरीका भी धीमा रहा। लेकिन अभी हाल तक रांची विवि में रहे प्रोवीसी एम रजीउद्दीन ने काम में तेजी लाई, लेकिन वह भी पुरानी लंबित सभी डिग्रियों को अप टू डेट नहीं कर सके।

.बॉक्स

मुहरयुक्त डिग्रियों के फर्जीवाड़े पर हंगामा

लंबित डिग्रियों को देखते हुए रांची विवि ने निर्णय लिया था कि डिग्रियों में मुहरयुक्त सिग्नेचर किया जाए, हालांकि सेशन ख्009 में मुहर लगी डिग्रियां जारी हुईं, लेकिन रांची यूनिवर्सिटी में डिग्रियों के फर्जीवाड़े को लेकर हंगामा हो गया। इसके बाद से मुहरयुक्त डिग्री जारी करने का फैसला वापस ले लिया गया। रांची विवि के पास मुहर लगी डिग्रियां अब भी है, लेकिन उसे अमान्य कर दिया गया है।

जानिए क्या कहते हैं पूर्व प्रोवीसी, वीसी व पूर्व सिनेट सदस्य

रांची विवि में भारी संख्या में डिग्रियां पेंडिंग हैं। जो भी प्रोवीसी आते हैं, उनके लिए बड़ी चुनौती है कि इससे कैसे उबरें। विवि के सभी कार्य को निपटाते हुए एक आदमी मुश्किल से क्00 डिग्रियों पर ही साइन कर सकेगा। ऐसे में ख् लाख डिग्रियों पर साइन करने में वर्षो लग जाएंगे। डिजिटाइजेशन का जमाना चल रहा है, ऐसे में डिग्रियों पर डिजिटल सिग्नेचर कर अप टू डेट किया जा सकता है। डिजिटल सिग्नेचर को सभी विवि मान भी रहे हैं। रांची विवि को भी यह फॉलो करना चाहिए।

-एम रजीउद्दीन, पूर्व प्रोवीसी, रांची विवि

जिन्हें डिग्री की आवश्यकता है, उन्हें दी जा रही हैं। कान्वोकेशन में भी डिग्रियां बांटी गई हैं। किसी तरह काम पेंडिंग नहीं है। मैं खुद डिग्रियों पर साइन कर रहा हूं।

-डॉ रमेश पांडेय, वीसी, रांची विवि

रांची विवि में जिस तरह से बेतरतीब ढंग से डिग्रियां रखी गई हैं, वो दुर्भाग्यपूर्ण है। रांची विवि के वीसी से बातचीत हुई है। उनसे आग्रह किया है कि लंबित डिग्रियों का शीघ्र निष्पादन करें। वीसी ने आश्वासन भी दिया है।

-प्रतुल शाहदेव, पूर्व सीनेट सदस्य