रांची: प्रेमचंद के उपन्यासों में आंचलिकता की खुशबू है। संघर्ष है। किसान हैं। बैल हैं। हाशिये की आवाज है। उनके पात्र विश्व के विभिन्न कोनों में पाई जानी वाली संस्कृति से कैसे भिन्न हैं। इसके मद्देनजर भी उनके उपन्यासों के पुनर्पाठ करने की जरूरत है। प्रेमचंद की 139वीं जयंती के अवसर पर बुधवार को डॉ। श्यामा प्रसाद मुखर्जी यूनिवर्सिटी, रांची के स्नातकोत्तर अंग्रेजी विभाग में आयोजित समारोह में चीफ गेस्ट यूनिवर्सिटी के वीसी डॉ। सत्य नारायण मुंडा' ने ये बातें कहीं।

किताबों से साहित्यिक बाजार गुलजार

हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ। अनिल ठाकुर ने कहा कि प्रेमचंद के बगैर न तो पाठक और न ही प्रकाशक समृद्ध हो पाता है। आज प्रेमचंद पर सबसे अधिक किताबें हर दिन छपती हैं और साहित्यिक बाज़ार को गुलजार रखती हैं। डॉ। विनय भरत ने कहा कि आज मॉडर्न राइटिंग इन इंग्लिश ट्रांसलेशन के तहत जो नाम सबसे आगे है और जिनकी किताबों का अंग्रेजी अनुवाद एमए के कोर्स में शामिल है वो नाम मुंशी प्रेमचंद का है। इनको अनुवादित कर पूरे विश्व में पढ़ा जा रहा है। क्योंकि ये कालजयी हैं। कैरेक्टर यूनिवर्सल अपील के हैं। प्रो। पीयूष बाला ने कहा कि प्रेमचंद्र साहित्य समूचे साहित्य जगत का झरोखा है। इनको पढ़ने पर आत्ममंथन की जरूरत महसूस होती है। दिखता है कि समाज किस ओर जा रहा है। यूनिवर्सिटी छात्र संघ के अध्यक्ष अमनदीप मुंडा ने कहा कि प्रेमचंद के आदर्शो को अपनाना वक्त की मांग है। विशिष्ट वक्ता स्नातकोत्तर हिंदी विभाग के छात्र कौशल शर्मा थे।

क्विज का भी हुआ आयोजन

इस अवसर पर प्रेमचंद साहित्य पर आधारित क्विज का आयोजन भी किया गया। क्विज को प्रो। विनय भरत ने संचालित किया। टोटल 40 प्रतिभागियों ने 150 प्रश्नों का उत्तर दिया, जिसमें विजेता बनीं नीति वर्मा सेमेस्टर वन यूजी, कोमल सेमेस्टर वन यूजी व तान्या साहू सेमेस्टर वन यूजी को प्रेमचंद के गोदान' का अंग्रेजी संस्करण उपहार स्वरूप वीसी ने दिया। इस दौरान फिलोसॉफी विभाग की प्रोफेसर डॉ। आभा झा ने भी सम्बोधित किया। इस अवसर पर विभाग के 200 छात्र उपस्थित थे। संचालन सौरभ बनर्जी और रंजन कुमार ने किया। संयोजक डॉ। विनय भरत रहे।