रांची (ब्यूरो) । शहर के लोगों को टॉयलेट जाने के लिए परेशान ना होना पड़े, इसके लिए रांची नगर निगम मॉड्यूलर टॉयलेट बनाया है। लेकिन देखरेख के अभाव में ये यूज करने लायक नहीं बचे। ऐसे में अब रांची नगर निगम शहर के सभी मॉड्यूलर टॉयलेट को प्राइवेट एजेंसी के हवाले करने जा रहा है। इसकी देखरेख और संचालन की जिम्मेवारी प्राइवेट एजेंसी के हाथ में होगी। रांची नगर निगम ने इसके लिए एजेंसियों से एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट मांगा है। 29 अप्रैल तक डॉक्यूमेंट जमा करने का अंतिम समय दिया गया है। एजेंसी चयन होते ही प्राइवेट एजेंसी की जिम्मेवारी हो जाएगी।

नगर निगम ने निकाला टेंडर

रांची नगर निगम द्वारा सभी मॉड्यूलर टॉयलेट का संचालन करने के लिए टेंडर निकाला गया है। 29 अप्रैल को टेंडर जमा करने की अंतिम तिथि तय की गई है। जिस एजेंसी को भी काम मिलेगा वो इसकी देखभाल करेंगी। वहां पानी की व्यवस्था, नल की व्यवस्था, सफाई की व्यवस्था, सुरक्षा गार्ड की व्यवस्था करनी होगी। इसके बदले रांची नगर निगम एजेंसी को पैसा देगा।

सिटी में 80 मॉड्यूलर टॉयलेट्स

स्व'छ भारत मिशन के तहत रांची नगर निगम क्षेत्र में निर्मित मॉड्यूलर टॉयलेट्स सरकारी राशि की बर्बादी की कहानी बन कर रह गए हैं। मॉड्यूलर के नाम पर करोड़ों की राशि फूंक दी गई, इसके बावजूद ये टॉयलेट बेकार साबित हो रहे हैं। इस पर न तो निगम का ध्यान है और न ही लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। अधिकतर टॉयलेट कबाड़ में तब्दील हो गए हैं। सेप्टिक पैन से लेकर टॉयलेट में लगा पानी टंकी तक गायब हो चुकी है। जो है उसमें न तो पानी की व्यवस्था है और ना सफाई का इंतजाम, ऐसी स्थिति में लोग इसका इस्तेमाल करें तो कैसे। निगम क्षेत्र में जो मॉड्यूलर टॉयलेट का निर्माण किया गया है, इनमें अधिकतर ऐसे टॉयलेट्स हैं जिसका ताला आज तक नहीं खुला है।

पानी की टंकी हो गई चोरी

करोड़ों की लागत से बने मॉडयूलर टॉयलेट देखरेख के अभाव में कबाड़ बनते जा रहे हैं। लोगों को शौचालय की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रत्येक शौचालय में पानी की टंकी लगाई गई है। टू सीटर में दो तो फोर सीटर में चार-चार टंकी लगाई गई है। अधिकतर टॉयलेट का पानी टंकी और नल चोर गायब कर चुके हैं। चोरों ने टंकी चोरी करने के लिए ऐसे टॉयलेट का चयन किया जो आबादी से दूर है और लोगों का आना-जाना कम होता है।

स्व'छता सर्वे के समय ही याद

नगर निगम को अपने मॉड्यूलर टायलेट से लेकर सामुदायिक शौचालय की याद स्व'छता सर्वेक्षण के दौरान ही आती है। पिछले साल भी इसका निर्माण सर्वेक्षण के दौरान ही किया गया था। सर्वेक्षण के दौरान स्थल निरीक्षण के लिए आने वाली टीम शौचालय की व्यवस्था भी देखती है। व्यवस्था के आधार पर ही रैंकिंग का निर्धारण किया जाता है। कितने लोग शौचालय का इस्तेमाल करते हैं और लोगों का शौचालय को लेकर क्या फीडबैक है। यही शहर को अंक दिलाता है। वर्तमान समय में सामुदायिक शौचालय और मॉड्यूलर टॉयलेट की जो स्थिति है, वह रैंकिंग में बाधक बनेगी।