RANCHI: रिम्स में अव्यवस्था थमने का नाम ही नहीं ले रही है। लाख कोशिशों के बावजूद दलाल कहीं न कहीं अपना दबदबा बनाए हुए हैं। अब प्राइवेट दुकान और सेंटर वालों ने भी ओपीडी में सेंधमारी शुरू कर दी है, जहां मरीजों के ओपीडी से निकलते ही उन्हें अपने दुकान और सेंटरों की पर्ची थमाई जा रही है। वहीं डिस्काउंट दिलाने के नाम पर मरीजों को उन्हीं दुकानों में भेजा जा रहा है, जहां सबकी मिलीभगत का कारोबार फल-फूल रहा है।

दुकान से चश्मा लेने पर डिस्काउंट

आई डिपार्टमेंट में भी हर दिन मरीज आंखों का इलाज कराने आते हैं। लेकिन रिम्स में कहीं भी चश्मा बनवाने की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में आसपास की दुकान वालों ने अपनी पर्ची जांच केंद्र पर रख दी है। जहां से चश्मे का नंबर पता चलने के बाद उन्हें कार्ड पकड़ा दिया जाता है। वहीं चश्मा दुकान से लेने के बाद डिस्काउंट दिलाने की बात भी कही जाती है। इस काम में हॉस्पिटल का स्टाफ भी शामिल है।

इएनटी डिपार्टमेंट में लगाई सेंध

इएनटी डिपार्टमेंट में हर दिन सैकड़ों मरीज इलाज के लिए आते हैं, जिसमें से दो दर्जन मरीजों को टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है। लेकिन रिम्स में एक दिन में केवल दस मरीजों का ही टेस्ट किया जाता है। ऐसे में प्राइवेट टेस्ट सेंटर वालों ने भी डिपार्टमेंट में सेंध लगा दी है। यही वजह है कि इएनटी के डॉक्टर और स्टाफ ऑडियो टेस्ट के लिए प्राइवेट सेंटरों की पर्ची मरीजों को थमा रहे हैं। इससे यह साफ है कि कहीं न कहीं इसमें उनका भी फायदा है। वहीं प्राइवेट सेंटरों की पर्ची ड्यूटी में तैनात गार्ड के पास उपलब्ध होती है।

केस-1

इटकी से शबनम परवीन मां का कान दिखाने के लिए आई। जिन्हें देखने के बाद डॉक्टर ने टेस्ट करवाने को कहा। साथ ही एक प्राइवेट टेस्ट सेंटर की पर्ची थमा दी। उसे कहा गया कि इस सेंटर में जाकर टेस्ट कराकर रिपोर्ट दिखाओ। साथ ही कहा गया कि टेस्ट कराने के बाद मशीन भी उसी दुकान से लगानी पड़ेगी।

केस-2

राजू अपनी पत्नी को आई डिपार्टमेंट में दिखाकर निकले। उन्हें डॉक्टर ने चश्मे का नंबर चेक कराकर बनवा लेने को कहा। जहां उन्हें चश्मा चेक करने के बाद प्राइवेट सेंटर का कार्ड थमा दिया गया। वहीं स्टाफ ने कहा कि इसी दुकान से चश्मा बनवा लीजिएगा। हालांकि, उन्होंने स्टाफ का विरोध भी किया।