रांची(ब्यूरो)। राजधानी रांची समेत राज्यभर में जाम यानी शराब की सौदेबाजी को लेकर एक बार फिर से तूफान मच गया है। एक ओर जहां झारखंड सरकार छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड(सीएसएमसीएल) के सुझाव पर राज्य में एक अप्रैल से नई उत्पाद नीति लागू करने की तैयारी में है, जिससे शराब दुकानों की कम करने की बात कही गई है। इधर, दुकानों की संख्या कम किये जाने की भनक लगते ही बार एसोसिएशन ने मोर्चा खोल दिया है। इनका कहना है कि यह तो हमारा रोजगार छीनने जैसा है। अगर छत्तीसगढ़ की तर्ज पर उत्पाद नीति झारखंड में लागू होती है तो बड़ी संख्या में शराब दुकानदार सड़क पर आ जाएंगे।

क्या है छत्तीसगढ़ मॉडल

झारखंड में छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड ने शराब की बिक्री को नई ऊंचाई तक पहुंचाने का सुझाव दिया है। सीएसएमसीएल की रिपोर्ट के अनुसार, छत्तीसगढ़ की तर्ज पर शराब की दुकानों की संख्या झारखंड में भी कम की जाएगी। फिलहाल राज्य में शराब की रिटेल दुकानें 1600 से अधिक हैं, जबकि छत्तीसगढ़ में महज 643 शराब की दुकानें हैं। इसी आधार पर शराब की रिटेल दुकानों की संख्या कम की जाएगी। सूत्रों की मानें तो सीएसएमसीएल ने बड़े शहरों और छोटे कस्बों के लिए अलग-अलग डिजाइन तय किया है।

दुकानें कम करने के पीछे तर्क

छत्तीसगढ़ की टीम ने जो प्रस्ताव सरकार को दिया है उसके अनुसार सबसे पहला प्रस्ताव है कि शराब की दुकानों की संख्या कम की जाए, इसके लिए यह तर्क भी दिया गया है कि छत्तीसगढ मे शराब की बिक्री के लिए 250 नई दुकानें 2017 में बनवायी गईं। सीएसएमसीएल की रिपोर्ट में कहा गया है कि शराब की बिक्री निजी हाथों में दिये जाने से व्यवसायी केवल अपना आर्थिक लाभ देखते हैं। सरकारी क्षेत्र की एजेंसी कम प्रॉफिट में अधिक व्यवसाय करती है और राजस्व भी सुरक्षित रहता है। निजी व्यवसायियों द्वारा राजस्व का क्षरण अधिक होता है। इसलिए झारखंड सरकार को चाहिए कि ठेकेदारों के माध्यम से शराब की बिक्री की व्यवस्था को समाप्त कर दी जाए।

बड़ी सिटी में सिर्फ 4-5 दुकान

इधर, झारखंड में 39 से अधिक स्थानीय निकाय हैं। यानी शहर हैं। बड़े शहरों में चार से पांच दुकानें बनाई जाएंगी। वह भी सरकारी जमीन पर। छोटे कस्बों और शहरों में दो से अधिक दुकानें नहीं होंगी। सीएसएमसीएल ने राजस्व बढ़ाने का जो सुझाव दिया है, उसके आधार पर शराब की बॉटलिंग से लेकर उसे दुकानों तक पहुंचाने तक की व्यवस्था पर सेंट्रली नजर रखी जाएगी।

31 मार्च को खत्म हो रही बंदोबस्ती

बता दें कि 31 मार्च 2019 को की गई बंदोबस्ती 31 मार्च 2022 को समाप्त हो रही है। इससे पहले शराब की दुकानों की बंदोबस्ती राज्य सरकार की तरफ से कर दी जाएगी। सीएसएमसीएल की रिपोर्ट पर सरकार ने मंथन शुरू कर दिया है। झारखंड राज्य बेवरेज कारपोरेशन लिमिटेड द्वारा शराब की थोक बिक्री, खपत व राजस्व संग्रहण में लगातार कमी होने की वजह से सरकार ने झारखंड उत्पाद (मदिरा के भंडारण और थोक बिक्री) नियमावली 2021 भी बनाई है। जल्द ही कंसल्टेंट कंपनी की तरफ से शराब दुकानों की बंदोबस्ती से लेकर उसकी ऑनलाइन मानिटरिंग भी की जाएगी।

रांची में पहले 58 दुकानें थी

मालूम हो कि 2019 में जब सरकार ने झारखंड बेवरेज कॉरपोरेशन से हटाकर निजी क्षेत्र के व्यवसायियों के हवाले शराब दुकानें की थी, तब पहले से रांची जिले में 58 शराब की दुकानें थीं, लेकिन जब लॉटरी के माध्यम से खुदरा दुकानदारों को शराब दुकानें अलॉट की गईं तो उसकी संख्या बढ़कर 170 हो गईं।

छत्तीसगढ़ की टीम द्वारा नई उत्पाद नीति में यह प्रस्ताव दिया गया है कि शहरी क्षेत्र में जो बार हैं उनको सालाना 24 लाख और मॉल में बार खोलने पर 30 लाख रुपए लाइसेंस फीस तय की गई है। इसके अलावा साल में 18000 बोतल बीयर और 11000 बोतल शराब बेचने का टारगेट भी दिया गया है। यह ऐसी व्यवस्था है जिससे अधिकतर बार बंद हो जाएंगे। कोरोना के कारण ऐसे ही बार ओनर्स परेशान हैं। किसी तरह उनका बार चल रहा है, लेकिन अब सरकार की नई नीति से बार चलाना संभव नहीं हो पाएगा।

-रंजन कुमार, अध्यक्ष, झारखंड बार एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन