रांची : राज्य सरकार की नई उत्पाद नीति धरातल पर उतर चुकी है। प्रदेश के सभी 24 जिलों में शराब की थोक आपूर्ति के लिए अलग - अलग कंपनियों को काम आवंटित किया जा चुका है। हालांकि शुरुआती दिक्कतों के बाद अब राज्य के सभी 24 जिलों में शराब की आपूर्ति सुचारू रूप से हो रही है। नई वितरण नीति के तहत राज्य सरकार ने बीते दिनों शराब की थोक आपूर्ति का काम झारखंड स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन से छीनकर निजी हाथों में सौंपने का निर्णय किया है। सरकार का उद्देश्य है कि प्रदेश में इस मद में राजस्व की वृद्धि की जाए। साथ ही शराब की कालाबाजारी पर पूरी तरह नियंत्रण और अंकुश लगाया जा सके। उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग इसकी खास तौर पर मानीट¨रग कर रहा है।

उत्पाद विभाग की नजर

इधर, प्रत्येक जिले में उत्पाद विभाग की टीम इस बात पर खास नजर रख रही है कि किसी भी कीमत पर आपूर्ति चेन में कालाबाजारी और नकली शराब का रैकेट सक्रिय नहीं हो पाए। विभाग द्वारा इस महत्वपूर्ण मुद्दे को ध्यान में रखते हुए हर जिले में अलग-अलग कंपनी को थोक आपूर्ति का काम सौंपा गया है ताकि किसी एक कंपनी का वर्चस्व कायम नहीं हो सके। सरकार का यह भी लक्ष्य है कि शराब की गुणवत्तायुक्त आपूर्ति के साथ-साथ प्रदेश के राजस्व में बढ़ोतरी हो।

राजस्व वृद्धि की चुनौती

गौरतलब है कि प्रदेश में नकली शराब की आपूर्ति और राजस्व में वृद्धि एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। पूर्ववर्ती सरकारों में नकली शराब के बड़े रैकेट का समय-समय पर खुलासा होता रहा है। इसमें कई लोगों की जान भी गई हैं। ऐसे प्रकरण से किरकिरी भी होती है। शराब के नकली नेटवर्क को ध्वस्त कर एक पारदर्शी व्यवस्था लागू करने के उद्देश्य से सरकार ने इस एजेंडे पर काम किया है। नए वित्तीय वर्ष में उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग ने 1800 करोड़ रुपए का राजस्व संग्रह का लक्ष्य रखा है। पूर्व में शराब का वितरण सरकार के स्तर से करने का खामियाजा उठाना पड़ा था। इससे राजस्व की वसूली में भारी गिरावट दर्ज की गई थी।