रांची(ब्यूरो)। रांची में बिना नक्शा के घर बनाए लोगों का नक्शा को रेगुलराइज करने के लिए सरकार ने योजना 2022 का ड्राफ्ट तैयार किया। नगर विकास विभाग ने ड्राफ्ट पर 20 दिसंबर तक आपत्ति और सुझाव मांगी है .लेकिन अब 2 दिन बचा हुआ है और अभी तक सिर्फ 6 लोगों ने आपत्ति दर्ज कराई है। ऐसे में यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि शहर में जो बिना नक्शा के घर बनाया है उसको रेगुलराइज कराने के लिए लोग कितने उत्सुक हैं।

रेगुलराइजेशन रेट भी तय

प्रस्ताव के अनुसार, घर को रेगुलराइज कराने का रेट भी सरकार ने तय कर दिया है। नियमितीकरण योजना के तहत आवासीय भवनों को नियमित करने के लिए 100 रुपए प्रति वर्ग मीटर व व्यावसायिक भवनों के लिए 150 रुपए प्रति वर्ग मीटर दर तय की गई है। मतलब आवासीय भवन 10 रुपए और व्यवसायिक भवन 15 रुपए प्रति वर्ग फीट की दर से रेगुलराइज होंगे। वहीं, नए भवनों का नक्शा पास करने के लिए 16 रुपए प्रति वर्ग फीट दर सरकार ने तय की है।

33 हजार के पास ही नक्शा

राजधानी में 2.33 लाख घर हैं पर नक्शा 33 हजार के पास ही है। ऐसे में करीब दो लाख मकान मालिक हमेशा डर के साये में रहते हैं। नगर निगम या आरआरडीए में जैसे ही अधिकारी बदलते हैं, सैकड़ों मकान मालिकों पर अवैध निर्माण का केस दर्ज हो जाता है।

पहले 220 घर ही हुए वैध

वर्ष 2019 में रघुवर कैबिनेट ने विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले बिल्डिंग रेगुलराइजेशन पॉलिसी को मंजूरी दी थी। लेकिन नियमावली इतनी जटिल थी कि चंद लोगों को ही फायदा मिला। रांची में करीब 300 आवेदन आए। इनमें से 220 मकानों को जुर्माना लेकर वैध किया गया। इससे पहले 2011 में भी बिल्डिंग रेगुलराइजेशन पॉलिसी लाई गई थी। उस समय नगर निगम में 870 आवेदन जमा हुए थे, लेकिन मात्र 280 घरों का नक्शा ही पास हुआ।

रेगुलाइजेशन में कई चैलेंज

बड़े भवनों को रेगुलराइज करने में आएंगे कई चैलेंज झारखंड आर्किटेक्ट एसोसिएशन के पूर्व सेक्रेटरी सूची सुजीत भगत बताते हैं कि सरकार नक्शा रेगुलराइज करने का प्रस्ताव लेकर आ रही है, उसका सबसे अधिक लाभ छोटे-मोटे घर बनाने वाले लोगों को ही मिलेगा। बड़ी कॉमर्शियल व रेसिडेंशियल बिल्डिंग वालों को इसका बहुत लाभ मिलने की संभावना नहीं है।

-मास्टर प्लान के अनुसार रांची में नक्शा पास होगा, अगर किसी व्यक्ति ने रेसिडेंशियल को कॉमर्शियल भवन बना दिया है तो उसका नक्शा पास करने में परेशानी होगी।

-सड़क की चौड़ाई के अनुसार भवनों का नक्शा पास होना है। बहुत सारे लोगों ने पतली सड़क में बड़े-बड़े भवन बना दिए हैं। उन्हें नक्शा पास करवाने में परेशानी होगी।

-नक्शा पास करने के लिए जमीन का खतियान मांगा गया है। बहुत सारे लोगों के पास खतियान का कागज नहीं है। उनका नक्शा पास करने में भी परेशानी होगी।

पहले की पॉलिसी में भी थे चैलेंज

-500 वर्गमीटर क्षेत्रफल में बने घरों को ही वैध करने का नियम था। शर्त थी कि आदिवासी खाते की जमीन या ग्रीन लैंड या ओपन स्पेस में घर बना है तो वह नियमित नहीं होगा। ऐसे में करीब 50 हजार घरों को वैध करने का मामला फंस गया। क्योंकि वे ऐसी ही प्रकृति की जमीन पर बने हैं।

-तीन मंजिला घरों में फ्रंट सेट बैक और एक ओर साइड सेट बैक अनिवार्य किया गया था। जबकि शहरों में 90 परसेंट निजी घरों में फ्रंट और साइड सेट बैक नहीं छोड़ा गया है। नई पॉलिसी में सड़क की चौड़ाई के आधार पर फ्रंट सेट बैक को अनिवार्य किया जा सकता है। तीन मंजिल तक का भवन जैसा बना है, उसे कुछ शर्तों के साथ स्वीकृति मिल सकती है।

- जुर्माना राशि काफी अधिक तय की गई थी। एक हजार वर्गफीट के घर को नियमित करने पर एक लाख रुपए से अधिक जुर्माना था।

जिन लोगों ने नक्शा पास नहीं कराया है उनको नक्शा पास करने का प्रस्ताव लेकर सरकार आ रही है। मास्टर प्लान के अनुसार ही नक्शा पास होना है। ऐसे में शहर में बड़े भवन और बड़े कॉमर्शियल भवन जिन्होंने पहले नक्शा पास नहीं कराया है उनको अब नक्शा पास कराने में परेशानी होगी। सरकार का यह प्रस्ताव जिनका मकान 4000 से 5000 स्क्वायर फीट एरिया में बना है, उन्हीं लोगों को लाभ मिलने की संभावना है।

-सुजीत भगत, पूर्व सेक्रेटरी, झारखंड आर्किटेक्ट एसोसिएशन, रांची।