-सब्सिडियरी में 45 से कम है मा‌र्क्स है, तो नहीं बन पाएंगे हाई स्कूल में टीचर

-रिक्रूटमेंट एजेंसी चेंज होते ही बदल गए नियम

-कैंडिडेट्स ने नियमावली को बताया गड़बड़

RANCHI(29) : हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति परीक्षा प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही विवाद खड़ा हो गया है। झारखंड स्टाफ सेलेक्शन कमीशन (जेएसएससी) ने नियुक्ति की जो नियमावली जारी की है, उसके अनुसार राज्य के हजारों बीएड डिग्री होल्डर कैंडिडेट्स फॉर्म फिलअप करने से वंचित रह जाएंगे। नॉ‌र्म्स के अनुसार, हाई स्कूल टीचर बनने के लिए संबंधित विषय में ग्रेजुएशन ऑनर्स पेपर के साथ सब्सिडियरी पेपर में भी 45 परसेंट मा‌र्क्स होना जरूरी है। ऐसे में हाई स्कूल शिक्षक भर्ती परीक्षा की तैयारी कर रहे अभ्यर्थी नीतेश सिंह का कहना है कि नियमावली विसंगतीपूर्ण है। इसके पहले जो शिक्षक नियुक्ति परीक्षा हुई थी, उसमें ऐसे नॉ‌र्म्स नहीं बनाए गए थे। एजेंसी चेंज होते ही नॉ‌र्म्स भी चेंज कर दिए गए। इससे हजारों कैंडिडेट्स परीक्षा फॉर्म भरने से वंचित हो जाएंगे। सीट भले ही 18 हजार हो, लेकिन 5 हजार आवेदन भी नहीं भरे जा सकेंगे।

तीसरी बार हो रही नियुिक्त परीक्षा

झारखंड राज्य अलग होने के बाद अब तक दो बार हाई स्कूल शिक्षक भर्ती परीक्षा ली जा चुकी है। इसके पूर्व झारखंड एकेडमिक काउंसिल(जैक) की ओर से परीक्षा ली गई थी। साल 2010 में नियुक्ति हुई थी। फिर साल 2012 में 2500 पदों के लिए वैकेंसी निकाली गई थी। जिसमें साइंस, आ‌र्ट्स और कॉमर्स के लिए अलग-अलग परीक्षा ली गई थी। हालांकि 2012 की भर्ती प्रक्रिया पूरा होने में तीन साल लग गए थे। यानी साल 2015 में यह भर्ती पूरी हुई। इसमें 1680 अभ्यर्थी ही अंतिम रूप से चयनित हो पाए थे। वहीं, 17,572 पदों के लिए हाई स्कूल में शिक्षक भर्ती परीक्षा तीसरी बार होने जा रही है। इस बार निगेटिव मार्किग का भी प्रावधान किया गया है।

विवि में ऑनर्स बेस्ड ही पढ़ाई

नीलांबर-पीतांबर विवि में हिन्दी के शिक्षक डॉ कुमार बीरेंद्र का कहना है कि झारखंड और बिहार में अब तक ऑनर्स आधारित ग्रेजुएशन की ही पढाई होती रही है। पास होने के लिए ऑनर्स पेपर में 45 परसेंट मा‌र्क्स होना जरूरी होता है। सब्सिडियरी पेपर में पासिंग मा‌र्क्स 33 परसेंट है। ग्रेजुएशन में मेरिट(प्रतिशत) ऑनर्स पेपर के मा‌र्क्स के आधार पर बनाया जाता है। इस वजह से स्टूडेंट्स का ज्यादा रुझान ऑनर्स पेपर में ही 45 परसेंट से ज्यादा मा‌र्क्स लाने पर होता है। सब्सिडियरी के पेपर में स्टूडेंट्स का ध्येय सिर्फ पास करने का होता है। सब्सिडियरी के पेपर में 45 परसेंट से ज्यादा मा‌र्क्स 50 फीसदी से ज्यादा स्टूडेंट्स नहीं ला पाते हैं। इधर, कानपुर, जौनपुर, इलाहाबाद विवि में अलग से ऑनर्स का कोई प्रावधान नहीं है। यूपी की यूनिवर्सिटीज में सभी विषयों में पास होना जरूरी होता है। हालांकि यूजीसी की गाइडलाइन पर देशभर के सभी विवि में एक समान शिक्षण पद्धति लागू करने की प्रक्रिया चल रही है। सीबीसीएस से देशभर में एक समान पाठ्यक्रम होगा, जिससे छात्रों को फायदा होगा।

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6 जनवरी से भरे जाएंगे फॉर्म

हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति परीक्षा के लिए ऑनलाइन फॉर्म 6 जनवरी से भरे जाएंगे। www.jssc.in पर म् जनवरी की सुबह क्क् बजे से एप्लीकेशन फॉर्म जमा किए जा सकेंगे। सामान्य कैटेगरी के छात्रों को ब्म्0 रुपए और एससी- एसटी कैटेगरी के अभ्यर्थियों को क्क्भ् रुपए शुल्क देने होंगे। सामान्य कैटेगरी के छात्रों के लिए उम्र सीमा ब्0 साल, महिला ओबीसी कैटेगरी के छात्रों के लिए ब्फ् साल और एससी-एसटी के लिए ब्भ् साल उम्र तय की गई है। फ‌र्स्ट पेपर में क्00 अंकों के जेनरल स्टडीज(जीएस)और क्00 अंकों के भाषा से संबंधित सवाल पूछे जाएंगे।

क्या है कैंडिडेट्स की परेशानी

हिस्ट्री ऑनर्स में मुझे भ्क् परसेंट मा‌र्क्स आया है, जबकि पॉलिटिकिल साइंस में ब्ब् परसेंट, फिलॉस्फी और इकोनॉमिक्स मेरे सब्सिडियरी पेपर थे। नए नॉ‌र्म्स से मैं तो परीक्षा से वंचित रह जाउंगी, यह कहां तक न्याय संगत है।

वंदना

देश की सर्वोच्च रिक्रूटमेंट एजेंसी जो आइएएस और आइपीएस तैयार करती है, वह थर्ड डिविजनर को भी परीक्षा का मौका देती है, परीक्षा के मा‌र्क्स कोई मायने नहीं रखते। परीक्षा में खराब मा‌र्क्स आने के कई कारण हो सकते हैं, कई बार परीक्षार्थी खुद को अपडेट करता है। यह कहीं से भी न्याय संगत नहीं है कि सब्सिडियरी में कम मा‌र्क्स वाले छात्रों को परीक्षा से वंचित कर दिया जाए।

संतोष सिंह

मैंने हिस्ट्री ऑनर्स से ग्रेजुएशन किया है, सब्सिडियरी में इकोनॉमिक्स और अंग्रेजी है, नियुक्ति नियमावली में जो आधार बनाया गया है वह नागरिक शास्त्र है। यह कहीं भी स्पष्ट नहीं है कि दूसरे सब्सिडियरी पेपर वाले छात्र भी फॉर्म फिलअप कर सकते हैं। इसके लिए जेएसएससी को क्लीयर करना चाहिए।

प्रीति चंचल

कोट ::::

हाई स्कूल शिक्षक की भर्ती परीक्षा ली जाएगी, कोई आंगनबाड़ी सेविका का चयन नहीं किया जाना है। जो कैंडिडेट सब्सिडियरी में ब्भ् परसेंट मा‌र्क्स भी नहीं ला सकते हैं, उसे हम शिक्षक कैसे बनाएंगे।

-मनीष रंजन, डायरेक्टर, माध्यमिक शिक्षा निदेशालय