- बारिश में ओवर फ्लो हुए पुल और बड़े नाले

- हरमू नदी में भी पानी लबालब, ओवरफ्लो में बहा युवक का नहीं चला पता

राजधानी रांची दो दिन से लगातार हो रही मूसलाधार बारिश से जन-जीवन पूरी तरह अस्त व्यस्त हो चुका है। रांची की नदियां जो अपना अस्तित्व खो चुकी थीं, फिर से अपने पुराने स्वरूप में नजर आ रही हैं। सिटी के बीचो बीच बहने वाले हरमू नदी में प्रभाव की धारा तेज हो गई है। लेकिन इस बारिश ने नगर निगम और प्रशासन के सभी दावों की पोल खोल कर रख दी है। बीते साल बारिश की वजह से हुए हादसे से भी नगर निगम ने कोई सीख नहीं ली। कोकर के खोरहाटोली स्थित पुल के ओवरफ्लो होने से एक युवक पानी के प्रवाह में बह गया। जिसका पता प्रशासन आज तक नहीं लगा पाया है। उस वक्त शहर के सभी पुल-पुलिया को ऊंचा करने, बडे़ नालों को ढंकने से लेकर कल्वर्ट बनाने की दनादन योजना बनी थी। अधिकारी-पदाधिकारी का दौरा शुरू हो गया था, लेकिन हादसे के एक साल बीतने के बाद भी न तो पुल की ऊंचाई बढ़ी और न ही बडे़ नालों को पूरी तरह से ढंका जा सका।

युवक बहा, नहीं चला पता

बारिश के तेज प्रवाह ने फिर एक युवक सुभाष हेम्ब्रम (40 वर्ष) की जान ले ली। नदी में डूबे व्यक्ति को ढूंढने के लिए एनडीआरएफ की टीम लगाई गई। लेकिन टीम को सफलता नहीं मिली। स्वर्ण रेखा के अलावा, खोरहा टोली, पंचशील नगर, फ्रेंड्स कॉलोनी, अरगोड़ा, पुंदाग, हरमू आदि क्षेत्र में तालाब की स्थिति बन गई है। 48 घंटे से हो रही बारिश ने नगर निगम के पदाधिकारियों की भी नींद उड़ा कर रख दी है। निगम के पदाधिकारियों ने कुछ इलाकों का दौरा किया। एकलव्य अपार्टमेंट के बिल्डर को निगम की ओर से फाइन भी किया गया।

क्यों बिगड़ी रांची की सूरत

रांची में जलजमाव की सबसे बड़ी वजह सिवरेज-ड्रेनज का न होना है। नगर विकास विभाग की ओर से प्रोजेक्ट शुरू तो हुआ लेकिन करप्शन की भेंट चढ़ गया। सिटी में 13 साल पहले सीवरेज का प्लान बनाया गया था। इसे 2016 में अमली जामा पहनाया गया। 2017 में प्रोजेक्ट पूरा करने के उद्देश्य से योजना की शुरुआत तो हुई। लेकिन दो साल में ही योजना की हालत पस्त हो गई। कई इलाकों में गड्ढा खोद कर महीनों छोड़ दिया गया। कुछ इलाकों में ड्रेनेज बनाया भी गया, तो समय के साथ रोड निर्माण के कारण उसका अस्तित्व मिट गया। इसका परिणाम बीते 48 घंटे की बारिश में देखा गया। शहर में लगभग 161 एमएम हुई बारिश से सड़क, दुकान, मकान, मॉल, अपार्टमेंट व अन्य स्थानों में बारिश का पानी जमा हो गया। स्थिति यह थी हरमू जैसे वीआईपी रोड में जलजमाव के कारण लोग मछली पकड़ते नजर आए।

अधूरा रह गया प्लान

सिटी में सीवरेज-ड्रेनेज का काम सिंगापुर की कंपनी मैनहर्ट को दिया गया था। 1150 करोड़ का यह प्लान 2015 में शुरु तो हुआ लेकिन आज तक यह पूरा नहीं हुआ। बाद में 09 वार्ड में सीवर लाइन का काम लखनऊ की कंपनी ज्योति बिल्डटेक को दिया गया। 359 करोड़ का यह प्रोजेक्ट भी करप्शन की भेंट चढ़ गया।

रांची के तालाब बनने के पीछे ये है कारण

- शहर में सीवरेज-ड्रेनेज का न होना

- सड़क से ऊंची नाली बना देना

- नाली की नियमित सफाई नहीं

- स्लैब के कारण नहीं हो पाती सफाई

- नदी, नालों समेत सभी जलाशयों का एंक्रोचमेंट

- निचले इलाके में बनी बड़ी-बड़ी इमारतें

- बिना किसी प्लान के भवन निर्माण

- अनावश्यक रूप से पेड़-पौधों को काटा जाना

बारिश से कहां क्या हुआ असर

अरगोड़ा

शहर के मुख्य सड़क अरगोड़ा बायपास पानी में पूरी तरह डूब गया। मुख्य सड़क के पानी में डूब जाने के कारण प्रशासन को बैरीकेटिंग कर सड़क में आवागमन बंद करना पड़ा।

कांके डैम

पिछले दो दिनों से हो रही लगातार बारिश के कारण राजधानी के कांके डैम का जलस्तर काफी बढ़ गया। खतरे की आशंका को देखते हुए कांके डैम के तीनों फाटक को खोलना पड़ा।

हटिया डैम

रांची के धुर्वा स्थित हटिया डैम भी अपने खतरे के निशान पर पहुंच चुका है। आस-पास के लोग बढ़ते जल स्तर से काफी परेशान हैं।

गेतलसूद डैम

भारी बारिश ने गेतलसूद डैम का जलस्तर भी बढ़ा दिया है। जलस्तर बढ़ने के कारण डैम का फाटक खोला गया।

हरमू नदी

नाला का आकार ले चुकी हरमू नदी अपने पूराने अस्तित्व में नजर आई। हरमू नदी में पानी का प्रवाह देख सुकून महसूस हुआ।

छोटे-बडे़ तालाब लबालब

बड़ा तालाब, छोटा तालाब, मधुकम तालाब, बनस तालाब, समेत अन्य सभी छोटे-बडे़ तालाब लबालब हो गए। तालाब के आस-पास रहने वाले लोगों की परेशानी बढी।