RANCHI: राजधानी में हॉस्टल और लॉज की भरमार हो गई है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सर्वे में साढ़े छह सौ से अधिक हॉस्टल और लॉज के संचालन की पुष्टि हुई है। लेकिन रांची नगर निगम में अबतक केवल 200 संचालकों ने ही रजिस्ट्रेशन कराया है। जबकि बाकी संचालकों से भी निगम में रजिस्ट्रेशन कराने के लिए आवेदन मांगे गए है। साथ ही लोगों को अपना बिल्डिंग प्लान भी देने को कहा गया है। जिसके अधार पर उन्हें लाइसेंस जारी किया जाएगा। लेकिन संचालकों ने अबतक निगम को बिल्डिंग प्लान ही उपलब्ध नहीं कराया है। और न ही रजिस्ट्रेशन कराने के लिए पहल कर रहे है।

टैक्स बचाने की कोशिश

संचालकों को बिल्डिंग प्लान में एरिया के साथ ही रूम और पार्किग आदि की भी जानकारी उपलब्ध करानी है। जिसके हिसाब से ही उनके लॉज और हॉस्टल का टैक्स तय किया जाएगा। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि बिल्डिंग का निर्माण उन्होंने नक्शा पास कराकर बनाया है या नहीं। ऐसे में टैक्स बचाने के लिए संचालक निगम को बिल्डिंग प्लान ही नहीं दे रहे है।

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सिर्फ 200 हॉस्टल ही आरएमसी में रजिस्टर्ड

नगर निगम में केवल 200 हॉस्टल और लॉज ही रजिस्टर्ड हैं। जबकि रांची में 650 से अधिक हॉस्टल और लॉज बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे हैं। इनमें 300 छोटे-बड़े हॉस्टल और लॉज सिर्फ लालपुर, व‌र्द्धवान कंपाउंड, थड़पखना, पुरुलिया रोड, पीस रोड और कोकर में हैं। हॉस्टल का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए निगम को चार्ज देना होता है। वहीं, बेड अधिक होने पर रजिस्ट्रेशन चार्ज भी बढ़ता जाता है।