रांची(ब्यूरो) । रांची नगर निगम में कार्यरत इंफोर्समेंट टीम पर अक्सर आरोप लगते रहे हैं। कभी रंगदारी तो कभी अवैध वसूली के लिए इंफोर्समेंट टीम के सदस्य पर सवाल उठते रहे हैं। इसी क्रम में एक बार फिर ऑटो चालकों से अवैध वसूली करने का आरोप नगर निगम की इंफोर्समेंट टीम पर लगा है। दरअसल निगम की इंफोर्समेंट टीम को पुलिस की तरह ही खाकी वर्दी दी गई है, जिस कारण अक्सर गलतफहमी की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। ज्यादातर लोग इंफोर्समेंट टीम और पुलिस में अंतर नहीं कर पाते हैं। जिसका फायदा इंफोर्समेंट टीम के मेंबर उठाते हैं। खुद को पुलिस अधिकारी बताकर ये लोग ऑटो चालक, फुटपाथ दुकानदार, फूड वैन वालों से अवैध वसूली करते हैं और फ्री का खाना भी पार्सल करवाते हैं। यह बात मोरहाबादी में फूड वैन लगाने वाले एक दुकानदार ने स्वीकार की है। उनका कहना है कि हर एक-दो दिन बाद टीम का मेंबर आता है और दुकान लगाने के एवज में पैसे की मांग करता है।

डेली चार हजार की अवैध वसूली

निगम क्षेत्र में रहने वाले लोगों की सुरक्षा, नियमों का पालन कराने और शहर को व्यवस्थित करने के लिए जिसका गठन किया गया था। वही आज आम लोगों के लिए परेशानी की वजह बन गया है। मालूम हो कि इंफोर्समेंट कर्मी बबलू सिंह पर ऑटो चालक से अवैध वसूली का आरोप लगा है। पुरुलिया रोड में ऑटो चालकों से रोजाना करीब चार हजार रुपए की वसूली करता था। लोअर बाजार थाना में ट्रैफिक परिचारी रंजन प्रसाद ने खुद इंफोर्समेंट कर्मी बबलू सिंह समेत छह लोगों पर केस दर्ज कराया है। इस मामले में आरोपी तबरेज ने भी यह स्वीकार किया है कि नगर निगम के इंफोर्समेंट कर्मी बबलू सिंह के कहने पर अवैध वसूली की जाती है।

खर्च डेढ़ करोड़, राजस्व सिर्फ 50 लाख

रांची नगर निगम इंफोर्समेंट टीम पर हर साल डेढ़ करोड़ के लगभग रुपए खर्च करता है। बदले में उसे करीब 50 लाख रुपए का ही राजस्व हासिल मिलता है। इससे यह साबित होता है कि निगम इंफोर्समेंट टीम पर पानी की तरह पैसा बहा रहा है लेकिन टीम की ओर से कोई खास राजस्व की प्राप्ति नहीं हो रही है। यदि कहीं से किसी प्रकार का नियम तोडऩे का मामला आता भी है तो इंफोर्समेंट टीम के सदस्य इसे मैनेज करने मेें जुट जाते हैं। देखा जाए तो सिटी को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए इंफोर्समेंट टीम को तैयार किया गया था। बाद में नगर निगम इनसे अलग-अलग काम भी लेने लगा। लेकिन इनका प्रमुख काम आज भी शहर से एन्क्रोचमेंट हटाना ही है। टीम को तैयार हुए करीब पांच साल बीत चुका है लेकिन सिटी की हालत आज भी ज्यों की त्यों है। जब हाईकोर्ट से फटकार लगती है तब निगम के अधिकारी रेस होते हैं और इंफोर्समेंट टीम से काम लिया जाता है। लेकिन एक दो दिन में फिर से सब सुस्त हो जाते हैं।

पहले भी लगते रहे हैं आरोप

इंफोर्समेंट टीम पर लगने वाला आरोप कोई नया नहीं है। पहले भी अवैध वसूली, लोगों के साथ बदसलूकी जैसे आरोप लगते रहे हैं। बीते साल डोरंडा के रहने वाले एक व्यक्ति से बदसलूकी करते हुए 30 हजार रुपए वसूलने का आरोप लगा था। इस मामले को तत्कालीन मेयर डॉ आशा लकड़ा ने गंभीरता से लेते हुए आरोपी पर कार्रवाई करने की बात कही थी। लेकिन मामले को लीपापोती कर छोड़ दिया गया। इंफोर्समेंट टीम का मूल काम सड़क किनारे गली-मुहल्लों में खुलेआम बिल्डिंग मैटेरियल डंप करने वालों पर कार्रवाई, डस्टबिन नहीं रखने वाले दुकानदारों पर कार्रवाई, खुले में गंदगी फेंकने वाले, अवैध पार्किंग करने वाले और अतिक्रमण करने वालों पर कार्रवाई करते हुए उनसे जुर्माना वसूलना है। इसका समुचित तरीके से रसीद भी काट कर देना होता है। लेकिन कई बार शिकायत आती है कि लेनदेन कर मामले का निपटारा कर दिया गया। इससे निगम के राजस्व का नुकसान हो रहा है।

वर्दी पर उठते रहे हैं सवाल

नगर निगम के इंर्फोसमेंट कर्मियों को पुलिस की तरह खाकी वर्दी की तरह यूनिफार्म दे दिया गया है। टीम की वर्दी पर डीआईजी से लेकर अन्य पदाधिकारी तक सवाल उठाते रहे हैं। फिर भी निगम को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। पुलिस का कहना है कि टीम की ओर से विभिन्न प्रकार की छापेमारी एवं अतिक्रमण मुक्त अभियान चलाया जाता है। लेकिन इस दौरान स्थानीय थाना एवं पुलिस को किसी प्रकार की कोई सूचना नहीं दी जाती है, जिससे लोगों में भ्रम की स्थिति बन जाती है। झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन भी निगम से इस संबंध में जवाब मांग चुका है।