सात साल की उम्र से टेनिस सीख रहा है साहिल

कॉन्स्टेबल पिता का है सपना, देश के लिए मेडल लाए बेटा

RANCHI (29 Dec) : लॉन टेनिस के स्टेट चैंपियन (अंडर-क्ब्) साहिल अमीन की दमदार सर्विस अब नेशनल लेवल के कोट में अपनी मौजूदगी का एहसास कराएगी। साहिल का रजिस्ट्रेशन ऑल इंडिया टेनिस एसोसिएशन (एआइटीए) में हो चुका है। वे नए साल में एआइटीए की ओर से आयोजित जूनियर लेवल की टेनिस प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेंगे। फिलहाल यह तय नहीं हो पाया कि उन्हें चंडीगढ़ में खेलना है या चेन्नई में, लेकिन इतना तय है कि उन्हें इस साल नेशनल लेवल पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का मौका मिलेगा।

पेस और भूपति हैं आदर्श

साहिल अमीन रांची के ही रहने वाले हैं। उनके पिता इमरान खान सिटी के हिंदपीढ़ी थाने में एक कॉन्सटेबल हैं। आर्थिक रूप से कमजोर होने के बावजूद इमरान अपने पुत्र को हर संभव सुविधा उपलब्ध करा रहे हैं। फिलहाल साहिल जेएससीए स्टेडियम कैंपस में बने टेनिस कोट में प्रैक्टिस करते हैं। उनकी सर्विस और रिटर्न कमाल की है। कई सीनियर प्लेयर्स भी साहिल की तारीफ कर चुके हैं। दस साल की उम्र में ही साहिल ने ओडि़शा में आयोजित स्टेट टेनिस चैंपियनशिप (ख्0क्फ्) का खिताब जीता था। साहिल लिएंडर पेस और महेश भूपति को अपना आदर्श मानते हैं। लेकिन, रोजर फेडरर, नडाल और जोकोविच के खेल को फॉलो करते हैं। इन खिलाडि़यों के खेल को वे यू-ट्यूब पर देखते हैं और उनकी तकनीक को अपनाने की भी कोशिश करते हैं। इसी महीने ख् से ब् तारीख को आयोजित प्रथम जूनियर झारखंड स्टेट टेनिस चैंपियनशिप में साहिल उप विजेता रहे। यह धनबाद में आयोजित हुआ था।

प्रायोजक नहीं, परेशानी बढ़ी

कड़ी मेहनत कर रहे साहिल बताते हैं कि उन्हें कोई प्रायोजक नहीं मिलने से काफी परेशानी हो रही है। टेनिस एक महंगा खेल है। गरीबी के बावजूद उनके परिवार ने उन्हें इस खेल में आगे बढ़ाने का फैसला तो किया है, लेकिन भविष्य को लेकर आशंकाएं भी बनी हुई हैं। पिता इमरान कहते हैं कि स्टार खिलाडि़यों की टेनिस एकेडमी में ट्रेनिंग के लिए जितनी फीस लगती है, उतनी तो उनकी एक महीने की तनख्वाह भी नहीं है। ऐसे में हैदराबाद या बेंगलुरु भेज कर साहिल को उच्च स्तरीय ट्रेनिंग दिलाना एक सपना ही है। अगर कोई स्पॉन्सर मिल जाए, तो बात बन सकती है। यही वजह है कि फिलहाल रांची में ही स्थानीय कोच से ट्रेनिंग जारी रखने का फैसला किया गया है।

ओलंपिक खेलने का है सपना

साहिल देश के लिए ओलंपिक में खेलना चाहते हैं। वह कहते हैं कि जिस दिन देश के लिए मेडल जीतेंगे, उस दिन उनकी मेहनत का असली ईनाम मिलेगा। फिलहाल क्0 घंटे तक प्रैक्टिस करने वाले साहिल के लिए चुनौती है एआइटीए की जूनियर टूर्नामेंट की बाधा को पार करना। अगले साल नौ टूर्नामेंट होने वाले हैं। इनमें से एक में भी खिताबी जीत मिली, तो उनके करियर को पंख लग सकते हैं।