रांची (ब्यूरो)। प्रसन्न बने रहना बहुत सरल है, परन्तु सरल बने रहना बहुत कठिन है। अगर हम सरल बने रहें तो सबकी सहायता कर सकते हैं तथा सबकी सहायता प्राप्त कर सकते हैं। ये बातें सफायर इंटरनेशनल स्कूल रांची में रवीन्द्रनाथ टैगोर जयन्ती के अवसर पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए कक्षा छह की छात्रा अद्विता ने कही। कार्यक्रम में कक्षा छह के ही सूरज ने कहा कि नोबेल पुरस्कार से सम्मानित प्रथम भारतीय गुरुदेव रवीन्द्रनाथ एक कवि ही नहीं, साहित्यकार व दार्शनिक भी थे, जिन्होंने देश को राष्ट्रगान दिए।
रवीन्द्रनाथ ने कर्म पर दिया बल
सभा को संबोधित करते हुए मिथिलेश कुमार मेहता विज्ञान विभागाध्यक्ष ने कहा कि रवीन्द्रनाथ टैगोर का सादा जीवन उच्च विचार था, उन्होंने अपनी रचनाओं से जीवन में निराशा को महत्व नहीं दिया, बल्कि संघर्ष करने की शक्ति दिए। आगे उन्होंने कहा कि गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने अपनी रचनाओं द्वारा भगवान पर आश्रित होने के बजाय कर्म पर बल दिया, उन्होंने मानव जाति को अपने कर्मों द्वारा भाग्य निर्माण की बात कहीं। सभा में आशी कक्षा छह ने अंग्रेजी में तथा कशिश कक्षा छह द्वारा हिन्दी में ओजस्वी कविता पाठ किया गया। लावन्या, कुणाल, सवश्यम शिवम तथा विद्यार्थीगण कक्षा छह द्वारा गुरुदेव की कहानी को नाट्य रूप में प्रस्तुत किया गया। वहीं माही कक्षा छह तथा ऋतिका कक्षा छह द्वारा आकर्षक नृत्य प्रस्तुत किया गया। प्रखर कक्षा छह तथा ऋत्विक खेमका कक्षा छह द्वारा रवीन्द्रनाथ टैगोर पर आधारित सामान्यज्ञान के प्रश्न पूछे गए। कार्यक्रम का आरंभ कक्षा छह के छात्रों द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना गीत तथा यशराज कक्षा छह द्वारा प्रस्तुत सुविचार से हुआ। कार्यक्रम का संचालन तथा धन्यवाद ज्ञापन कक्षा छह की छात्रा अदीति द्वारा किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में कक्षाध्यापिका प्रीति सिंह, आईटी अध्यापिका अलीविया तथा कला अध्यापक रौशन का अहम योगदान रहा।