रांची (ब्यूरो) । झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की सिविल सेवा संयुक्त परीक्षा हर साल आयोजित की जानी है। लाखों अभ्यर्थी इस परीक्षा में शामिल होने का इंतजार करते हैं। पिछली (सातवीं) सिविल सेवा परीक्षा तो रिकार्ड समय पर पूरी हुई, लेकिन अब एक बार फिर इसमें लेटलतीफी शुरू हो गई है। राज्य सरकार जेपीएससी नियमावली में संशोधन कर रही है। नियमावली में संशोधन के बाद ही इस परीक्षा की प्रक्रिया शुरू हो पाएगी।

जेपीएससी ने इससे पहले चार वर्षों की लंबित परीक्षा का एकसाथ आयोजित करते हुए पिछले साल 31 मई को ही उसका अंतिम परिणाम जारी किया था। उक्त परिणाम जारी होने के लगभग 11 माह हो चुके हैं, लेकिन अभी तक अगली सिविल सेवा संयुक्त परीक्षा का कोई अता-पता नहीं है।

हाई लेबल कमेटी बनी है

दरअसल, कार्मिक विभाग ने जेपीएससी सिविल सेवा परीक्षा नियमावली में संशोधन के लिए अपर मुख्य सचिव एल खियांग्ते की अध्यक्षता में हाई लेबल कमेटी गठित की है। कई माह बाद इस कमेटी की बैठक पिछले दिनों आयोजित तो हुई लेकिन उक्त बैठक में किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सका। इस कमेटी को प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण लागू करने के अलावा अन्य ङ्क्षबदुओं में संशोधन पर अपनी रिपोर्ट देनी है। इस कमेटी की रिपोर्ट मिलने तथा उसकी समीक्षा के बाद सारी आवश्यक प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही नियमावली गठित हो पाएगी। इसमें दो से तीन माह लगने की संभावना व्यक्त की जा रही है। नियमावली गठित होने के बाद ही अगली सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा हो पाएगी।

लग गए पांच साल

जेपीएससी की की सातवीं सिविल सेवा संयुक्त परीक्षा रिकार्ड समय में हुई थी। हालांकि यह परीक्षा भी विवादों के बीच 34 मुकदमों का सामना करते हुए पूरी हुई थी। इससे पहले पहली सिविल सेवा परीक्षा में 956 दिन, तीसरी में 883 दिन, चौथी में 594 दिन, पांचवीं में 798 दिन लग गए थे। छठी सिविल सेवा पूरी तरह संपन्न होने में पांच साल लग गए थे।

खाली पोस्ट रह जाते हैं

राज्य के पूर्व मुख्य सचिव वीएस दूबे की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने जेपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा प्रत्येक वर्ष आयोजित किए जाने की अनुशंसा की थी। यूपीएससी तथा अन्य राज्यों के आयोगों की सिविल सेवा परीक्षा प्रत्येक वर्ष आयोजित होती है। समय पर परीक्षा नहीं होने पर विभिन्न विभागों में महत्वपूर्ण पद रिक्त रह जाते हैं। दूसरी तरफ बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों की आयु सीमा भी खत्म हो जाती है।