रांची (ब्यूरो) । राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा है कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की समस्याओं को हल करने में अनुसंधान की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है और अनुसंधान एवं विकास के परिणाम उद्योगों की समस्याओं को हल करते हैं और लोगों को खुश करते हैं। ऊर्जा केंद्रित अनुसंधान की आज जरूरत है, क्योंकि इलेक्ट्रानिक वाहनों का ही भविष्य है। वे सोमवार को होटल रेडिशन ब्लू में सीएसआईआर-राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला, जमशेदपुर की कार्यशाला वन वीक वन लैब को संबोधित कर रहे थे।

पानी पर शोध जरूरी

राज्यपाल ने कहा, झारखंड में पीने योग्य पानी का प्रतिशत 6 परसेंट से 36 परसेंट तक अनुसंधान एवं विकास और सरकारी प्रयासों से बढ़ाया जा सकता है। भारत का मिशन ÓÓजल जीवनÓÓ, लेकिन इसे राज्य के लिए 100 परसेंट पीने योग्य पानी की दिशा में बहुत आगे जाना है। उन्होंने सीएसआईआर-एनएमएल को 'कौशल भारतÓ, 'मेक-इन-इंडियाÓ, स्व'छ भारत, आत्मनिर्भर भारत आदि प्रयासों के लिए बधाई दी। उन्होंने महिला प्रौद्योगिकी पार्क, अपशिष्ट से धन (ई-अपशिष्ट पुनर्चक्रण) के लिए शहरी अयस्क पुनर्चक्रण केंद्र, लिथियम धातु निष्कर्षण और अन्य रेयर अर्थ निष्कर्षण जैसी प्रयोगशाला की पहल की सराहना की।

प्रदूषण को दूर करें

उन्होंने झारखंड के जल स्रोतों से आर्सेनिक हटाने और पानी के प्रदूषण को दूर करने के क्षेत्र में प्रयोगशालाओं के महत्व को भी रेखांकित किया। बताया कि विकसित देशों के शोध एवं विकास उन्हें सुपर पावर बनाते हैं, क्योंकि विकसित कंपनियों का शोध एवं विकास पर खर्च बहुत अधिक होता है। हो सकता है कि भारत ने शोध एवं विकास के बहुत अधिक बजट से शुरुआत नहीं की हो, लेकिन नए उद्यमों और प्रासंगिक प्रयासों के लिए अपने शोध एवं विकास निवेश को लगातार बढ़ा रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अनुसंधान एवं विकास, जो उद्योग के अनुकूल और लोगों के अनुकूल होगा, निश्चित रूप से देश को अधिक सक्षम और प्रतिस्पर्धी बनाएगा।

स्थापना की दी जानकारी

निदेशक, सीएसआईआर-एनएमएल ने अपने स्वागत भाषण में उद्योगों के लाभ हेतु अयस्क सज्जीकरण और समग्र मिश्र धातु के विकास के उद्देश्य से झारखंड के खनिज समृद्ध राज्य में प्रयोगशाला की स्थापना के बारे में जानकारी दी। उन्होंने विभिन्न युगों में सीएसआईआर-एनएमएल की वैज्ञानिक और तकनीकी उपलब्धियों के बारे में भी बताया।

विकास में अहम योगदान

डॉ एन कलैसेल्वी, सचिव, डीएसआईआर व महानिदेशक, सीएसआईआर ने राज्यपाल का वर्चुअल मोड के माध्यम से स्वागत किया और भारत के विभिन्न स्थानों में सीएसआईआर प्रयोगशालाओं की स्थापना के कारण और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के उत्थान के लिए देश, औद्योगिक और सामाजिक प्रयोज्यता दोनों के लिए उनके योगदान के बारे में उल्लेख किया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि सीएसआईआर-एनएमएल खनन, सज्जीकरण और मिश्र धातु के विकास पर ध्यान केंद्रित कर रही है और जो न केवल झारखंड के खनिज समृद्ध राज्य बल्कि पूरे देश के लिए भी प्रासंगिक है। उन्होंने उद्योग प्रासंगिक प्रौद्योगिकियों के विकास हेतु टाटा स्टील के साथ सीएसआईआर-एनएमएल द्वारा किए गए सहयोगी शोध का भी उल्लेख किया।

इनकी रही मौजूदगी

कार्यक्रम में डॉ अवनीश कुमार श्रीवास्तव, निदेशक, डॉ संजय कुमार, मुख्य वैज्ञानिक, सीएसआईआर-एनएमएल शामिल थे। आत्मनिर्भर भारत के लिए रेयर अर्थ पर एक कार्यशाला भी आयोजित की गई थी। डॉ आरएन पात्रा, पूर्व सीएमडी, आईआरईएल लिमिटेड, सदस्य आरईई, टास्क फोर्स कमेटी, नीति आयोग, यमुना ङ्क्षसह, पूर्व प्रमुख, खनिज विज्ञान, अन्वेषण और अनुसंधान, परमाणु खनिज निदेशालय, हैदराबाद और तुमुलुरी श्रीनिवास, उत्कृष्ट वैज्ञानिक और प्रमुख, खनिज प्रसंस्करण प्रभाग, बीएआरसी वक्ताओं ने उद्योगों के लिए रेयर अर्थ की प्रासंगिकता के बारे में बात करते हुए तकनीकी व्याख्यान दिए।