रांची: दैनिक जागरण आईनेक्स्ट में 16 मार्च को 'मिसमैनेजमेंट ् रिम्स' खबर छपने के बाद आखिरकार रिम्स मैनेजमेंट जाग गया है। भले ही कोरोना के कारण लेकिन करोड़ों की लागत से बनी बिल्डिंग्स के इस्तेमाल की पहल शुरू कर दी है। जी हां, 70 परसेंट खाली बेड वाले करीब 64 करोड़ की लागत से बने ट्रॉमा सेंटर का इस्तेमाल कोरोना के अति गंभीर मरीज के इलाज के लिए करने की पहल की गई है। दरअसल, कोरोना वायरस के लिए बनाए गए रिम्स के नोडल ऑफिसर डॉ। बृजेश मिश्रा ने कहा कि सरकार व स्वास्थ्य विभाग लगातार महामारी पर नजर रखे हुए है। रिम्स में तमाम व्यवस्था की जा रही है। अगर यहां किसी संदिग्ध में कोरोना की पुष्टि होती है तो उसका पूरा इलाज रिम्स में ही चलेगा। 14 दिन चिकित्सकों की निगरानी में रखा जाएगा। रिपोर्ट की बार-बार जांच की जाएगी, जब तक निगेटिव नहीं आएगी तब तक उनका इलाज चलता रहेगा। डॉ। बृजेश ने बताया कि अति गंभीर मरीज के इलाज के लिए जरूरत पड़ने पर ट्रॉमा सेंटर के दूसरे तल्ले का भी इस्तेमाल किया जाएगा। जहां ट्रॉमा के एचओडी डॉ। प्रदीप भट्टाचार्य के नेतृत्व में उनकी पूरी टीम इलाज के लिए उपस्थित रहेगी।

पूरे पेइंग वार्ड को बनाया जाएगा आइसोलेशन वार्ड

रिम्स से जिन संदिग्ध की सैंपल ली जा रही है उन्हें होम क्वारंटाइन न कर सभी को आइसोलेशन में ही रखे जाएंगे। ऐसे में अगर कमरे कम पड़ते है तो पूरे पेइंग वार्ड को आइसोलेशन वार्ड के रूप में इस्तेमाल किया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि पांच तल्ले के पूरे विंग में 100 कमरे हैं। हर तल्ला पर 18 कमरे हैं। इसके बाद भी अगर जरूरत पड़ी तो रिम्स ने दूसरे विभाग को भी विकल्प के तौर पर इस्तेमाल करेगा।

पुलिस की निगरानी में रहेंगे संदिग्ध

कोरोना के एक भी केस की पुष्टि अब तक राज्य में नहीं हुई है। यह राहत की बात है। लेकिन देश के साथ विदेशों में इसके प्रकोप देखते हुए लगातार रिम्स प्रबंधन सुविधाएं बढ़ा रहा है। रिम्स में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान रिम्स निदेशक डॉ। डीके सिंह ने कहा कि फिलहाल पेइंग वार्ड में 18 कमरों की व्यवस्था की गई है। सरकार द्वारा एपिडेमिक एक्ट लाने के बाद संदिग्धों को हर हाल में अब रिम्स में भर्ती रहना होगा।

अस्पताल से भागने पर कानूनी कार्रवाई

रिम्स में सैंपल देने के बाद से लेकर रिपोर्ट निगेटिव आने तक अगर कोई भी संदिग्ध लामा या अस्पताल छोड़कर भागता है तो उसपर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। डॉ। विवेक कश्यप ने बताया कि कोई भी बगैर सूचना के अस्पताल छोड़कर नहीं जा सके, इसके लिए पेइंग वार्ड आइसोलेशन में पुलिस के जवान को तैनात किया गया है। वहीं सिर्फ एक दरवाजे को खुला रखा गया है।