रांची (ब्यूरो)। राजधानी के अंदर कई सड़कों की खुदाई कर तहस-नहस कर दिया गया है। पांच साल पहले जिस तरह के हालात थे, एक बार फिर से वही स्थिति देखा जा रही है। वार्ड 30, 31, 32 में कई सड़कें खोद कर छोड़ दी गई हैैं। एक बार फिर से सीवरेज-ड्रेनेज का काम राजधानी रांची में शुरू हो चुका है। कई सड़कों की खुदाई कर दी गई है, तो वहीं कुछ सड़कों की खुदाई की तैयारी चल रही है। नई सड़कों को खोदने के लिए मार्किंग कर दी गई है। एक दो दिन में उसे भी तहस-नहस कर दिया जाएगा।

आने-जाने में होने लगी है परेशानी

सड़कों के टूटने से लोगों को चलने में काफी परेशानी हो रही है। लोग गिरकर चोटिल हो रहे हंै। कुछ सड़कें ऐसी हैैं, जिसमें आवागमन बिल्कुल बंद हो गया है। सड़क के दोनों हिस्से में बैरिकेटिंग लगा कर रास्ते को रोक दिया गया है। इससे दूसरी परेशानी यह हो रही है कि काफी लोगों को यह जानकारी नहीं होती कि आगे रोड तोड़ दिया गया है। काम कर रही एजेंसी द्वारा इसका कोई इंडिकेशन भी नहीं दिया जाता, जिससे लोगों को वापस लौटना पड़ता है। रोड टूटे होने से गाड़ी रिटर्न करने में भी दिक्कत होती है। ज्यादा परेशानी बड़े वाहन चालकों को हो रही है।

छह महीने पहले बनी सड़क खोद डाली

वार्ड संख्या 31 के कई इलाकों में छह महीने पहले सड़क का निर्माण कराया गया था। उन सड़कों की फिर एक बार सीवरेज के नाम पर खुदाई कर दी गई है। सड़क इस कदर खोद दी गई है कि आसपास के घरों में रहने वाले लोगों को बाहर निकलने में भी परेशानी हो रही है। पिस्का मोड़ से नीचे ओझा मार्केट की ओर जाने वाली सड़क हो या देवी मंडप से बाएं जाने वाला रास्ता, दोनों की खुदाई कर दी गई है। देवी मंडप से बाएं जाने वाले रास्ते पर आना-जाना बिल्कुल बंद हो चुका है। कुछ ऐसा ही हाल वार्ड संख्या 30 स्थित हनुमान मंदिर के पीछे का भी है। यहां भी सड़क को तहस नहस कर काम चल रहा है। बीते कई हफ्तों से इस सड़क पर आना-जाना बंद है। सड़क निर्माण के नाम पर पानी की तरह पैसे बहा दिए जाते हंै। उन्हीं सड़क को दूसरा विभाग आकर तहस-नहस कर देता है। यही काम सड़क बनने से पहले हो जाता, तो जनता के पैसे की यूं बर्बादी न होती।

16 साल पहले शुरु हुआ था काम

राजधानी में सीवरेज ड्रेनेज के लिए 2006 में पहली बार डीपीआर बनाया गया था। बीते 16 साल से आज तक सीवरेज ड्रेनेज का काम पूरा नहीं हो सका है। इस योजना का 50 परसेंट काम भी पूरा नहीं हुआ है। सीवरेज निर्माण के नाम पर पहले भी नौ वार्डों की सड़क की खुदाई की गई थी। जिसमें दो साल तक लोगों को परेशानी झेलनी पड़ी। सीवरेज निर्माण के लिए 2017 तक ही डेडलाइन तय की गई थी। वार्ड नौ में सीवर प्रोजेक्ट के नाम पर करीब 85 करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए। लेकिन इसका रिजल्ट आज तक नहीं देखने को मिला।